छतरपुर के मातगुवां थाना क्षेत्र के ग्राम परा में भैंस चोरी और मारपीट की घटना को लेकर ग्रामीणों ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर न्याय की गुहार लगाई है। ग्रामीणों ने पुलिस पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।
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ग्राम परा निवासी अरविन्द यादव ने बताया कि 18 अक्टूबर 2025 को उनके दादा तुलसीदास यादव खेत में नौ भैंसें चरा रहे थे। शाम करीब 6 बजे ग्राम रसुईया ठाकुरन निवासी तेज सिंह परमार और उनके बेटे प्रिंस परमार भैंसों को हांक कर ले जाने लगे।
जब अरविन्द ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, तो आरोपियों ने गाली-गलौज की और लात-घूंसे तथा पत्थर से हमला कर दिया। इस दौरान अरविन्द के गले से सोने का लोकेट भी छीन लिया गया। शोर सुनकर उनके पिता बाबूलाल यादव, चाचा लक्ष्मी यादव और मनऊं यादव मौके पर पहुंचे और किसी तरह अरविन्द को बचाया।
घायल अरविन्द को अस्पताल ले जाया गया और पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई गई।
पीड़ित पक्ष का आरोप है कि पुलिस ने केवल साधारण मारपीट की धाराओं में मामला दर्ज किया, जबकि भैंस चोरी और सोने का लोकेट छीने जाने की बात एफआईआर में शामिल नहीं की गई। उनका कहना है कि अब आरोपी रिपोर्ट वापस लेने की धमकी दे रहे हैं।
अरविन्द ने यह भी बताया कि वारदात के समय आरोपी प्रिंस परमार के पास कट्टा था और अब वह परिवार को जान से मारने की धमकी दे रहा है। इस डर से परिवार गांव से बाहर रह रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि रसुईया ठाकुरन गांव के आरोपी पहले भी बकरियां, जेवरात और मोटर चोरी जैसी घटनाओं में शामिल रहे हैं, लेकिन हर बार मामला अज्ञात आरोपी के रूप में दर्ज किया गया।
ग्रामीणों ने एसपी कार्यालय पहुंचकर एक ज्ञापन सौंपा और मामले की निष्पक्ष जांच तथा आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की।
इस संबंध में मातगुवां थाना प्रभारी अंकुर चौबे ने बताया कि घटना के समय यादव परिवार ने केवल मारपीट की शिकायत दर्ज कराई थी, भैंस चोरी का जिक्र नहीं किया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि परमार पक्ष ने भी शिकायत दर्ज कराई थी और पुलिस ने परमार पक्ष के दो लोगों के खिलाफ मारपीट की धाराओं में मामला दर्ज किया है।