टीकमगढ़ के प्राचीन नजरबाग मंदिर में श्रीराम कथा का आयोजन जारी है। शुक्रवार रात संत श्री रविशंकर महाराज (रावतपुरा सरकार) कथा में पहुंचे। उन्होंने प्राचीन श्रीराम जानकी मंदिर में दर्शन कर पूजा-अर्चना की और लगभग एक घंटे तक कथा का श्रवण किया।
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इस अवसर पर संत रविशंकर महाराज ने कहा कि भगवान श्रीराम की महिमा अनंत है। उन्होंने समाज के सभी वर्गों में प्रेम और सौहार्द का संदेश दिया। हमें भी मिलजुल कर रहना चाहिए और घर, परिवार, समाज तथा प्रकृति के प्रति दया का भाव रखना चाहिए।
श्रीराम कथा में बुंदेलखंड पीठाधीश्वर महंत सीताराम दास महाराज ने भगवान श्रीराम के वन गमन और भरत मिलाप का प्रसंग सुनाया। महाराज ने बताया कि प्रेम के वशीभूत होकर भगवान श्रीराम गंगा के किनारे केवट से निवेदन करते हैं। जिन भगवान ने दो पग में संपूर्ण ब्रह्मांड को नाप लिया था, वे गंगा पार जाने के लिए केवट से नाव मांग रहे थे।
केवट ने भगवान से कहा कि वह उन्हें तभी नाव में चढ़ने देगा जब उनके चरण धो लेगा। उसने तर्क दिया कि भगवान के चरणों की रज में मनुष्य बनाने वाला जादू है। यदि उसकी नाव मनुष्य बन गई तो उसके परिवार का भरण-पोषण कैसे होगा।
भगवान के चरणों को केवट ने धोया
महंत सीताराम दास महाराज ने कहा कि जिन भगवान के चरणों को धोने का अवसर ब्रह्मा जी या जनक जी को मिला था, आज उन्हीं चरणों को धोने के लिए केवट कह रहा था। भगवान को भी प्रेम के वशीभूत होकर केवट को चरण धोने की अनुमति देनी पड़ी। केवट ने भगवान के चरणों को धोकर चरणामृत पान किया और उन्हें गंगा पार कराया।
