Last Updated:
Wheat Farming Tips: कृषि वैज्ञानिक ने बताया, बुवाई के शुरुआती 25 से 30 दिनों के भीतर यह रोग अक्सर दिखाई देता है. इस बीमारी में गेहूं या अन्य रबी फसलों की जड़ों में एक कीट चिपक जाता है, जिसे…
Gehun Ki Kheti: मध्य प्रदेश के खरगोन में रबी सीजन की शुरुआत 1 अक्टूबर से हो चुकी है. कई किसानों ने खेतों में गेहूं और चने की बुआई कर दी है. वहीं, कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को चेतावनी दी कि दिवाली के साथ-साथ उन्हें खेतों की ओर भी ध्यान देना जरूरी है. क्योंकि, बुवाई के शुरुआती दिनों में फसलों में एक गंभीर बीमारी देखने को मिलती है, जिसे जड़ माहों रोग कहा जाता है. यह फसल की जड़ों पर असर डालकर उसकी वृद्धि को रोक देती है और उत्पादन पर गहरा असर डालती है.
कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह ने बताया कि बुवाई के शुरुआती 25 से 30 दिन के भीतर यह रोग अक्सर दिखाई देता है. इस बीमारी में गेहूं या अन्य रबी फसलों की जड़ों में एक कीट चिपक जाता है, जिसे रूट एफिड (Root Aphid) कहा जाता है. यह कीट पौधों की जड़ों से रस चूस लेता है, जिससे पौधों का विकास रुक जाता है और फसल पीली पड़ने लगती है. खेतों में यदि पौधे कमजोर दिखें या पत्तियां पीली पड़ने लगें, तो किसानों को तुरंत जड़ों की जांच करनी चाहिए.।यदि जड़ों पर छोटे सफेद या भूरे रंग के कीट दिखाई दें, तो यह रूट एफिड का संकेत है. ऐसे में देर करने से पूरी फसल प्रभावित हो सकती है.
नियंत्रण के लिए क्या करें
डॉ. राजीव सिंह ने किसानों को सलाह दी है कि इस रोग के नियंत्रण के लिए किसान थायोमेथोक्सम (Thiamethoxam) और लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन (Lambda-Cyhalothrin) का कॉम्बिनेशन इस्तेमाल करें. इन दोनों दवाओं को मिलाकर स्प्रे करने से रूट एफिड का प्रकोप खत्म हो जाता है. उन्होंने बताया कि एक एकड़ खेत के लिए 200 लीटर पानी में 80 एमएल दवा मिलाकर छिड़काव करें. इससे जड़ों में लगे कीट मर जाएंगे और फसल का विकास सामान्य रूप से होने लगेगा.
समय पर नियंत्रण जरूरी
कृषि विभाग ने भी किसानों को सलाह दी कि बुवाई के बाद नियमित अंतराल पर खेतों का निरीक्षण करते रहें. खासकर यदि मौसम में अचानक नमी बढ़े या तापमान में बदलाव आए तो यह बीमारी तेजी से फैल सकती है. वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि जड़ माहों रोग का समय पर नियंत्रण करने से फसल की पैदावार और गुणवत्ता दोनों सुरक्षित रहती हैं. इसलिए किसान दिवाली की व्यस्तताओं के बीच भी खेतों की निगरानी करना न भूलें.
एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म…और पढ़ें
एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म… और पढ़ें