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पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मसाला उत्पादक देश होने का तमगा भी भारत के पास है. भारत में कई तरह के मसालों का उत्पादन होता है. इसमें से एक है जीरा, ये किसानों की आय में अच्छी वृद्धि कर सकता है. ऐसे में किसान भाई को इसकी खेती टिप्स जान लेना चाहिए, जिससे उत्पादन ज्यादा हो और गुणवत्ता भी बनी रहे.
अंग्रेजों का भारत आने का एक अहम कारण ये भी है कि यहां पर मसालों की खेती होती है. पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मसाला उत्पादक देश होने का तमगा भी भारत के पास है. भारत में कई तरह के मसालों का उत्पादन होता है. इसमें से एक है जीरा, ये किसानों की आय में अच्छी वृद्धि कर सकता है. ऐसे में किसान भाई को इसकी खेती टिप्स जान लेना चाहिए, जिससे उत्पादन ज्यादा हो और गुणवत्ता भी बनी रहे.

जीरे की खेती कर रहे है और ज्यादा उत्पादन लेना है, तो किसान भाइयों को खेत अच्छे से तैयार करना चाहिए. सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से एक गहरी जुताई और देशी हल या हैरो से दो या तीन उथली जुताई करके पाटा लगाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए. इसके बाद 5 से 8 फीट की समान आकार की क्यारियां बनानी चाहिए जिससे बुवाई एवं सिंचाई करने में आसानी रहे.

इसके बाद 4 किलो बीज प्रति एकड़ के हिसाब से लेकर 4 ग्राम कार्बेन्डाजिम नामक दवा से प्रति किलो बीज को उपचारित करके बुवाई करनी चाहिए. कतारों में बुवाई सीड ड्रिल से आसानी से की जा सकती है. जीरे की खेती के लिए साधारण शुष्क एवं ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है. सर्दियों में बोई जाने वाली फसल गर्मी आते आते पकने और कटने के लायक हो जाती है.

एक्सपर्ट के मुताबिक शुष्क और गर्म मौसम में जीरे की अच्छी पैदावार की जा सकती है. इसकी खेती के लिए सामान्य पीएच मान की बलुई दोमट मिट्टी की जरूरत होती है. ज्यादातर किसान इसे रबी की फसल के साथ में भी बोते हैं. जीरे की फसल के लिए 25 से 30 डिग्री तापमान उपयुक्त माना जाता है. 10 डिग्री सेल्सियस के कम तापमान पर पौधे पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ने लगता है.

जीरा खेती में सिंचाई करते समय बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई, बुवाई के 7-10 दिन बाद दूसरी हल्की सिंचाई, और फिर मौसम और मिट्टी के आधार पर 15-25 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करें. फसल पकने के दौरान, जब दाने भरने लगें, तो सिंचाई बंद कर दें, केवल अंतिम सिंचाई गहरी करें.

अच्छी खेती के लिए किसान भाइयों को खरपतवार, कीट और रोगों से बचाना चाहिए. इसके लिए फसल पर नियमित निगरानी रखनी होगी. वहीं, शुरुआती लक्षण में भी किसान भाई अहम कदम उठा सकते हैं. वहीं, नियमित अंतराल पर खरपतवारों का नियंत्रण जरूरी है.

अगर आप अच्छी उत्पादन वाली किस्मों का चयन करते हैं. इसके अलावा खेती में लगातार मेहनत कर कीट, रोग और खरपतवार से बचाते हैं. तब 3 से 5 क्विंटल प्रति एकड़ जीरा उत्पादन हो सकता है. उत्पादन में मौसम परिवर्तन के हिसाब से बदलाव आ सकता है.