एक क्लिक… और अंधेरा! देसी कार्बाइड गन ने 300 बच्चों की छीनी आंखों की रोशनी, एक्सपर्ट से जानें यह कितनी खतरनाक

एक क्लिक… और अंधेरा! देसी कार्बाइड गन ने 300 बच्चों की छीनी आंखों की रोशनी, एक्सपर्ट से जानें यह कितनी खतरनाक


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Desi Gun Causes Severe Eye Injuries: सागर में कैल्शियम कार्बाइड से देसी गन के उपयोग से दिवाली के कुछ दिनों में 300 से ज्यादा आंखों के गंभीर घाव दर्ज हुए. 15 साल से कम उम्र के बच्चे प्रभावित हैं; कई मामलों में कॉर्निया और रेटिना क्षतिग्रस्त हुए. नेत्र विभागाध्यक्ष प्रवीण खरे ने इसे अवैध और खतरनाक करार देते हुए बच्चों को दूर रखने की अपील की.

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Desi Gun Causes Severe Eye Injuries: पिछले कुछ सालों में दिवाली के समय सस्ती और जुगाड़ वाली कैल्शियम कार्बाइड गन का उपयोग बहुत तेजी से बड़ा है, लेकिन यह सस्ती देसी बंदूक बेहद खतरनाक साबित हो रही है, 15 साल से कम उम्र के बच्चों की आंखों को डैमेज कर रही है यहां तक की कई बच्चों की आंखें इतनी अधिक प्रभावित हुई है कि उन पर रोशनी जाने का खतरा भी मंडरा रहा. पिछले तीन-चार दिनों में प्रदेश में इस तरह के 300 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. 11 जिलों में इस तरह की घटनाएं हुई है, जिसके बाद से हड़कंप मचा हुआ है. सागर संभाग के सबसे बड़े बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में नेत्र रोग विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉक्टर प्रवीण खरे बताते हैं कि कार्बाइड की गन का आजकल लोग पक्षियों को भगाने, खेतों से जानवरों को भगाने, तेज आवाज करने या फिर मजे के लिए भी इसका उपयोग कर रहे हैं, लेकिन यह बहुत ही खतरनाक है. क्योंकि इसमें जो विस्फोट होता है वह अचानक हो जाता है. कभी-कभी इसमें जो नाल होती है, उसमें बार-बार जंग लगती है.

इसलिए साफ करना पड़ता है और सफाई देखने के लिए जब उस छेद में से देखते हैं तो कभी-कभी अचानक विस्फोट हो जाता है. उसमें बहुत तरह से इंजरी हो रही हैं जिससे कॉर्निया तक जल जाता है. इसके अलावा जो बारूद के कण निकलते हैं वह पूरे आंख में चिपक जाते हैं उनको एक-एक करके निकलना पड़ता है. कभी-कभी तो विस्फोट इतना तेज होता है कि आंख भी पूरी तरह से हट जाती है, इस तरह के केस आते रहते हैं, दिवाली ही नहीं और भी समय पर इस तरह के केस लगातार आ रहे है. किसी की एक आंख में किसी के दोनों आंख में इंजरी हो जाती है. खासकर बच्चों में जिनको इस तरह के शौक होते हैं उनमें यह देखने को मिल रहा, यह बहुत ही खतरनाक है इसलिए इसे बचना है तो यह अवैध है इसलिए उपयोग ही नहीं करना चाहिए बच्चों को दूर रखना चाहिए.

नेत्र रोग विभाग के एचओडी डॉक्टर प्रवीण खरे बताते हैं कि जब कभी पटाखे चलाने हैं, तो सबसे पहले आंखों की सुरक्षा के लिए प्रोटेक्टिव गिलास पहने, जो काफी मजबूत होते हैं और सामान्य चश्मे की तुलना में यह उनसे अलग होते हैं, जो हमारी आंखों को पूरी तरह से सुरक्षित रखते हैं.अगर कभी कोई गलती से पटाखा की चिंगारी या कोई टुकड़ा आंख में लग जाता है, तो सबसे पहले साफ पानी से अच्छे से आंख को धोए. अगर आंख में प्लास्टिक का या पटाखे का कोई टुकड़ा फस गया है, तो उसे अपने हाथ से बिल्कुल नहीं निकले जल्द से जल्द आंखों के डॉक्टर के पास पहुंचे, क्योंकि अपने हाथ से यह टोका निकलने पर आंखों की रोशनी भी जा सकती है.

बता दें कि गैस लाइटर, प्लास्टिक पाइप और कैल्शियम कार्बाइड से जुगाड़ की देसी गन बनाई जा रही है. इस गन में भरा कैल्शियम कार्बाइड जैसे ही पानी से मिलता है तो एसिटिलीन गैस बनाता है. चिंगारी मिलते ही तेज विस्फोट होता है. पाइप के टूटने पर निकलने वाले छोटे-छोटे प्लास्टिक के टुकड़े छरों को तरह शरीर में घुसकर गंभीर चोटें करते हैं, खासकर आंखों में.

Deepti Sharma

Deepti Sharma, currently working with News18MPCG (Digital), has been creating, curating and publishing impactful stories in Digital Journalism for more than 6 years. Before Joining News18 she has worked with Re…और पढ़ें

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