राजगढ़ जिले में किसानों को 5 में पौष्टिक भोजन देने की मुख्यमंत्री किसान भोजन योजना की बदहाल तस्वीर सामने आई। खिलचीपुर कृषि उपज मंडी में किसानों को थाली परोसी जाने वाली कैंटीन में गुटका और सिगरेट बेची जा रही हैं। मंडी के अंदर टेंडरधारी ने होटल खोलकर ज
.
शुक्रवार को जब यह मामला कांग्रेस जिला अध्यक्ष और पूर्व ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह के निरीक्षण के दौरान सामने आया, तो उन्होंने मौके पर पहुंचकर मंडी सचिव से सवाल किए।
प्रियव्रत सिंह: ये क्या जगह है? किसान कैंटीन में होटल क्यों चल रहा है?
दुकानदार: साहब, ये दुकान मुझे टेंडर के जरिए मिली है।
प्रियव्रत सिंह: टेंडर? और तुम्हें तंबाकू या सिगरेट बेचने की अनुमति किसने दी?
दुकानदार: नहीं… वो तो नहीं है साहब।
प्रियव्रत सिंह: दिखाओ, क्या-क्या बेच रहे हो यहां?
दुकानदार: (पैकेट निकालते हुए) ये सिगरेट है साहब…
प्रियव्रत सिंह: किसान कैंटीन में सिगरेट और गुटका बिक रहा है? यह योजना है या मज़ाक? सचिव को बुलाओ अभी!
थोड़ी देर बाद मंडी सचिव गोवर्धनलाल मौके पर पहुंचे
प्रियव्रत सिंह: ये क्या चल रहा है सचिव जी? किसान के लिए बनी कैंटीन में होटल और तंबाकू की दुकान खोल दी गई?
मंडी सचिव गोवर्धनलाल: टेंडर कम रेट में दिया गया था साहब… हमने चार दिन पहले नोटिस भी जारी किया है।
प्रियव्रत सिंह: नोटिस से क्या होगा? योजना किसानों के लिए थी, अब ये कारोबार बन गई है!
5 रुपए की थाली के नाम पर चटनी और जलेबी
निरीक्षण के दौरान प्रियव्रत सिंह ने देखा कि कृषि उपज मंडी के अंदर लगे, कैंटीन में किसानों के लिए न तो नियमित भोजन बन रहा है, न योजना के नियमों का पालन। जहां थाली में पूरी-सब्जी मिलनी थी, वहां सिर्फ कुछ पूड़ियां और एक कटोरी चटनी रखी मिली। बाकी काउंटर पर जलेबी, समोसे और पोहे की ट्रे सजी थी। कई किसानों ने बताया कि यहां कभी भी 5 रुपए में भोजन नहीं मिला। यह तो होटल बन गया है।
योजना नहीं यह किसानों के साथ मजाक है: कांग्रेस
निरीक्षण के बाद प्रियव्रत सिंह ने कहा- मुख्यमंत्री किसान भोजन योजना किसानों के लिए थी, लेकिन यहां यह होटल और गुटका की दुकान बन गई है। अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं। यह सरकार की नाकामी और लापरवाही का सीधा उदाहरण है।
भावांतर योजना पर उठाए सवाल प्रियव्रत सिंह ने मौके से ही भावांतर भुगतान योजना पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा- सरकार ने भावांतर योजना किसानों को राहत देने के नाम पर शुरू की, लेकिन यह योजना किसानों की समझ से बाहर है। उन्होंने बताया कि जिले में केवल 10 से 15 प्रतिशत किसानों का ही पंजीयन हुआ है। जो सोयाबीन दीपावली से पहले बिक चुकी थी, वह भावांतर के दायरे से बाहर हो गई। आज मंडियों में सोयाबीन 3900 से 4100 तक बिक रही है जबकि समर्थन मूल्य 5300 रुपए है। यह योजना किसानों को धोखा देने का जरिया बन गई है।
विश्राम भवन में भी लापरवाही उजागर
निरीक्षण के दौरान प्रियव्रत सिंह ने ख़िलचीपुर कृषि उपज मंडी के किसान विश्राम भवन का हाल भी देखा। उन्होंने बताया कि भवन के एक कमरे में लोगों के लकड़ियां भर रही है और भवन के सामने किसी व्यापारी ने मक्का का ढेर जमा कर रखा है। “किसान विश्राम भवन किसानों के लिए बना है, लेकिन वहां किसान दिखे ही नहीं।
यह वही कैंटीन है जहां किसानों के लिए 5 रुपए में भोजन दिए जाने के लिए टेंडर दिया गया है।