फैक्टरी में काम करने वाले 88 वर्षीय कंवर राज बिज्जन रिटायर हुए तो उन्होंने सोचा था कि बेटा राकेश उनकी और उनकी पत्नी शशि की देखभाल करेगा। बेटे ने किराए का मकान होने की बात कहते हुए वृद्ध माता-पिता को वृद्धाश्रम छोड़ दिया, जबकि उनका बेटा टीकमगढ़ में किरा
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कई सालों से बिज्जन दंपत्ति माधव बाल निकेतन एवं वृद्धाश्रम में रहकर अपना जीवन बसर कर रहे थे। कंवर राज बिज्जन की मृत्यु के बाद गुरुवार को उनकी पत्नी शशि ने जीआरएमसी पहुंचकर अपने पति की अंतिम इच्छा को पूरा करते हुए देहदान की प्रक्रिया पूरी की।
वृद्धाश्रम के चेयरमैन नूतन श्रीवास्तव ने बताया कि संतान की बेरुखी के चलते बिज्जन दंपत्ति ने मरने के बाद अपनी देह जीआरएमसी को दान करने का निर्णय लिया था। उन्होंने 3 साल पहले देहदान का फार्म भरा था। कंवर राज बिज्जन की तबियत एक सप्ताह से खराब चल रही थी। गुरुवार को तड़के उन्होंने अंतिम सांस ली।
उनकी मृत्यु के उपरांत उनकी पत्नी शशि बिज्जन ने पति की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए उनकी देह को जीआरएमसी में दान करने की बात कही। इस अवसर पर उनका बेटा राकेश बिज्जन भी मौजूद था। सुबह कंवर राज के पार्थिव देह को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
देहदान करने वाले को गार्ड ऑफ ऑनर देने पुलिस कहां से आएगी, यह किसी को नहीं पता।
शासन ने देहदान को बढ़ावा देने के लिए आदेश जारी किया है कि जिस व्यक्ति के मरने के बाद देहदान होगा, उसके पार्थिव शरीर को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा। यह गार्ड ऑफ ऑनर देने के लिए पुलिस कैसे आएगी, इसकी जानकारी पुलिस तो दूर अधिकारियों तक को नहीं है। कंवर राज बिज्जन के मामले में यही देखने में आया।
वृद्धाश्रम के चेयरमैन नूतन श्रीवास्तव ने बताया कि कंवर राज बिज्जन के देहदान करने की बात उन्होंने जनकगंज थाना पुलिस को बताई तो पुलिस कर्मियों को ही नहीं पता था कि गार्ड ऑफ ऑनर के लिए पुलिस बल कैसे आएगा? इसके बाद उन्होंने कलेक्टर रुचिका चौहान को इस बारे में बताया।
कलेक्टर ने एसडीएम से बात करने के लिए कहा, तब जाकर लाइन से पुलिस बल वहां पहुंचा और गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। अब तक जीआरएमसी के एनाटोमी विभाग में 50 लोग देहदान कर चुके हैं। सबसे पहला देहदान पद्मश्री लीला फाटक का हुआ था।