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Thailand Barbati Farming: बालाघाट के ग्रेजुएट किसान प्रहलाद राहंगडाले ने थाईलैंड की बरबटी वैरायटी से जमकर उत्पादन लिया है. उससे जमकर मुनाफा भी कमा रहे है.
Agriculture Tips: भारत एक कृषि प्रधान देश है . एक दौर था जब किसान सिर्फ पारंपरिक खेती करते थे. लेकिन अब किसान स्मार्ट हो रहे है और खेती का तरीका भी बदल रहे है. ऐसे में उन्हें आर्थिक लाभ भी हो रहा है. साथ ही खेती में फसल चक्र भी आ रहा है, जिससे भूमि की उर्वरता भी बनी रहती है. एक ऐसे ही किसान बालाघाट जिले के बगड़मारा गांव में रहते हैं, जिन्होंने एग्रीकल्चर से ग्रेजुएशन किया और अब उसे अपने खेत में अप्लाई कर रहे है. फिलहाल उन्होंने एक बरबटी की उन्नत किस्म भी लगाई है, जो बेहद खास है. उसका उत्पादन तो अच्छा है ही लेकिन बरबटी की लंबाई भी तीन फीट तक है. जानिए बरबटी की खेती क्यों खास…
बालाघाट के ग्रेजुएट किसान प्रहलाद राहंगडाले ने बताया कि कई कंपनियां उन्हें ट्रायल के तौर पर बीज देती है. लेकिन बीज तो सिर्फ एक फैक्टर है. उन्होंने अपनी मेहनत से किसी भी बीज से की खेती को सफल कर देते हैं. ऐसे में उन्होंने थाईलैंड की वैरायटी से जमकर उत्पादन लिया है. अब उनकी बरबटी से जमकर उत्पादन लिया और उससे जमकर मुनाफा भी कमा रहे है. उनकी डेढ़ फीट से लेकर तीन फीट तक लंबी हो रही है. वहीं, हर सप्ताह करीब 70 किलो तक का उत्पादन ले रहे है. फिलहाल बरबटी की कीमत 40 से 60 रुपए तक बिक रही है. उन्होंने सिर्फ 25 डिसमिल से भी कम जमीन में बरबटी की खेती की है.
पूरी तरह जैविक तरह से की खेती
प्रहलाद ने बताया कि उन्होंने इसे बड़ी मेहनत से उगाया है. खास बात ये है कि रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया ही नहीं. उन्होंने खेत में पूरी तरह से जैविक खाद का इस्तेमाल किया है. वहीं, रोग और कीट भी कम से कम लगे है. इसके लिए उन्होंने जैविक कीटनाशकों का भी इस्तेमाल किया है, जिसमें नीमास्त्र और ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल किया है. वहीं, खरपतवार से बचाने के लिए उन्होंने समय-समय पर निराई गुड़ाई भी की है. इससे उनकी फसल को नुकसान भी कम से कम हुआ है.
स्मार्ट किसान की ये है खास ट्रिक
आमतौर पर किसान भाई ज्यादा उत्पादन के लिए ज्यादा से ज्यादा बीज बोते है लेकिन प्रहलाद ने एक उचित दूरी में बीज लगाए. वहीं, किसान भाई बरबटी के बेलों को सहारा नहीं देते है, जिससे फलियों की ग्रोथ के लिए जगह कम है. लेकिन उन्होंने बांस की बल्लियों में रस्सी बांध बेलों को सहारा दिया है. इससे बेलों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिलती है. ऐसे में पौधा अच्छी तरह भोजन बनाता है और अच्छी ग्रोथ होती है. इससे फलियों में गुणवत्ता आती है और उत्पादन भी अच्छा होता है.
7 वर्षों से पत्रकारिता में अग्रसर. इलाहबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स इन जर्नालिस्म की पढ़ाई. अमर उजाला, दैनिक जागरण और सहारा समय संस्थान में बतौर रिपोर्टर, उपसंपादक औऱ ब्यूरो चीफ दायित्व का अनुभव. खेल, कला-साह…और पढ़ें
7 वर्षों से पत्रकारिता में अग्रसर. इलाहबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स इन जर्नालिस्म की पढ़ाई. अमर उजाला, दैनिक जागरण और सहारा समय संस्थान में बतौर रिपोर्टर, उपसंपादक औऱ ब्यूरो चीफ दायित्व का अनुभव. खेल, कला-साह… और पढ़ें