जब राजधानी बनते-बनते चूक गया जबलपुर…फिर बना संस्कारधानी, भोपाल का नाम…

जब राजधानी बनते-बनते चूक गया जबलपुर…फिर बना संस्कारधानी, भोपाल का नाम…


Last Updated:

Jabalpur News: जब राजधानी बनाने की बात आई, तब कई सारे शहरों ने दावेदारी की. चूंकि जबलपुर नागपुर के नजदीक था, लोगों को पूरी उम्मीद थी कि अब मध्य प्रदेश की राजधानी जबलपुर को ही बनाया जाएगा. हालांकि इस रेस में भोपाल और ग्वालियर भी काफी आगे चल रहे थे लेकिन जबलपुर का नाम सबसे ऊपर था क्योंकि जबलपुर नर्मदा नदी किनारे बसा बड़ा शहर था.

जबलपुर. मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस 1 नवंबर को मनाया जाता है. स्थापना दिवस के मौके पर जबलपुर को आज भी कहीं न कहीं मलाल रहता है. लोगों को वह बात आज भी चुभती है, जब जबलपुर राजधानी बनने ही जा रहा था लेकिन ऐन मौके पर जबलपुर शहर राजनीति का शिकार हो गया और राजधानी बनते-बनते चूक गया. जैसे ही भोपाल को राजधानी बनाने की घोषणा हुई, वैसे ही जबलपुर में सन्नाटा पसर गया. राजधानी बनने के बाद एक तरफ भोपाल में जहां पटाखे फूट रहे थे, वहीं जबलपुर में सन्नाटा था. स्थापना दिवस के कुछ दिन बाद दीवाली भी आई लेकिन लोगों ने दीवाली तक नहीं मनाई. हालांकि जबलपुर में इस दौरान विधानसभा भवन के लिए भी जमीन जुटा ली गई थी और इमारत भी बनकर लगभग तैयार हो चुकी थी लेकिन सभी बातें और बिल्डिंग इतिहास के पन्नों तक ही सीमित रह गई. चलिए आपको सुनाते हैं दास्तां, ले चलते हैं साल 1956 में.

1956 के पहले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र का नागपुर सहित कुछ हिस्सा एक प्रदेश हुआ करता था, जिसे मध्य भारत के नाम से भी जाना जाता था लेकिन साल 1956 में राज्य के पुनर्गठन की मांग उठी. बाकायदा कमेटी भी बनाई गई, जिन्होंने पूरी पृष्ठभूमि तैयार की. नागपुर महाराष्ट्र के हिस्से में जाना तय था. हालांकि मध्य भारत का ऑफिस नागपुर ही हुआ करता था, जहां से सारे कार्य हुआ करते थे लेकिन मध्य प्रदेश, जिसमें छत्तीसगढ़ भी पहले शामिल था, इस राज्य की राजधानी बनाने की बात सामने आई.
जबलपुर शहर दौड़ में था सबसे आगे, फिर…
जब राजधानी बनाने की बात आई, तब कई शहरों ने दावेदारी की. चूंकि नागपुर के नजदीक जबलपुर शहर था, लोगों को पूरी उम्मीद थी कि अब मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी जबलपुर को ही बनाया जाएगा. हालांकि इस रेस में भोपाल और ग्वालियर भी काफी आगे चल रहे थे लेकिन जबलपुर का नाम सबसे ऊपर था क्योंकि जबलपुर नर्मदा किनारे बसा बड़ा शहर था. अंग्रेजों का गढ़ रहा था. डिफेंस की फैक्ट्रियां थीं. बड़ी-बड़ी बिल्डिंग थीं. नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भी जबलपुर की सेंट्रल जेल में बंद किया गया था. आजादी के पहले टाउन हॉल में झंडा भी यही फहराया गया था. इतना ही नहीं, हाईकोर्ट भी था. कुल मिलाकर जबलपुर की दावेदारी काफी मजबूत थी लेकिन सब कुछ होने के बाद भी जबलपुर की उम्मीद पर पानी फिर गया.

सरकार ने किया डैमेज कंट्रोल
भोपाल को राजधानी बनाए जाने के बाद जबलपुर के लोगों में काफी गुस्सा था, जिसका नजारा तब दीवाली पर भी देखने को मिला था. दीवाली तक नहीं मनाई गई. हालांकि यह गुस्सा शांत कैसे हो, इस डैमेज को कंट्रोल करने का सरकार ने भरपूर प्रयास किया और काफी हद तक सरकार सफल भी रही. आचार्य विनोबा भावे ने जबलपुर शहर को संस्कारधानी का नाम दिया. इतना ही नहीं, शहर को न्यायधानी नाम भी दिया गया. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से सारे लीगल काम होने शुरू हो गए. जबलपुर के गोलबाजार में मौजूद शहीद स्मारक भवन को विधानसभा का भवन बनाया जाना था, जिसे लगभग तैयार भी कर लिया गया था. इसे वल्लभ भवन की तरह तैयार किया गया था. बहरहाल संस्कारधानी जबलपुर राजधानी नहीं बन पाया लेकिन आज भी यह शहर मध्य प्रदेश में अपनी अलग पहचान रखता है.

Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

न्यूज़18 हिंदी को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homemadhya-pradesh

जब राजधानी बनते-बनते चूक गया जबलपुर…फिर बना संस्कारधानी, भोपाल का नाम…



Source link