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Samastipur Cricketer anukul Roy Suryavanshi Homes: समस्तीपुर के क्रिकेट सितारे वैभव सूर्यवंशी और अनुकूल राय अपने मैदान की चमक के बावजूद अपने खानदानी घरों से जुड़े हैं. वैभव का घर ताजपुर में दादा द्वारा बनाया गया लाल ईंटों वाला आंगन है, जबकि अनुकूल का भीरहा गाँव का मिट्टी और ईंटों से बना 1943 का पुश्तैनी घर परंपरा और सादगी का प्रतीक है. दोनों घर उनकी जड़ों और विरासत की पहचान हैं.
समस्तीपुर की धरती से निकले दो नाम आज पूरे देश में जाने जाते हैं, वैभव सूर्यवंशी और अनुकूल राय. दोनों ने क्रिकेट के मैदान पर अपनी मेहनत से पहचान बनाई, लेकिन असल गौरव सिर्फ उनके खेल में नहीं, बल्कि उनके खानदानी घरों में बसता है. जहां से उन्होंने अपने सपनों की शुरुआत की. यह कहानी सिर्फ दो क्रिकेटरों की नहीं, बल्कि उन दो घरों की है, जो आज भी सादगी, परंपरा और जड़ों से जुड़ाव की मिसाल बने हुए हैं.

रोसड़ा प्रखंड के भीरहा गांव में स्थित अनुकूल राय का घर आधुनिक नहीं, लेकिन उसमें अपनी मिट्टी की आत्मा बसी है. यह घर 1943 में उनके परदादा अनुग्रह नारायण राय ने बनवाया था. जब गांव में न सीमेंट थी, न बिजली का उजाला. घर की दीवारें अब भी चिकनी मिट्टी और सुर्खी चुनना से बनी हैं, छत पर खपड़ैल की टाइलें लगी हैं, और बरामदे में रखी लकड़ी की चारपाई आज भी पारिवारिक बैठकी का हिस्सा है.

ताजपुर प्रखंड क्षेत्र के ताजपुर में स्थित वैभव सूर्यवंशी का घर उनके दादा द्वारा बनाया गया था. उस समय यह घर गांव की पहचान हुआ करता था. लाल ईंटों, मोटी दीवारों और ऊंचे दरवाज़ों वाला यह घर आज भी अपनी मजबूती की कहानी कहता है. इसमें बनी लकड़ी की खिड़कियाँ और पुरानी शैली की छत गाँव के इतिहास का हिस्सा हैं.

जब बाकी खिलाड़ी ऊँची कोठियों और मॉडर्न बंगलों में रहते हैं, अनुकूल राय अब भी अपने मिट्टी के घर से जुड़ाव बनाए रखते हैं. हर बार जब वह गांव लौटते हैं, तो उसी पुराने बरामदे में बैठते हैं. जहां कभी दोस्तों के साथ खेलते थे. वैभव सूर्यवंशी का घर भी पुरानी वास्तुकला का उदाहरण है. ऊंची छतें, खुले आंगन और तुलसी चौरा वाला आंगन जो अब भी परंपरा की पहचान है.

अनुकूल राय कहते हैं जब भी मैं इस मिट्टी के घर में कदम रखता हूं. मुझे अपने बचपन की यादें ताकत देती हैं. वहीं वैभव सूर्यवंशी का मानना है कि दादा द्वारा बनाए गए घर ने उन्हें मेहनत और अनुशासन की सीख दी. आज उनके घरों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर छाई रहती हैं, लेकिन इन तस्वीरों के पीछे सिर्फ लकड़ी और ईंटें नहीं, बल्कि एक भावनात्मक रिश्ता छिपा है. दोनों खिलाड़ियों के घर यह बताते हैं कि सफलता ऊंची इमारतों से नहीं, मजबूत नींव और सच्चे संस्कारों से मिलती है.

चाहे अनुकूल राय हों या वैभव सूर्यवंशी, दोनों की पहचान आज राष्ट्रीय स्तर पर है. पर दिल अब भी उसी घर की दीवारों से जुड़ा है जहाँ बचपन की हंसी गूंजती थी. अनुकूल राय के भीरहा गांव का घर और वैभव सूर्यवंशी के ताजपुर का लाल ईंटों वाला मकान ये सिर्फ इमारतें नहीं, बल्कि समस्तीपुर की कहानी हैं, जहाँ संघर्ष की नींव पर सपनों के महल खड़े हुए हैं. ये घर बताते हैं कि भले इंसान दुनिया जीत ले, लेकिन असली सुकून वहीं मिलता है, अपनी मिट्टी, अपने आंगन और अपने लोगों के बीच.