रीवा राजवंश की झलक लिए अनूपपुर की बघेल हवेली, 400 साल बाद भी जस की तस खड़ी

रीवा राजवंश की झलक लिए अनूपपुर की बघेल हवेली, 400 साल बाद भी जस की तस खड़ी


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Baghel Haveli: मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले के कोतमा तहसील के कोठी गांव में बघेल परिवार की 400 साल पुरानी कोठी है. बताया जाता है कि रीवा से निकलकर बघेल राजवंश के कुछ सदस्य कोठी आकर बसे थे तभी से यहां बघेल परिवार निवास करता है. इस कोठी में बघेल परिवार की 16 पीढ़ियां रही है. इस कोठी यानि हवेली की नक्काशी रीवा किले से मिलती-जुलती है.

अनूपपुर के कोतमा में कोठी गांव में बघेल परिवार की 400 साल पुरानी कोठी है. बताया जाता है कि रीवा से निकलकर बघेल राजवंश के कुछ सदस्य कोठी आकर बसे थे तभी से यहां बघेल परिवार निवास करता है. इस कोठी में बघेल परिवार की 16 पीढ़ियां रही है.

सैकड़ो वर्ष पुरानी है कोठी

अनूपपुर जिले के कोतमा पंचायत में आने वाले कोठी गांव का अपना एक इतिहास है. कोठी गांव में बनी कोठी (हवेली) में बघेल राजाओं का इतिहास मिलता है. बताया जाता है कि ये कोठी (हवेली) 400 साल पुरानी है और आज भी शान से खड़ी है. यहां रहने वाले बघेल परिवार बताते हैं कि ये उनके पुरखों की हवेली है. यहां उनकी 16 पीढ़ियों ने निवास किया है.

हवेली के नाम पर गांव का नाम

कोठी में रहने वाले बघेल परिवार बताते हैं कि उनके पूर्वज गुजरात से आए थे. गुजरात में बघेल राजाओं को चालोक्य राजाओं के नाम से जाना जाता था. जब ये राजा मध्य प्रदेश आए तो यहां बघेल राजा कहलाए. बघेल परिवार के लोग बताते हैं कि करीब 400 साल पहले उनके पूर्वज रीवा से कोठी आए थे. उनकी इस कोठी (हवेली) के नाम पर ही गांव का नाम भी कोठी पड़ा.

हवेली के अंदर कुआ भी है

कोठी के बारे में बताते हुए यहां रहने वाले परिवार के लोग कहते हैं कि इस कोठी में उनकी 16 पीढ़ियों ने जीवन बिताया है. आज भी उनका परिवार इसी हवेली में रहता है. ये हवेली 3 से साढ़े 3 एकड़ में फैली हुई है. लोग बताते हैं कि 400 साल बीत जाने के बाद भी उनकी ये हवेली आज भी अच्छी हालत में है. हालांकि कुछ कमरे देखरेख के अभाव में जर्जर हो गए हैं लेकिन हवेली का मुख्य हिस्सा आज भी अच्छी स्थिति में है. इसके अलावा कोठी के अंदर बने कुएं के अंदर पुरातत्व महत्व की मूर्तियां लगी हुई है.

आजादी के बाद राजतंत्र समाप्त हुआ

बघेल परिवार के इतिहास के बारे में बताते हुए बघेल परिवार ने कहा कि उनके परिवार को यहां इलाकेदार कहा जाता था, उनकी कोठी 150 गांवों का केन्द्र होती थी. 400 साल पहले इलाकेदार ठाकुर विष्णु कुमार सिंह ने इस कोठी को बनवाया था. इसके बाद शिव कुमार सिंह तथा चंद्र कुमार सिंह यहां के इलाकेदार हुए. सूर्य कुमार सिंह यहां के अंतिम इलाकेदार रहे, उसके बाद स्वतंत्रता के समय 1947 में राजशाही व्यवस्था समाप्त हो गई.

अनूपपुर का सबसे पुराना गांव

ग्राम पंचायत कोठी में वर्तमान समय में लगभग 3000 की आबादी निवासरत है तथा गांव में 20 वार्ड हैं . पूर्व में यहां सिर्फ इलाकेदार की कोठी हुआ करती थी. लेकिन अब आसपास ग्रामीणों ने भी अपना निवास बना लिया है.

कोठी के गवाह गांव वाले

रीवा के बघेल राजवंश के कुछ सदस्य अनूपपुर चले गए जहां उन्होंनें इस कोठी का निर्माण कराया था. इन बातों का दावा कोठी गांव के लोग और हवेली में रहने वाले परिवार के लोग करते हैं.

रीवा किले की नक्काशी

कोठी गांव में बनी इस हवेली की बनावट रीवा किले से मिलती-जुलती है. दरवाजे, खिड़की, रेलिंग यहां तक कि इस हवेली में उपयोग किया गया पत्थर भी रीवा किले जैसा ही प्रतीत होता है. जो इस हवेली का संबंध रीवा राजवंश से होने की गवाही देता है.

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