धनतेरस पर इंदौर में भगवान धनवंतरि की विशेष पूजा: 240 साल पुराने मंदिर में औषधियों के सिद्ध होने की परंपरा आज भी, डॉक्टर करेंगे अभिषेक – Indore News

धनतेरस पर इंदौर में भगवान धनवंतरि की विशेष पूजा:  240 साल पुराने मंदिर में औषधियों के सिद्ध होने की परंपरा आज भी, डॉक्टर करेंगे अभिषेक – Indore News



इंदौर में धनतेरस पर आज आड़ा बाजार स्थित राधा-कृष्ण मालवीय भारती मंदिर के धनवंतरि मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होगी। सुबह भगवान धनवंतरि का जड़ी-बूटियों और पंचामृत से अभिषेक कर आकर्षक शृंगार किया जाएगा। यह मंदिर करीब 240 साल पुराना है और यहां हर साल शहर

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मान्यता है कि ऐसा करने से औषधियों में दिव्य प्रभाव आता है और रोगी जल्दी स्वस्थ होते हैं।

240 साल पुराना ऐतिहासिक मंदिर

मंदिर के पुजारी पं. मानवेंद्र त्रिवेदी ने बताया कि यह मंदिर उनके दादाजी पं. लक्ष्मीनारायण त्रिवेदी ने स्थापित किया था, जो होल्कर एस्टेट के राज्य वैद्य रहे हैं। संत विनोबा भावे ने मंदिर का अनावरण किया था और उस समय के होल्कर महाराजा यहां दर्शन करने आते थे। मंदिर का स्थापत्य प्राचीन शैली में बना है और इसकी मूर्ति जयपुर से विशेष रूप से मंगाई गई थी।

लक्ष्मी पूजन से पहले धनवंतरि पूजा का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के समय भगवान धनवंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजन से पहले भगवान धनवंतरि की पूजा का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन भगवान धनवंतरि की आराधना करता है, उसे स्वास्थ्य और दीर्घायु का वरदान मिलता है। क्योंकि यदि स्वास्थ्य ठीक न हो, तो धन और वैभव भी व्यर्थ है।

जड़ी-बूटियों और पंचामृत से अभिषेक

आज सुबह भगवान धनवंतरि का अभिषेक जड़ी-बूटियों, पंचामृत और फलों के रस से किया जाएगा। आयुर्वेदिक परंपरा के अनुसार औषधियों को भगवान के समक्ष रखकर सिद्ध किया जाएगा। दोपहर 12 बजे विशेष आरती होगी, जिसमें शहर के नामी चिकित्सक, वैद्य और गणमान्य लोग शामिल होंगे।

चिकित्सकों और रोगियों की आस्था

हर साल धनतेरस पर बड़ी संख्या में डॉक्टर, आयुर्वेदिक मंडल के सदस्य और गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज यहां पहुंचते हैं। लोग अपनी दवाइयां भगवान के समक्ष रखकर आशीर्वाद मांगते हैं और ठीक होने के बाद पुनः दर्शन के लिए आते हैं। श्रद्धालु प्रसाद और भेंट चढ़ाकर भगवान धनवंतरि का आभार व्यक्त करते हैं।

जयपुर से लाई गई संगमरमर की प्रतिमा

मंदिर की प्रतिमा विशेष संगमरमर की बनी है, जिसे जयपुर के कलाकारों ने करीब दो सदी पहले तैयार किया था। साढ़े तीन फीट ऊंची यह प्रतिमा बेहद सुंदर और कलात्मक है। भगवान के एक हाथ में अमृत कलश और दूसरे हाथ में ‘आयुर्वेद’ ग्रंथ है, जो उन्हें आयुर्वेद का जनक दर्शाता है।

धनतेरस का यह पर्व न केवल धन-समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि अच्छे स्वास्थ्य की कामना का भी प्रतीक है। डॉक्टरों और वैद्यों के लिए यह दिन भगवान धनवंतरि के प्रति आस्था और उनके आशीर्वाद से जुड़ा विशेष अवसर माना जाता है।



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