अक्टूबर में MP में 2.8 इंच बारिश, 121% ज्यादा: भोपाल, इंदौर-ग्वालियर में 10 साल का रिकॉर्ड टूटा; नवंबर की शुरुआत भी बारिश से – Bhopal News

अक्टूबर में MP में 2.8 इंच बारिश, 121% ज्यादा:  भोपाल, इंदौर-ग्वालियर में 10 साल का रिकॉर्ड टूटा; नवंबर की शुरुआत भी बारिश से – Bhopal News


शुक्रवार को उज्जैन और मुरैना में बारिश हुई।

मध्यप्रदेश में नवंबर महीने में पिछले 10 साल से ठंड के साथ बारिश का ट्रेंड भी है। अबकी बार भी ऐसा ही मौसम रहेगा। नवंबर के पहले सप्ताह तेज बारिश का अलर्ट है। मौसम विभाग ने शनिवार को रतलाम, झाबुआ, अलीराजपुर-बड़वानी में तेज बारिश का अलर्ट जारी किया है। इन

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वहीं, नीमच, मंदसौर, उज्जैन, इंदौर, खरगोन, बुरहानपुर, श्योपुर, मुरैना, छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, सिवनी, मंडला और बालाघाट में हल्की बारिश का दौर बना रहेगा। भोपाल में बादल छाए रहेंगे। वहीं, शाम को हल्की बारिश भी हो सकती है।

मौसम विभाग की माने तो पहले हफ्ते में बारिश का दौर रहेगा, जबकि दूसरे हफ्ते में उत्तरी हवा से ठिठुरन बढ़ जाएगी। इधर, बारिश के लिहाज से अक्टूबर का महीना उम्मीदों पर खरा उतरा। औसत 2.8 इंच पानी गिर गया, जो सामान्य 1.3 इंच से 121% ज्यादा है। वहीं, दिन में ठंड का 25 साल का रिकॉर्ड भी टूट गया।

पूरे अक्टूबर बारिश-बादल वाला मौसम…सभी जिलों में पानी गिरा अक्टूबर में मानसून की विदाई, गर्मी और हल्की ठंड का दौर रहता है। इस साल भी ऐसा ही मौसम रहा। 3 महीने 28 दिन एक्टिव रहने के बाद 13 अक्टूबर को मानसून पूरे प्रदेश से विदा हो गया।

शिवपुरी में किसान बारिश के बीच खाद लेने पहुंचे।

मानसून की विदाई भले ही हो गई, लेकिन बारिश का दौर जारी रहा। IMD, भोपाल की सीनियर वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने बताया कि अक्टूबर में सामान्य से ज्यादा बारिश का अनुमान था। वैसा ही हुआ। दूसरे सप्ताह में मानसून विदा हुआ, लेकिन इसके बाद साइक्लोनिक सर्कुलेशन (चक्रवात), लो प्रेशर एरिया (निम्न दाब क्षेत्र) टर्फ और डिप्रेशन (अवदाब) का असर देखने को मिला। इस कारण सामान्य से 121 प्रतिशत बारिश ज्यादा हो गई।

पिछले साल सामान्य से आधी बारिश भी नहीं हुई थी। अक्टूबर के आखिरी सप्ताह सिस्टम स्ट्रॉन्ग रहे। इस वजह से बारिश का आंकड़ा बढ़ गया। नर्मदापुरम, श्योपुर, मुरैना, भिंड समेत कई जिलों में तेज आंधी, बारिश की वजह से खेतों में खड़ी फसलें भी बर्बाद हो गई। दूसरी ओर, दिन में पारा 25 डिग्री से नीचे आ गया। भोपाल में पारा 24 डिग्री पर आ गया, जो पिछले 25 साल में सबसे कम था। उज्जैन, छतरपुर, नरसिंहपुर समेत कई शहरों में पारा 24 डिग्री के नीचे ही रहा।

बारिश की वजह से फसलें बर्बाद भी हुई…

हरदा में फसल खराब होने के बाद किसानों ने खेतों में मवेशी छोड़ दिए।

हरदा में फसल खराब होने के बाद किसानों ने खेतों में मवेशी छोड़ दिए।

मऊगंज में खेतों में पानी भर गया। कटी रखी फसल डूब गई।

मऊगंज में खेतों में पानी भर गया। कटी रखी फसल डूब गई।

इंदौर में 10 साल में दूसरी बार सबसे ज्यादा बारिश अक्टूबर में बारिश के रिकॉर्ड की बात करें तो दो साल बाद प्रदेश में सबसे ज्यादा पानी गिरा। भोपाल में 2.8 इंच, जबलपुर में 3.3 इंच, ग्वालियर में 4.2 इंच और उज्जैन में 2.1 इंच बारिश दर्ज की गई। साल 2022 में इससे ज्यादा बारिश हुई थी। वहीं, इंदौर में 3.4 इंच पानी गिरा। यहां 10 साल में दूसरी बार अक्टूबर में इतनी अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई।

ओवरऑल सबसे ज्यादा बारिश वाले जिले में श्योपुर नंबर-1 पर है। यहां 6.52 इंच, झाबुआ में 5.52 इंच, सिंगरौली में 5.35 इंच, सीधी में 5 इंच, उमरिया में 4.14 इंच, अनूपपुर में 4.82 इंच, बड़वानी में 4.21 इंच और भिंड में 4.36 इंच बारिश हो गई। प्रदेश का खंडवा ही एक मात्र ऐसा जिला रहा, जहां सामान्य से कम पानी गिरा। बाकी 53 जिलों में सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई।

एमपी में अक्टूबर में इतनी बारिश हुई…

इस बार मानसून भी बेहतर रहा इस बार प्रदेश में मानसून की भी ‘हैप्पी एंडिंग’ रही। भोपाल, ग्वालियर समेत 30 जिले ऐसे रहे, जहां ‘बहुत ज्यादा’ बारिश दर्ज की गई। ओवरऑल सबसे ज्यादा बारिश वाला जिला गुना है। जहां पूरे सीजन 65.7 इंच पानी गिर गया, जबकि श्योपुर में 216.3% बारिश हुई। एक्सपर्ट की माने तो अच्छी बारिश होने से न सिर्फ पेयजल बल्कि सिंचाई के लिए भी भरपूर पानी है। भू-जल स्तर भी बढ़ा रहेगा। हालांकि, शाजापुर ऐसा जिला रहा, जहां सबसे कम 28.9 इंच (81.1%) ही बारिश हुई है।

मानसूनी सीजन में मौसम विभाग ने प्रदेश में 106 प्रतिशत बारिश होने का अनुमान जताया था, लेकिन 15 प्रतिशत पानी ज्यादा गिर गया। ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों में दोगुनी बारिश हो गई। इंदौर, ग्वालियर, चंबल, जबलपुर, रीवा, शहडोल, सागर संभाग के 50 जिलों में कोटा फुल रहा।

वहीं, भोपाल, उज्जैन और नर्मदापुरम संभाग के 4 जिले- उज्जैन, शाजापुर, बैतूल और सीहोर में 81.1 से 98.6 प्रतिशत बारिश हुई। इन जिलों में कोटा पूरा नहीं हो पाया। हालांकि, इनमें से तीन जिले- उज्जैन, सीहोर और बैतूल में आंकड़ा 94% से ज्यादा ही है। इस वजह से ये सामान्य बारिश के आसपास ही है, लेकिन शाजापुर ‘बारिश की भारी कमी’ की कैटेगिरी में है। यहां कोटे का 81 प्रतिशत पानी ही गिरा है।

अब जानिए नवंबर में कैसा रहेगा मौसम मौसम विभाग के अनुसार, नवंबर के दूसरे सप्ताह से ठंड का असर बढ़ेगा। खासकर ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों में, जहां उत्तरी हवाएं सीधी आती हैं, वहां पारा लुढ़केगा। ग्वालियर में 56 साल पहले नवंबर में रात का टेम्प्रेचर रिकॉर्ड 3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। उज्जैन में 52 साल पहले न्यूनतम पारा रिकॉर्ड 2.3 डिग्री तक जा चुका है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर में इस महीने बारिश का ट्रेंड है। इस बार नवंबर के पहले सप्ताह में ही बारिश होने के आसार है। तीसरे और चौथे सप्ताह में सिस्टम एक्टिव होने से भी बारिश हो सकती है।

जानिए, नवंबर में 5 बड़े शहरों का मौसम…

भोपाल: 10 साल में 2 बार बारिश हो चुकी नवंबर में राजधानी में रात का तापमान 9 से 12 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता है। पिछले 10 साल से ऐसा ही ट्रेंड रहा है। इस बार भी दूसरे सप्ताह से पारा तेजी से लुढ़केगा। मौसम विभाग के अनुसार, भोपाल में नवंबर में रात का तापमान 6.1 डिग्री तक पहुंच चुका है। यह 30 नवंबर 1941 को दर्ज किया गया था। इस महीने बारिश होने का ट्रेंड भी है। 10 साल में दो बार बारिश हो चुकी है। साल 1936 में महीने में साढ़े 5 इंच से ज्यादा पानी गिर चुका है।

इंदौर: 5.6 डिग्री तक जा चुका न्यूनतम पारा इंदौर में ठंड का असर रहता है। खासकर दूसरे सप्ताह से पारा तेजी से गिरता है। इस वजह से रातें ठंडी हो जाती हैं और टेम्प्रेचर 10 से 12 डिग्री के बीच रहता है। हालांकि, 25 नवंबर 1938 को पारा 5.6 डिग्री सेल्सियस तक जा चुका है। कभी-कभार बारिश भी हो जाती है। दिन में 31 से 33 डिग्री के बीच तापमान रहता है।

ग्वालियर: 1927 में 3 इंच पानी गिरा था पिछले 10 साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में पारा 8 डिग्री तक पहुंच चुका है। 54 साल पहले वर्ष 1970 में टेम्प्रेचर 3 डिग्री तक पहुंच चुका है। यह ओवरऑल रिकॉर्ड है। 2 नवंबर 2001 को दिन का तापमान 37.3 डिग्री तक पहुंच चुका है, जबकि यह सामान्य तौर पर 33 से 35 डिग्री के बीच रहता है। इस महीने बारिश भी होती है। 1927 में पूरे महीने 3 इंच से ज्यादा पानी गिरा था। 10 साल में 3 बार ऐसा ही मौसम रह चुका है।

जबलपुर: 1946 में 6 इंच से ज्यादा बारिश पिछले 10 साल में 2022 में न्यूनतम पारा 7.8 डिग्री तक जा चुका है। ओवरऑल रिकॉर्ड 12 नवंबर 1989 को दर्ज किया गया था, तब टेम्प्रेचर 3.9 डिग्री तक पहुंच गया था। 1946 में पूरे महीने 6 इंच से ज्यादा पानी गिरा था। 10 साल में दो बार बारिश हो चुकी है। दिन में 30 से 33 डिग्री के बीच तापमान रहता है।

उज्जैन: न्यूनतम तापमान 10-11° के बीच रहता है यहां 30 नवंबर 1974 को रात का तापमान 2.8 डिग्री सेल्सियस पहुंच चुका है। यह ओवरऑल रिकॉर्ड है। वहीं, 6 नवंबर 2008 को दिन का तापमान 36.5 डिग्री रहा था। पिछले 10 साल की बात करें तो न्यूनतम तापमान 10-11 डिग्री के बीच रहा है, जबकि दिन में यह 33 से 35 डिग्री के बीच पहुंच चुका है।



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