हर बीमारी की एक दवा! बढ़ाए इम्युनिटी-मिटाए थकान, बघेलखंड में कहते देसी डॉक्टर

हर बीमारी की एक दवा! बढ़ाए इम्युनिटी-मिटाए थकान, बघेलखंड में कहते देसी डॉक्टर


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Satna News: आधुनिक जीवनशैली में स्ट्रेस आम बात हो गई है लेकिन गिलोय का सेवन मानसिक थकान और तनाव को भी कम करता है. यही वजह है कि बघेलखंड के लोग आज भी इस औषधीय बेल को अपनी दिनचर्या में शामिल करते हैं. गिलोय केवल एक पौधा नहीं बल्कि देसी डॉक्टर है, जो हर घर की सेहत की रखवाली करता है.

सतना. बघेलखंड की धरती पर आज भी ऐसे कई पारंपरिक नुस्खे हैं, जो आधुनिक दवाओं को भी मात दे सकते हैं. इन्हीं में से एक है गिलोय, जिसे आयुर्वेद में अमृत बेल और अमृता कहा गया है. यह बेल किसी वरदान से कम नहीं क्योंकि यह शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने से लेकर थकान मिटाने, बुखार और पाचन की समस्या को दूर करने तक हर तरह की बीमारियों में असरदार मानी जाती है. स्थानीय लोग इसे देसी डॉक्टर के नाम से भी जानते हैं.

आयुर्वेद का वरदान अमृत बेल
वैद्यों का मानना है कि गिलोय यानी अमृत बेल शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है और प्लेटलेट्स की मात्रा को भी नियंत्रित रखती है. यही कारण है कि डेंगू या वायरल जैसी बीमारियों में इसके काढ़े का सेवन बेहद लाभकारी माना जाता है. बघेलखंड के कई ग्रामीण इलाकों में आज भी लोग एलोपैथिक दवाओं से पहले गिलोय का सहारा लेते हैं.

अनुभव और परंपरा
लोकल 18 से बातचीत में सतना की रामटेकरी नर्सरी के रोपनीय प्रभारी विष्णु कुमार तिवारी ने बताया कि गिलोय को आयुर्वेद में गुरुचि नाम से भी जाना जाता है. यह बेल दूसरे पेड़ का सहारा लेकर बढ़ती है और इसकी पत्तियां, तना तथा जड़ तीनों औषधीय गुणों से भरपूर हैं. गिलोय का काढ़ा या चूर्ण नियमित सेवन से इम्युनिटी मजबूत होती है, पाचन तंत्र बेहतर होता है और त्वचा में निखार आता है. इसके अलावा यह भूख भी बढ़ाता है और शरीर को चुस्त रखता है.

सेवन के तरीके और फायदे
गिलोय का सेवन कई रूपों में किया जा सकता है, जिसमें काढ़ा, चाय या जूस शामिल हैं. सुबह शाम इसका जूस लेने से मधुमेह जैसी गंभीर बीमारी को भी नियंत्रण में रखा जा सकता है. इसमें पाए जाने वाले तत्व लिवर को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं, जिससे शरीर में ऊर्जा और ताजगी बनी रहती है.

तनाव मिटाए और मन को रखे शांत
आधुनिक जीवनशैली में तनाव आम बात हो गई है लेकिन गिलोय का सेवन मानसिक थकान और स्ट्रेस को भी कम करता है. यही कारण है कि बघेलखंड के लोग आज भी इस औषधीय बेल को अपनी दिनचर्या में शामिल करते हैं क्योंकि गिलोय सिर्फ एक पौधा नहीं बल्कि देसी डॉक्टर है, जो हर घर की सेहत की रखवाली करता है.

Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

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Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.



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