शेफाली बन सकती है 2017 की हरमनप्रीत, प्रतिका के ‘रन’वे पर पारी चलाने की चुनौती

शेफाली बन सकती है 2017 की हरमनप्रीत, प्रतिका के ‘रन’वे पर पारी चलाने की चुनौती


नई दिल्ली. खेल क्रूर होता है ये जब आपको लगता है कि सब कुछ ठीक चल रहा है और नकारात्मकता पीछे छूट चुकी है, तभी कुछ ऐसा घटता है जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होती. प्रतीका रावल का टखना टूटना खेल की सबसे क्रूर सच्चाई का उदाहरण है लेकिन अब जब शेफाली वर्मा  टीम में  लौटकर उनकी जगह ले रही हैं, तो हमें उस पर भरोसा करना होगा कि वह वह निरंतरता पा सके जिसकी कमी अब तक रही है.

प्रतीका रावल ने बांग्लादेश के खिलाफ मैच में  गेंद रोकने की कोशिश में ज़्यादा दौड़ लगा दी और फिर गंभीर टखने की चोट झेलनी पड़ी. हालात देखकर साफ था कि उनका विश्व कप अब खत्म हो चुका है. 308 रन  जिसमें न्यूज़ीलैंड के खिलाफ विजयी शतक भी शामिल था . प्रतीका इस टूर्नामेंट में भारत की स्टार खिलाड़ी थीं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ग्रुप मैच में भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया था इसीलिए सेमीफ़ाइनल में उनका न होना भारत के लिए बड़ा झटका है.

प्रतिका को ऋषभ पंत से सीखना होगा 

अब यह भी साफ है कि प्रतिका अगले पाँच से छह महीनों तक मैदान से बाहर रहेंगी.  किसी भी खिलाड़ी के लिए यह झटका होता है, और जब आप युवा हों और अपनी पहचान बना रहे हों, तब यह और कठिन हो जाता है.  यह प्रतीका की परीक्षा होगी  उनके धैर्य और मानसिक मज़बूती की.  यही वह समय है जब हमें, बतौर प्रशंसक और विश्लेषक, उनके साथ खड़ा रहना चाहिए और हर तरह का समर्थन देना चाहिए.  सुधार के इस दौर के बाद वह निश्चित ही ज़्यादा समझदार और बेहतर खिलाड़ी बनकर लौटेंगी  मैदान के अंदर और बाहर, दोनों जगह.  उनका इलाज डॉ. दिनशॉ पारडीवाला कर रहे हैं, और सच कहें तो उनसे बेहतर इस काम के लिए कोई नहीं। मैं यह भी चाहूँगा कि डॉ. पारडीवाला प्रतीका की मुलाकात ऋषभ पंत से करवाएँ  उनकी बातें प्रतीका को आत्मविश्वास और उम्मीद दे सकती हैं.

शेफाली के पास स्टार बनने का मौका 

भारत ने उनके स्थान पर शैफाली वर्मा को शामिल किया है. यह एक तार्किक निर्णय है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम के खिलाफ उनके लिए यह आसान नहीं होगा  फिर भी, यह उनके लिए एक बड़ा मौका है. अगर वह अच्छा प्रदर्शन करती हैं, तो रातों-रात स्टार बन सकती हैं. सेमीफ़ाइनल उनके धैर्य की परीक्षा होगा, और उन्हें वही शब्द याद रखने होंगे जो सचिन तेंदुलकर ने 2020 के वर्ल्ड टी20 से पहले उनसे कहे थे, जब शैफाली ने पहली बार विश्व मंच पर अपनी छाप छोड़ी थी. शेपाली की  प्रतिभा पर किसी को संदेह नहीं, पर अस्थिरता ने उन्हें बार-बार निराश किया है और यही वह चीज़ है जिस पर उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ काबू पाना होगा.  यह 50 ओवरों का मैच है, 20 ओवरों का नहीं.  जैसे हम पूरी तरह प्रतीका का समर्थन कर रहे हैं, वैसे ही हमें शैफाली का भी साथ देना होगा. यह मौका उनके लिए है  खुद के लिए और भारत के लिए.  अगर वह सफल होती हैं, तो यह प्रतीका के लिए सबसे अच्छा तोहफ़ा होगा, जब वह अपने पुनर्वास की शुरुआत कर रही होंगी.

यह एक बहुत ही युवा भारतीय टीम है और वह ऐसी भाषा बोल रही है जिसे देखकर हर कोई तालियाँ बजाएगा. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यह मैच ऐतिहासिक हो सकता है जैसे 2017 में डर्बी में हुआ था, जब हरमनप्रीत कौर की अविश्वसनीय 171 रनों की पारी ने ऑस्ट्रेलिया को ध्वस्त कर दिया था. हम सब यही उम्मीद करेंगे कि शैफाली भी उसी तरह कमाल करें.



Source link