श्री जुगल किशोर जी मंदिर प्रांगण में नृत्य करते मोनिया।
दीपावली के अवसर पर बुंदेलखंड में पारंपरिक तरीके से त्योहार मनाया जाता है। पन्ना में दीवारी नृत्य इस दौरान आकर्षण का मुख्य केंद्र रहता है। ढोलक की थाप, घुंघरू की झंकार और लाठी की चटकार के साथ यह नृत्य रोमांचक प्रदर्शनों के लिए जाना जाता है।
.
दीपावली के अगले दिन से ही दीवारी खेलने वालों की टोलियां गांवों से लेकर शहर तक निकलती हैं। ये टोलियां अपने नृत्य से सभी को आकर्षित करती हैं। पन्ना ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों से भी बड़ी संख्या में मोनिया दीवारी नृत्य करने के लिए पन्ना आते हैं। पुरुष पारंपरिक वेशभूषा पहनकर, हाथों में मोर पंख लिए एक घेरा बनाकर नृत्य करते हैं, वहीं कुछ लोग सखी वेश भी धारण करते हैं।
मोनियों ने डोल की थाप किया नृत्य।
बछड़े की पूंछ का पूजन
ग्राम मुड़वा से आए कमलेश कुमार ने बताया कि दीवारी नृत्य की परंपरा कई वर्षों पुरानी है। दीपावली के दिन मिट्टी की बनी ग्वालिन का पूजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि मौन धारण करने वाले व्यक्ति दीपावली के दूसरे दिन सुबह गाय के बछड़े की पूंछ पूजकर दीवारी खेलने के लिए निकलते हैं।
मौन धारण करने वाले ये कलाकार पूरे दिन अन्न-जल ग्रहण नहीं करते और सुबह से लेकर रात तक दीवारी नृत्य करते हैं। करीब 75 वर्षों से दीवारी नृत्य कर रहे बुजुर्ग श्याम ने बताया कि एक साथ कई लोग आकर्षक कपड़े पहनकर, हाथों में मोर के पंख लेकर और तरह-तरह का श्रृंगार करके ढोलक की थाप पर थिरकते हैं। ऐसी मान्यता है कि दीपावली के अवसर पर दीवारी नृत्य खेलना और देखना शुभ माना जाता है।
पन्ना नगर में जगह-जगह मोनिया की टोलियां दीवारी नृत्य करती हैं, लेकिन श्री जुगल किशोर जी मंदिर प्रांगण में इसकी खास धूम देखने को मिलती है। यहां समूचे बुंदेलखंड से लोग दीवारी नृत्य देखने और इसमें शामिल होने आते हैं।
श्री जुगल किशोर जी मंदिर प्रांगण की अन्य तस्वीरें…


