न सरकारी फंड, ना मदद… इस किसान के बेटे ने गांव के लिए किया ऐसा काम, लोग कर रहे सलाम

न सरकारी फंड, ना मदद… इस किसान के बेटे ने गांव के लिए किया ऐसा काम, लोग कर रहे सलाम


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बुरहानपुर के समाजसेवी अनिल राठौड़ ने बचपन में जो सपना देखा था, उसे हकीकत में बदल दिया है. बिना सरकारी फंड के उन्होंने अपनी कमाई से गांव में खुद की लागत से सड़कों का निर्माण किया है.

बुरहानपुर. अभी तक आपने समाजसेवियों की कई कहानियां सुनी होंगी, उनको लोग उनके कामों के लिए याद भी करते हैं. मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के जैनाबाद में रहने वाले समाज सेवी अनिल राठौड़ ऐसे हैं कि उन्होंने अपने बचपन में कुछ सपने देखे थे. गांव का मॉडल उन्होंने कॉपी किताबों पर तैयार किया था. उस मॉडल को पूरा करने के लिए वह अपनी जी जान लगा चुके हैं.

अपने स्वयं की राशि से वह हमेशा सड़कों का निर्माण करते हैं. इस बार भी उन्होंने श्मशान घाट और ताप्ती नदी के तट पर स्थित प्राचीन मंदिरों तक पहुंचने के लिए करीब एक करोड़ रुपए की लागत से डेढ़ किलोमीटर का मार्ग बना दिया है. इस काम के लिए उनकी पूरे जिले में प्रशंसा हो रही है. अनिल राठौड़ कंस्ट्रक्शन का काम करते हैं उनके पिता किसान हैं.

लोकल 18 की टीम ने जब समाजसेवी जैनाबाद में रहने वाले अनिल कडू राठौर से बात की तो उन्होंने बताया कि मेरा जन्म इसी गांव में हुआ. मैंने कक्षा दसवीं तक पढ़ाई की मेरा बचपन से ही सपना था कि मैं शहर की तरह अपने गांव को भी विकसित करूं, इसके लिए मैंने लगातार संघर्ष किया. पिछले 30 साल में करीब 2 करोड़ रुपए की लागत के रोड बना दिए. मैंने अपनी स्वयं की राशि इन रोड को बनाने के लिए लगाई है. मैं खुद कंस्ट्रक्शन का काम करता हूं. मैं चाहता हूं कि मेरा क्षेत्र विकसित रहेगा तो मेरे गांव के लोग खुशहाल रहेंगे. व्यापार उद्योग और कृषि में किसान लगातार नवाचार करेंगे, जिससे गांव के लोगों को रोजगार मिलेगा और वह शहर के लोगों को भी रोजगार देंगे.

इतना संघर्ष भरा रहा समाजसेवी का जीवन 
अनिल राठौड़ का जन्म 18 सितंबर 1976 को जैनाबाद के किसान परिवार में माता सुशीला बाई राठौर पिता कडू राठौर के यहां पर हुआ. उन्होंने प्राथमिक शिक्षा सरकारी स्कूल से गृहण की. कक्षा दसवीं तक उन्होंने पढ़ाई की, जिसके बाद वे समाज सेवा में लग गए. उनके पिता खेती किसानी करते थे. इनका बचपन से ही समाज सेवा करने का जुनून था. इस जुनून और जज्बे के कारण वह एक सफल उद्यमी बने और उन्होंने अपने क्षेत्र को विकसित करने के लिए एक मॉडल तैयार कर दिया. आज उनका सपना साकार हो रहा है.

उन्होंने ताप्ती नदी के तट पर डेढ़ किलोमीटर का रोड अपनी स्वयं की राशि से और अपने स्वयं के संसाधनों से बना दिया है. जिस जगह पर लोगों को शव यात्रा ले जाने में तकलीफ होता थी. आज वहां पर फोर व्हीलर वाहन पहुंच रहा है. लोगों को आने-जाने में आसानी हो रही है. जिससे लोग मंदिरों पर भी आसानी से पहुंच रहे हैं. इस काम के लिए अनिल राठौड़ और उनके परिवार की पूरे जिले के लोग प्रशंसा कर रहे हैं. कई प्रशंसक तो उन्हें सूचना मिलने पर दूरभाष से भी बधाई दे रहे हैं. उनका कहना है कि मैं आगे भी अपने गांव के लिए कई विकास के काम करूंगा, क्योंकि मेरा जन्म भी इसी गांव में हुआ है.

ताप्ती नदी में नहीं जानते देंगे गंदा पानी 
अनिल राठौड़ का कहना है कि हमारे गांव से जो भी गंदा पानी ताप्ती नदी में मिलता था. उसके लिए भी हमने एक नवाचार कर दिया है. जगह-जगह पर चेक डैम बनाए गए हैं. जहां पर यह गंदा पानी एकत्रित हो रहा है. इसको फिल्टर कर हम इससे खेती का प्लान तैयार करेंगे. अभी फिलहाल ताप्ती नदी में गंदा पानी हमारे क्षेत्र का नहीं जा रहा है.

Dallu Slathia

Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 7 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across …और पढ़ें

Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 7 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across … और पढ़ें

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न सरकारी फंड, ना मदद… इस शख्स ने गांव के लिए किया ऐसा काम, लोग कर रहे सलाम



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