Last Updated:
Agriculture News: खरगोन के कृषि वैज्ञानिक डॉ राजीव सिंह ने लोकल 18 से कहा कि चने की बुआई से पहले न सिर्फ बीजोपचार करना बहुत जरूरी है बल्कि सही तरीके से इसे करना भी जरूरी है, वरना बीजोपचार के बाद भी बीमारियां लग जाती हैं.
खरगोन. मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में रबी सीजन की शुरुआत अक्टूबर के पहले सप्ताह से ही हो चुकी है. इस दौरान किसान चना बोने की तैयारी में जुटे हुए हैं. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, चने की फसल में अक्सर सूखने (विल्ट) की समस्या देखी जाती है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है लेकिन अगर किसान बुआई से पहले सही तरीके से चने का बीजोपचार कर लें, तो यह समस्या जड़ से खत्म हो सकती है.
इन पांच चीजों से करें चने का बीजोपचार
डॉ राजीव सिंह ने आगे कहा कि चने में बीजोपचार के लिए किसान एक किलो बीज के लिए 2.5 ग्राम कार्बोक्सिन और पांच ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर से बीजोपचार करें. यह फफूंदनाशक उपचार फसल को मिट्टी जनित बीमारियों से बचाता है और पौधों की प्रारंभिक ग्रोथ को मजबूत बनाता है. इसके अलावा चने की फसल में जड़ों पर गांठें (नोड्यूल्स) बढ़ाने के लिए किसान एक ग्राम अमोनियम मोलिब्डेट का प्रयोग करें. इससे पौधों में नाइट्रोजन फिक्सेशन की प्रक्रिया बेहतर होती है और उत्पादन में बढ़ोतरी होती है.
बीजोपचार में इन्हें भी करें शामिल
बीजोपचार में रायजोबियम कल्चर और पीएसबी (फॉस्फेट सॉल्यूबिलाइजिंग बैक्टीरिया) कल्चर को भी शामिल करना चाहिए. दोनों का उपयोग एक किलो बीज पर 5-5 ग्राम किया जा सकता है. यह जैव उर्वरक मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं और पौधों को पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण करने में मदद करते हैं.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.