भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के नेत्र वार्ड में मंगलवार की दोपहर सात साल का अलजैन बिलख रहा था। वजह थी दिवाली की रात वह अपने दोस्तों के साथ खेलते हुए ‘देसी पटाखा गन’ चला रहा था। जैसे ही गन ने फायर करना बंद किया, उसने मासूम जिज्ञासा में उसकी नाल में झां
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डॉक्टरों ने बताया कि आंख में अंदर तक कार्बाइड के टुकड़े घुस गए थे। डेढ़ घंटे चले ऑपरेशन में उन्हें निकाल तो दिया गया, लेकिन डॉक्टर अब भी उसकी आंख की रोशनी को लेकर निश्चित नहीं हैं। अलजैन जैसे कई और बच्चे इस खतरनाक ‘देसी पटाखा गन’ के शिकार बने हैं। सोशल मीडिया के वीडियो देखकर यह गन दिवाली का नया ‘ट्रेंड’ बनी, लेकिन अब यह बच्चों की आंखों से रोशनी और परिवारों की खुशियां छीन रही है।
तीन दिन में 122 बच्चे घायल, भोपाल में सबसे ज्यादा केस
देसी पटाखा गन से आंखों के क्षतिग्रस्त होने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। 19 से 21 अक्टूबर शाम 7 बजे तक 122 मामले अलग-अलग अस्पतालों से सामने आ चुके हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 36 केस भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) में दर्ज हुए। विदिशा मेडिकल कॉलेज में 12 और सागर मेडिकल कॉलेज में 3 और इंदौर में 3 केस आए। बाकी केस भोपाल के सरकारी और अस्पतालों और क्लीनिकों में दर्ज हुए हैं।
गांधी मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग में डॉ. एस.एस. कुबरे और डॉ. अदिति दुबे समेत 5 रेजिडेंट डॉक्टरों की टीम इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात हैं। टीम से मिली जानकारी के अनुसार, इस गन से आंखों की कॉर्निया बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो रही हैं।
इस गन को घरेलू तरीके से बनाया जाता है। यह 100-200 रुपए में बिक रही है।
सिर्फ साफ पानी से धोएं, बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें
डॉ. रौनक अग्रवाल ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति की आंख में इस गन के कारण चोट लगे, तो उसे आंख रगड़नी नहीं चाहिए। ऐसा करने से कार्बाइड के कण अंदर घुस जाते हैं, जिससे स्थायी नुकसान हो सकता है। इसमें सबसे बड़ा खतरा कॉर्निया के क्षतिग्रस्त होने का है। कई केस में इमरजेंसी सर्जरी ही विकल्प बनती है। यदि कोई इस गन की चपेट में आए तो ना हाथ लगाएं और ना आंख साफ करने का प्रयास करें।

केस वन- गन नहीं फटी, देखा तो धमाका हो गया भोपाल के पॉलीटेक्नीक क्षेत्र में रहने वाले 7 वर्षीय अलजैन की मां रेश्मा ने बताया कि यह गन हमने पटाखा मार्केट से खरीदी थी। वो चलाते-चलाते रुक गई। अलजैन ने जैसे ही उसकी नाल में झांका, तभी यह फट गई। आंख से खून निकलने लगा, हम घबरा गए। तुरंत उसे लेकर जीएमसी पहुंचे। डॉक्टरों ने कहा कि आंख में अंदर तक कार्बाइड के टुकड़े हैं।
केस टू- 48 घंटे बाद भी आंखों के सामने ‘सफेदी’ नेत्र विभाग में भर्ती एक अन्य मरीज प्रशांत पुराने भोपाल के निवासी हैं। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने आंखों में घुसे कार्बाइड के टुकड़े हटा दिए हैं, लेकिन अब भी उसी आंख से सिर्फ सफेद धुंध दिखाई दे रही है।

सस्ती देसी गन बनी खतरनाक ट्रेंड बाजार में 100 से 200 रुपए में मिलने वाली यह गन अब ‘खतरनाक ट्रेंड’ बन चुकी है। डॉ. एसएस कुबरे ने बताया कि इसमें भरा कैल्शियम कार्बाइड (Calcium Carbide) पानी के संपर्क में आने पर एसीटिलीन गैस (Acetylene Gas) बनाता है। यह गैस विस्फोट के साथ जलती है और सेकेंडों में आंखों, त्वचा और चेहरे को झुलसा देती है।
यह ‘गन’ कोई पटाखा नहीं, बल्कि रासायनिक उपकरण
बीएमएचआरसी की नेत्र विभागाध्यक्ष डॉ. हेमलता यादव के अनुसार, यह गन केमिकल रिएक्शन से विस्फोट करती है। जब गन नहीं चलती, तो बच्चे उसकी नाल में झांकते हैं। उसी समय गैस का दबाव बढ़ता है और धमाका होता है। यह ‘गन’ कोई पटाखा नहीं, बल्कि यह रासायनिक उपकरण हैं। जो पलभर में आंखों की रोशनी छीन सकता है।

गैस से हो सकता है मस्तिष्क को नुकसान
जीएमसी के नेत्र विशेषज्ञ डॉ. अदिति दुबे ने बताया कि एसिटिलीन गैस सांस के जरिए शरीर में पहुंचकर दिमाग और नसों को नुकसान पहुंचा सकती है। लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से ऑक्सीजन की कमी (Hypoxia), सिरदर्द, चक्कर, याददाश्त में कमी, मानसिक भ्रम और मस्तिष्क में सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
सोशल मीडिया बना आग लगाने वाला ट्रेंड भोपाल के निवासी पुष्पेंद्र ठाकुर ने बताया, मैंने इंस्टाग्राम पर इस गन का वीडियो देखा था। असली में देखने के बाद इसे खरीद लिया। डॉक्टरों का कहना है कि रील्स और शॉर्ट वीडियो इस गन को बच्चों में रोमांचक बना रहे हैं, जबकि असल में यह खतरनाक है।
आंखों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है डॉ. हेमलता यादव ने बताया कि इस गन के विस्फोट से आंख की काली पुतली (Iris) और कॉर्निया बुरी तरह डैमेज होते हैं। कई मामलों में स्टेम सेल डिफिशिएंसी से कॉर्निया स्थायी रूप से खराब हो सकता है। ऑप्टिक न्यूरोपैथी और रेटिना में सूजन होने पर मरीज हमेशा के लिए अंधेपन का शिकार हो सकता है। यह बेहद खतरनाक पटाखा है, इसका इस्तेमाल बंद होना चाहिए।

इंदौर में 24 घंटे में 3 बच्चों की आंखों में गंभीर चोटें
इंदौर के वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डॉ. ओ. पी. अग्रवाल ने बताया कि पिछले 24 घंटे में टीम द्वारा ऐसे तीन मरीजों का आपातकालीन इलाज किया गया। जिनकी आंखों में पटाखों और देसी जुगाड़ (कार्बाइड गन) के चलते गंभीर चोटें आईं। इनके अलावा दो बच्चे पारंपरिक क्रैकर्स की चपेट में आए। डॉ. ओ पी अग्रवाल ने कहा कि यदि हम पिछले पंद्रह दिनों का आंकड़ा देखें तो केवल कार्बाइड गन से प्रभावित और भी दो बच्चे अस्पताल में आए, यह संकेत है कि यह समस्या धीरे-धीरे नहीं बल्कि तेजी से बढ़ रही है।
प्रशासन की सख्ती, 19 गन जब्त
बैरासिया में प्रशासन ने 19 कार्बाइड पाइप गन जब्त की हैं। एसडीएम रवीश कुमार श्रीवास्तव के निर्देश पर चार जांच टीमें बनाई गई हैं। इन टीमों ने गोविंदपुरा और जंबूरी मैदान क्षेत्र में जांच शुरू कर दी है। टीमें लगातार बाजारों की निगरानी कर रही हैं।
भोपाल में टीमों की तैनाती इस प्रकार है:
- जंबूरी मैदान और आनंद नगर – पटवारी सुरेंद्र यादव, आशीष मिश्रा
- टीआईटी गोविंदपुरा – महेश राजन, विमलेश गुप्ता
- करोंद कलां – फजल अब्बास, लेखराज लोधी
- छोला क्षेत्र – नीरज विश्वकर्मा, रविंद्र मार्को