प्रदेश में पहली बार जबलपुर में नर्मदा घाट और तटों को अयोध्या स्थित सरयू नदी के घाटों की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। विकास में पर्यावरणीय संतुलन व श्रद्धालुओं की सुविधा को केंद्र में रखा गया है। लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने रविवार को यह जानकारी दी
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उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहान यादव इस प्रोजेक्ट का जल्द भूमिपूजन करेंगे। गौरीघाट क्षेत्र में लगभग 800 मीटर लंबा, 15 मीटर चौड़ा और 1 मीटर गहरा वाटर‑चैनल बनाया जाएगा। वॉटर चैनल का एक हिस्सा पूजन-दीपदान और दूसरा स्नान के लिए बनाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट की लागत अभी तय नहीं हुई है।
वाटर चैनल से फायदा : इस तरह पूजा‑सामग्री व साबुन का फेन सीधे नदी में नहीं जाएगी।
136 मिलियन ली. अनट्रीटेड सीवेज छोड़ रहे जबलपुर में नर्मदा नदी में रोजाना लगभग 136 मिलियन लीटर अनट्रीटेड सीवेज छोड़ा जाता है। सबसे प्रदूषित क्षेत्र गौरीघाट और तिलवाराघाट हैं। शहर के घरों और औद्योगिक इकाइयों का अपशिष्ट सीधे नदी में जाता है। धार्मिक अनुष्ठान, स्नान, विसर्जन, नदी किनारों पर अनियंत्रित नाले और निर्माण कार्य भी प्रदूषण बढ़ा रहे हैं।
- पहले चरण में… खारीघाट, दरोगा घाट, गौरीघाट, उमा घाट, सिद्धघाट व जिलहरी घाट को विकसित किया जाएगा। दरोगा घाट पर विशाल नाव घाट होगा। ग्वारी घाट में संध्या आरती के लिए 5 मंच बनेंगे।
- 1600 वाहनों की पार्किंग: घाटों के पास 5 पार्किंग स्थल विकसित होंगे। 900 दोपहिया, 700 चार पहिया वाहन पार्क हो सकेंगे। गौरीघाट तक वाहनों का प्रवेश निषेध रहेगा। पैदल पथ तथा ई-कार्ट सुविधा होगी।