स्पोर्ट्स डेस्क8 मिनट पहले
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23 जुलाई 2017, लंदन के द लॉर्ड्स स्टेडियम में वनडे वर्ल्ड कप जीतने का सपना देख रही इंडिया विमेंस टीम इंग्लैंड के खिलाफ 9 रन से फाइनल हार गई। तब हरमनप्रीत कौर ने सेमीफाइनल में सेंचुरी और फाइनल में हाफ सेंचुरी बनाई थी। फिर भी टीम खिताब नहीं जीत पाई।
8 साल बाद हरमन ही कप्तान हैं और एक बार फिर भारतीय टीम फाइनल में पहुंच गई है। इन 8 सालों में भारतीय विमेंस क्रिकेट में कप्तानी के साथ ही बहुत कुछ बदल गया है। टीम पहले से ज्यादा कॉन्फिडेंट है और किसी भी टारगेट के सामने घबराती नहीं है। जीत के लिए अब हरमन और स्मृति मंधाना पर निर्भरता कम हुई है। जेमिमा रोड्रिग्स, ऋचा घोष, अमनजोत कौर जैसी कई विनर्स तैयार हो गई हैं।
5 पॉइंट्स में इंडिया विमेंस क्रिकेट में पिछले 8 साल में हुए बड़े बदलाव…
1. 2017 में हुई बदलाव की शुरुआत
2017 के वनडे वर्ल्ड कप फाइनल में 229 रन के टारगेट का पीछा करने उतरी टीम इंडिया ने 191 रन पर 3 ही विकेट गंवाए थे। टीम को 43 गेंद पर 38 रन चाहिए थे और 7 विकेट बाकी थे। टीम 48.4 ओवर में 219 रन ही बना सकी और 9 रन से करीबी मुकाबला गंवा दिया। फाइनल हारने के बाद हरमनप्रीत ने कहा था, ‘हम जीत नहीं पाए, लेकिन अब लोग हमारा नाम जानते हैं।’
हालांकि, यह न तो पहला मौका रहा और न ही आखिरी बार था, जब टीम इंडिया ने टारगेट के इतने करीब आने के बावजूद मैच गंवा दिया। 2022 के कॉमनवेल्थ गेम्स फाइनल और 2023 के टी-20 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी कुछ ऐसा ही हुआ।

इतने बुरे अनुभवों के बाद टीम इंडिया ने 30 अक्टूबर 2025 को 7 बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को न सिर्फ हराकर फाइनल में जगह बनाई, बल्कि उनके खिलाफ वनडे वर्ल्ड कप इतिहास के नॉकआउट मैचों और विमेंस वनडे का सबसे बड़ा टारगेट (339 रन) भी हासिल किया। यहां तक कि भारतीय पारी में 9 गेंदें बाकी भी रह गईं।
2. मेंस प्लेयर के बराबर सैलरी
विमेंस क्रिकेट को बढ़ाने में BCCI और खासकर ICC के मौजूदा चीफ जय शाह का बहुत बड़ा योगदान रहा। BCCI कार्यकाल के दौरान उन्होंने विमेंस क्रिकेट में कोचिंग फैसिलिटी, सपोर्ट स्टाफ, ट्रेनिंग और एनालिसिस सिस्टम को सुधारा। उन्होंने न सिर्फ भारत में विमेंस क्रिकेटर्स की सैलरी बढ़ाई, ICC विमेंस टूर्नामेंट की प्राइज मनी को मेंस टूर्नामेंट की प्राइज मनी से भी ज्यादा कर दिया।
2018 में पहली बार भारत में विमेंस प्लेयर के लिए भी फिटनेस ट्रैकिंग और यो-यो टेस्ट को जरूरी किया। 2019 में विमेंस प्लेयर्स के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट को रिवाइज किया और पूरे सिस्टम को प्रोफेशनल बना दिया। 2025 में तो कॉन्ट्रैक्टेड प्लेयर्स को सालाना 75 लाख से 3 करोड़ रुपए मिलने लगे।
2023 में BCCI ने मेंस और विमेंस दोनों वर्ग के प्लेयर्स को एक बराबर मैच फीस देने का ऐलान भी किया। जिसके तहत एक टेस्ट के 15 लाख, एक वनडे के 6 लाख और एक टी-20 के 3 लाख रुपए देने की घोषणा की। पहले यह फीस बहुत कम हुआ करती थी। फीस में इजाफे के कारण ही देश में विमेंस प्लेयर्स ने भी क्रिकेट को प्रोफेशन के रूप में चुनना तेजी से शुरू कर दिया।

3. WPL: बदलाव की मजबूत नींव
भारत का विमेंस क्रिकेट एक बड़े मामले में इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज से बहुत पीछे था। वह था महिला खिलाड़ियों के लिए फ्रेंचाइजी टूर्नामेंट। मेंस के लिए तो IPL 2008 में ही शुरू हो गया और बहुत सफल भी रहा, लेकिन विमेंस प्रीमियर लीग (WPL) की शुरुआत 2023 में हो सकी। जय शाह से पहले सभी BCCI अध्यक्ष इसे शुरू करने का प्लान ही बनाते रह गए, शाह ने इसकी शुरुआत कर दी।
WPL जैसे प्लेटफॉर्म पर युवा और घरेलू प्लेयर्स को विदेशी खिलाड़ियों के साथ खेलने और सीखने का मौका मिलता है। इतना ही नहीं, प्लेयर्स एक महीने तक इंटरनेशनल लेवल की ट्रेनिंग, बेहतर कोच और प्रेशर सिचुएशन का सामना करने लगीं। जिसका फायदा इंडिया विमेंस टीम को मिला।
IPL ने जिस तरह मेंस टीम को जसप्रीत बुमराह, हार्दिक पंड्या, सूर्यकुमार यादव, अभिषेक शर्मा जैसे सितार दिए। उसी तरह WPL ने भारत को यास्तिका भाटिया, श्रेयांका पाटील, अमनजोत कौर, श्री चरणी, क्रांति गौड़ जैसी युवा और आक्रामक प्लेयर्स सौंपी। यास्तिका और श्रेयांका इंजरी के कारण वर्ल्ड कप का हिस्सा नहीं बन सकीं, लेकिन बाकी प्लेयर्स ने भारत को फाइनल में पहुंचाने में अहम योगदान दिया।

4. कोच मजूमदार का अटैकिंग माइंडसेट
300 बनाने की आदत डाली
2017 में वर्ल्ड कप हारने के बाद इंडिया विमेंस ने 4 कोच बदले। इनमें WV रमन और रमेश पवार के बाद अमोल मजूमदार जैसे प्रोफेशनल शामिल हैं। मजूमदार को 2023 में हेड कोच बनाया गया, उन्होंने वनडे टीम को अटैकिंग माइंडसेट की आदत डलवाई।

ऑस्ट्रेलिया को सेमीफाइल हराने के बाद हरमनप्रीत कौर ने पोस्ट मैच इंटरव्यू में बताया, टूर्नामेंट की तैयारी हमने 2 साल पहले ही शुरू कर दी थी। तभी हमने तय कर लिया था कि कौन सी प्लेइंग-11 होम कंडीशन में बेस्ट रहेगी। अमोल सर (कोच) ने टूर्नामेंट से पहले प्रैक्टिस मैच के दौरान भी कहा कि अगर हम लगातार 300 रन नहीं बनाएंगे तो वर्ल्ड कप नहीं जीत पाएंगे।
1978 से 2022 तक इंडिया विमेंस टीम वनडे में 4 ही बार 300 रन का आंकड़ा पार कर सकी थी। पिछले 2 साल में टीम ने 12 बार इस स्कोर को पार किया। जिनमें से 9 बार तो टीम ने इसी साल 300 रन का स्कोर बनाया। इनमें आयरलैंड के खिलाफ 435 रन का बेस्ट स्कोर भी शामिल रहा। टीम ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक महीने में 3 बार 300 प्लस के स्कोर भी बनाए।
वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ टीम इंडिया 289 रन का टारगेट नहीं हासिल कर सकी थी। इसके बाद कोच मजूमदार ने प्लेयर्स पर गुस्से में चिल्लाते हुए कहा था कि अगर हम 300 से कम का टारगेट हासिल नहीं कर सकते तो वर्ल्ड कप जीतने का सपना छोड़ देना चाहिए। जिसके बाद टीम ने वर्ल्ड कप सेमीफाइनल की दूसरी पारी में 341 रन बनाकर ऑस्ट्रेलिया को हराकर बाहर किया।

5. नई जनरेशन ने उम्मीदें जगाईं
WPL से प्लेयर्स निकालने के साथ विमेंस टीम मैनेजमेंट ने घरेलू क्रिकेट पर भी फोकस करना शुरू कर दिया। 2017 तक जहां टीम इंडिया में दिल्ली, मुंबई और साउथ इंडिया का ही दबदबा रहता था। BCCI के नए स्काउंटिंग सिस्टम ने टीम को रायगढ़, हिसार, आगरा, सिलचर जैसे छोटे शहरों और गांवों से प्रतिभावान खिलाड़ी दिलाईं।
21 साल की लेफ्ट आर्म स्पिनर श्री चरणी, 22 साल की क्रांति गौड़, 25 साल की प्रतिका रावल, 22 साल की विकेटकीपर ऋचा घोष और अमनजोत कौर जैसी युवा प्लेयर्स ने वर्ल्ड कप में निडर मानसिकता दिखाई और टीम को अहम मैच जिताए। प्रतिका टूर्नामेंट में भारत की दूसरी टॉप स्कोरर रहीं, वहीं चरणी ने 13 विकेट हासिल किए।
साउथ अफ्रीका के खिलाफ फाइनल में इन्हीं युवा प्लेयर्स का जोश और दीप्ति शर्मा, जेमिमा रोड्रिग्ज, स्मृति मंधाना और कप्तान हरमनप्रीत कौर का अनुभव इंडिया विमेंस को पहली वर्ल्ड कप ट्रॉफी दिला सकता है।
