Bhai Dooj 2025: आज नहीं कल..! भाई दूज कब है? उज्जैन के आचार्य से जानिए तिलक का सही समय और महत्व

Bhai Dooj 2025: आज नहीं कल..! भाई दूज कब है? उज्जैन के आचार्य से जानिए तिलक का सही समय और महत्व


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Bhai Dooj 2025 Date: भाई दूज भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर आरती उतारती हैं और मिठाई खिलाती हैं. इस पर्व का महत्व यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ा है, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं.

Bhai Dooj 2025. दीपावली के बाद कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भैया दूज का पर्व मनाया जाता है. इस तिथि का संबंध यमराज से होने के कारण इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं और उनकी लम्बी उम्र की कामना करती हैं. ऐसा माना जाता है कि जो भाई इस दिन बहन से तिलक करवाता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है. आइए जानते है उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज से भाई दूज की सही तिथि व शुभ मुहूर्त और महत्व.

वैदिक पंचांग के अनुसार, अबकी बार कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि जिसमें भाईदूज का पर्व मनाया जाता है वह दिवाली के दो दिन बाद लग रहा है. यानी 23 अक्टूबर को, क्योंकि 22 अक्टूबर को कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि का आरंभ रात में 8 बजकर 17 मिनट लगभग पर हो रहा है और द्वितीय तिथि का समापन 23 अक्टूबर को रात 10 बजकर 47 मिनिट के लगभग पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार भाईदूज का पर्व 23 अक्टूबर को मनाया जाना शास्त्र सम्मत होगा.

तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त?
पंचांग के अनुसार, 23 अक्टूबर 2025 को तिलक लगाने का सबसे शुभ समय दोपहर 1:13 बजे से 3:28 बजे तक रहेगा. यह शुभ काल 2 घंटे 15 मिनट तक रहेगा, जिसमें बहनें अपने भाइयों को तिलक कर सकती हैं और उनके कल्याण की कामना करते हुए पूजा कर सकती हैं.

इसलिए मनाया जाता है भाई दूज पर्व
भाई दोज का त्योहार भाई और बहन के मजबूत रिश्ते का प्रतीक है. इस दिन बहनें भाई के माथे पर तिलक लगाकर लंबी उम्र की कामना करती हैं. वहीं भाई अपनी बहन को प्रेम स्वरूप उपहार देता है. भाई दूज पर तिलक करने के बाद बहनें भाई को नारियल का गोला उपहार में देती हैं. पौराणिक मान्यता है कि जब यमराज पहली बार यमुना के घर भाई दूज पर पहुंचे थे तो बहन यमुना अपने भाई यमराज का बहुत सत्कार किया था और यमराज को नारियल उपहार में दिया था. तभी से यह परंपरा चली आ रही है..

जिन बहनों के भाई नहीं हैं, वे क्या करें?
ऐसी बहनें अपने घर या आस-पड़ोस के किसी करीबी पुरुष सदस्य को अपना भाई मानकर भाई दूज मनाती हैं. यह पिता, चाचा, भाई समान मित्र या अन्य रिश्तेदार हो सकते हैं. इससे बहन अपने स्नेह, प्रेम और सेवा भाव को व्यक्त कर सकती है और भाई का संरक्षण और आशीर्वाद भी महसूस कर सकती है. भाई दूज केवल रक्त संबंध तक सीमित नहीं रह जाता, बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव को भी प्रकट करता है.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a…और पढ़ें

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Bhai Dooj 2025: आज नहीं कल..! भाई दूज कब है? उज्जैन के आचार्य से जानिए

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.



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