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एशिया कप के दौरान छूटे 12 कैचों के बाद अब एडिलेड में ये नजारा चिंता की लकीरें और गहरी कर गया है. दोनों ही कैच रेगुलेशन कैच थे जिसको आसानी से पकड़ा जा सकता था पर पिछले कुछ महीनों में गेंद हवा में जाती है तो मन में अब सवाल खड़ा हो जाता है कि कहीं कैच छूट ना जाए
नई दिल्ली. एडिलेड की ठंडी शाम में भारतीय टीम की फील्डिंग ने फिर गर्म चर्चा छेड़ दी. मैदान पर गेंदबाज़ों ने मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ी, मगर कैचों की फिसलती पकड़ ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया. ऑस्ट्रेलिया के लिए बड़ा पारी खेलने वाले मैथ्यू शॉर्ट को पहले 23 रन पर अक्षर पटेल ने जीवनदान दिया और फिर सिराज ने 55 पर उनका आसान सा कैच छोड़ दिया और वही पुराना सवाल दोहरा दिया क्या टीम इंडिया की फील्डिंग वाकई अपने सुनहरे दौर से नीचे जा रही है.
एशिया कप से एडिलेड तक: लगातार गिरता ग्राफ
फील्डिंग के आंकड़ों पर नजर डालें तो समस्या नई नहीं है दरअसल एशिया कप के दौरान भारतीय टीम ने कुल 12 कैच छोड़े थे जो किसी भी शीर्ष टीम के लिए चिंताजनक आंकड़ा है. कोचिंग स्टाफ ने फील्डिंग सत्रों को बढ़ाया जरूर, लेकिन मैदान पर उसका असर अब तक नजर नहीं आ रहा. एक समय था जब रविंद्र जडेजा, विराट कोहली और सुरेश रैना जैसे फील्डर टीम इंडिया की पहचान थे. उनकी फुर्ती और सटीकता ने भारत को कई मैच जिताए लेकिन अब वही टीम कैच टपकाने की आदत से जूझ रही है नतीजतन, गेंदबाज़ों की मेहनत और रणनीति दोनों पर पानी फिरता दिख रहा है. ऐडिलेड में मैथ्यू शॉर्ट को दो जीवनदान देना इस बात की तरफ इशारा कर रहा है.
थकान, लय या फोकस की कमी?
विशेषज्ञों के अनुसार, लगातार मैच खेलने ने खिलाड़ियों के फोकस पर असर डाला है. वहीं कुछ फील्डरों की पोज़िशनिंग और रिफ़्लेक्स पर भी सवाल उठ रहे हैं एडिलेड टेस्ट में छोड़े गए कैच ठीक उसी कैटेगरी में आते हैं “नियंत्रित लेकिन अधूरे प्रयास और सहीं फील्डर का सहीं जगह पर ना होना . वॉशिंंगटन सुंदर की गेंद पर सिराज से जो कैच छूटा तब वो प्वाइंट पर खड़े थे. एक तेज गेंदबाज को इतनी मुश्किल जगह नहीं खड़ा करना चाहिए था.
फील्डिंग कोच पर बढ़ता दबाव
टीम के फील्डिंग कोच पर अब दबाव साफ झलकने लगा है. बीसीसीआई सूत्रों के मुताबिक, अगली सीरीज़ से पहले फील्डिंग कैंप की योजना बनाई जा रही है ताकि खिलाड़ी अपनी पुरानी धार वापस पा सकें. क्रिकेट में रन और विकेट जितने अहम हैं, उतनी ही अहम है पकड़ चाहे वो गेंद की हो या मौके की टीम इंडिया अगर बड़ी टूर्नामेंट जीतने का सपना देख रही है, तो उसे अपनी फील्डिंग के इस ढीले छोर को तुरंत कसना होगा क्योंकि क्रिकेट में कहा भी गया है पकड़ो कैच जीतो मैच.