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Agriculture Tips: सर्दियों में सब्जियों की पैदावार कम हो जाती है लेकिन लौकी ऐसी फसल है, जिसे ठंड में भी उगाया जा सकता है. बस थोड़ी देखभाल और सही तरीका अपनाने की जरूरत होती है. किसान चाहें तो सर्द मौसम में भी हरी लौकी की फसल से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
लौकी गर्मी की फसल है लेकिन अब इसके कुछ हाइब्रिड बीज ठंड को भी सहन कर लेते हैं. अगर खेती पॉलीहाउस या टनल में की जाए, तो लौकी की बेलें ठंड में भी अच्छी तरह बढ़ती हैं. सर्दियों में इसकी मांग भी ज्यादा रहती है, जिससे बाजार में अच्छा भाव मिलता है.

लौकी की खेती के लिए खरगोन सहित मध्य प्रदेश के कई जिलों की मिट्टी अच्छी मानी जाती है. विशेषज्ञ कहते हैं कि लौकी के लिए खेत को दो से तीन बार जुताई कर भुरभुरा बना लें. आखिरी जुताई के समय गोबर की सड़ी खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें. खेत में नालियां बनाना जरूरी है ताकि पानी जमा न हो.

सर्दियों में बुवाई नवंबर से जनवरी के बीच करनी चाहिए. बीज को बोने से पहले गुनगुने पानी में 10-12 घंटे भिगो दें, इससे अंकुरण जल्दी होगा. पौध तैयार होने पर उसे खेत में 1.5 से 2 मीटर की दूरी पर लगाएं. इससे बेलों को फैलने की जगह मिलती है.

ठंड में मिट्टी जल्दी सूखती नहीं, इसलिए हर 8-10 दिन में हल्की सिंचाई करें. बहुत ठंडी हवाओं या पाले से बचाने के लिए पौधों को सूखे घास या प्लास्टिक शीट से ढकें. इससे तापमान संतुलित रहेगा और पौधे सुरक्षित रहेंगे.

प्राकृतिक खेती के लिए गोबर की खाद, नीम की खली और जैव उर्वरक का उपयोग करें. अगर रासायनिक खाद डाल रहे हैं, तो प्रति एकड़ 60 किलो यूरिया, 80 किलो डीएपी और 40 किलो एमओपी डालें. पौध बढ़ने पर दो बार हल्की यूरिया की डोज दें.

सर्दियों में पत्तियों पर फफूंद या मक्खी का हमला हो सकता है. इसके लिए नीम तेल या जैविक दवाओं का छिड़काव करें. फल मक्खी से बचने के लिए फेरोमोन ट्रैप लगाना फायदेमंद होता है. पौधों को नियमित रूप से जांचते रहें.

लौकी के फल लगभग 55 से 60 दिन में तैयार हो जाते हैं. कोमल और हल्के हरे रंग की लौकी समय पर तोड़ लें. देरी से तोड़ने पर फल सख्त हो जाते हैं. एक एकड़ में करीब 120 से 150 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है.

एक एकड़ लौकी की खेती पर करीब 35 से 40 हजार रुपये का खर्च आता है. बाजार में ठंड के मौसम में लौकी की कीमत अच्छी मिलती है, जिससे किसान 70 से 80 हजार रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. पॉलीहाउस में खेती करने पर उत्पादन और मुनाफा दोनों बढ़ जाते हैं.