इस पेड़ के पत्तों पर भगवान कृष्ण ने खाया था माखन, हैरान करने वाली 2 कहानी

इस पेड़ के पत्तों पर भगवान कृष्ण ने खाया था माखन, हैरान करने वाली 2 कहानी


Last Updated:

Rewa News: हृदय लाल सिंह ने लोकल 18 को बताया कि आयुर्वेद में कृष्ण बरगद का उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है, जैसे- खून साफ करना, पाचन सुधारना, सर्दी-जुकाम से राहत, घाव का इलाज और सूजन कम करना. इसके पत्तों के दूध का इस्तेमाल दर्द निवारक के तौर पर किया जाता है और इसकी छाल और पत्तों का उपयोग जलन और त्वचा रोगों में होता है.

रीवा. मध्य प्रदेश के रीवा जिले में स्थित उद्यानिकी में कृष्ण बरगद नाम का एक पेड़ हैं, जिसे संरक्षित करने का काम वन विभाग की तरफ से किया जा रहा है. यह पेड़ अभी छोटा है. इस पेड़ की खासियत इसकी पत्तियां हैं. इसके बड़े पत्ते कटोरी के जैसे होते हैं और छोटे पत्ते चम्मच की तरह होते हैं. कहा जाता है कि भगवान कृष्ण जब पड़ोस के घरों से माखन चुराया करते थे और मां यशोदा की डांट से बचने के लिए भगवान चुराया हुआ माखन इस पेड़ के पत्तों की कटोरी बनाकर वहीं छिपा देते थे.

रीवा के सहायक वन संरक्षक सामाजिक वानिकी हृदय लाल सिंह ने लोकल 18 को बताया कि कान्हा ने जिस पेड़ के पत्तों में रखकर माखन खाया था, उसकी हर डाल पर आज भी ‘कटोरी-चम्मच’ जैसे आकार में पत्ते उगते हैं. दुर्लभ, दिव्य और अलौकिक माना जाने वाला यह कृष्ण बरगद का पेड़ रीवा के वन विभाग के उद्यानिकी में मौजूद है. यह पेड़ अभी छोटा है. इसे संरक्षित करने का काम किया जा रहा है. जिसके बाद इसे दूसरी जगहों पर भी भेजा जाएगा. इस पेड़ का लेकर पहली मान्यता यह है कि मैया यशोदा ने कन्हैया को पहली बार इसी वटवृक्ष के पत्तों में रखकर माखन खिलाया था.

पेड़ को लेकर एक और मान्यता
वहीं दूसरी मान्यता यह है कि भगवान कृष्ण पड़ोस के घरों से जब माखन चुराया करते थे और मां यशोदा की डांट से बचने के लिए चुराया हुआ माखन इस पेड़ के पत्तों की कटोरी बनाकर छिपा देते थे. ऐसा कहा जाता है कि ईश्वर का सानिध्य और स्पर्श पाकर यह पेड़ अलौकिक और दिव्य बन गया था. मान्यता है कि कन्हैया को मक्खन खिलाने के लिए इसका हर पत्ता कटोरी और चम्मच जैसे आकार में उगने लगा था. आज भी इस कृष्ण बरगद के पत्ते कटोरीनुमा आकार में होते हैं.

इलाज में होता है इस्तेमाल
हृदय लाल सिंह ने आगे बताया कि आयुर्वेद में कृष्ण बरगद का उपयोग कई शारीरिक समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है, जैसे- पाचन सुधारना, खून साफ करना, सर्दी-जुकाम से राहत, सूजन कम करना और घाव का इलाज. इसके पत्तों के दूध का उपयोग दर्द निवारक के तौर पर और इसकी छाल और पत्तों का उपयोग जलन और त्वचा रोगों के लिए होता है.

यह एक विलुप्त प्रजाति का पौधा है, जो बहुत ही कम देखने को मिलता है. विलुप्त प्रजाति का होने के चलते अब इसके पौधे मिल नहीं पाते, जिससे आयुर्वेद के इलाज में इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है.

Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

न्यूज़18 हिंदी को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homemadhya-pradesh

इस पेड़ के पत्तों पर भगवान कृष्ण ने खाया था माखन, हैरान करने वाली 2 कहानी

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.



Source link