MP के आदिवासियों का स्टाम्प-एग्रीमेंट पर पलायन: गांवों में काम नहीं, महाराष्ट्र-कर्नाटक में बंधुआ मजदूरी; बदले में रेप-मर्डर भी झेल रहे – Khandwa News

MP के आदिवासियों का स्टाम्प-एग्रीमेंट पर पलायन:  गांवों में काम नहीं, महाराष्ट्र-कर्नाटक में बंधुआ मजदूरी; बदले में रेप-मर्डर भी झेल रहे – Khandwa News


मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य ख़ालवा ब्लॉक में कुपोषण के बाद अब पलायन सबसे बड़ी समस्या बन गई है। रोजगार की कमी के कारण यहां के लोग महाराष्ट्र, कर्नाटक और गोवा जैसे राज्यों में मजदूरी करने जा रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि यह पलायन स्टाम्प पेपर पर

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दैनिक भास्कर ने आदिवासियों के पलायन पर पड़ताल की, जिसमें चौंकाने वाले मामले सामने आए। पढ़िए, पूरी रिपोर्ट…

रोजगार की तलाश में खालवा ब्लॉक के ग्रामीण अन्य राज्यों की तरफ जा रहे हैं।

खालवा से 90 फीसदी गांव के लोग पलायन कर रहे

खंडवा के खालवा ब्लॉक में 90% गांवों के लोग रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे हैं। ख़ालवा ब्लॉक की भौगोलिक स्थिति अनूठी है, क्योंकि इसकी सीमाएं एक प्रांत और तीन जिलों से लगती हैं। यह हरदा, बैतूल, बुरहानपुर और महाराष्ट्र की सीमाओं से घिरा हुआ है। इस ब्लॉक की आबादी लगभग 2.5 लाख है, जिसमें 86 ग्राम पंचायतें और 147 गांव शामिल हैं। यह क्षेत्र 70 किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है।

खालवा, आशापुर, खार और सावलीखेड़ा जैसे कुछ गांवों को छोड़कर, ब्लॉक के लगभग हर गांव से लोग पलायन कर रहे हैं। यह पलायन क्षेत्र में रोजगार के अवसरों की कमी के कारण हो रहा है, जिससे लोग आजीविका की तलाश में अन्य राज्यों और शहरों में जाने को मजबूर हैं।

काम कराने के लिए एग्रीमेंट कराया जाता है। ताकि बाद में विवाद की स्थिति नहीं बने।

काम कराने के लिए एग्रीमेंट कराया जाता है। ताकि बाद में विवाद की स्थिति नहीं बने।

एग्रीमेंट पर परिवार के 20 लोग कर्नाटक-महाराष्ट्र गए

दैनिक भास्कर की जांच में पता चला है कि आदिवासियों का पलायन एक समझौते के तहत होता है। खालवा ब्लॉक के आड़ाखेड़ा निवासी हीरालाल काजले ने महाराष्ट्र के सोलापुर निवासी लिंगेश्वर एकनाथ शिंदे के साथ एक समझौता किया। समझौते के अनुसार, हीरालाल के परिवार के 10 जोड़े, यानी 20 लोग, गन्ना काटने के लिए कर्नाटक और महाराष्ट्र में काम करने के लिए सहमत हुए। प्रत्येक जोड़े को 50-50 हजार रुपये अग्रिम दिए गए, जिससे कुल 5 लाख रुपये का समझौता हुआ।

हरसूद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता जगदीश पटेल ने बताया कि खालवा तहसील मुख्यालय पर उनका कार्यालय है। इस क्षेत्र के हजारों मजदूर रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में जाते हैं क्योंकि यहां कोई स्थायी रोजगार नहीं है। बाहर से आए कुछ ठेकेदार मजदूरों के साथ समझौते भी करते हैं। पटेल को सालाना लगभग 200 ऐसे मामले मिलते हैं। हरसूद में और भी नोटरी हैं, और अनुमान है कि कुल मिलाकर लगभग 2,000 समझौते होते हैं, जिनमें प्रत्येक समझौते में 20 से लेकर 150-200 लोग शामिल होते हैं।

मनरेगा कार्य रुकावट और पलायन

टीम पलायन से प्रभावित ग्राम जूनापानी पहुंची, जो खालवा ब्लॉक मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर स्थित है। गांव की गलियों में सन्नाटा पसरा हुआ था, घरों के बाहर आंगन में बच्चे खेल रहे थे, जबकि अधिकांश घरों में ताले लगे हुए थे। तभी गांव के दो लोग, बलिराम और कैलाश दिखाई दिए।

कैलाश ने बताया कि गांव से बड़े पैमाने पर पलायन होता है, क्योंकि यहां काम नहीं मिलता है। बलिराम ने कहा कि साल में केवल एक-दो हफ्ते ही मनरेगा में काम चलता है। मनरेगा में काम करने पर भी महीनों या सालों तक मजदूरी का भुगतान नहीं मिलता है। इसलिए, वे बाहर जाने के लिए मजबूर हैं।

पलायन करने वाले अधिकांश लोग आदिवासी कोरकू जनजाति से हैं। राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो, खालवा ब्लॉक हरसूद विधानसभा के अंतर्गत आता है। यहां के विधायक विजय शाह पिछले 40 वर्षों से लगातार विधायक हैं और 2023 में उन्होंने अपना आठवां चुनाव जीता है। उमा भारती के कार्यकाल से लेकर अब तक, वे 25 वर्षों से लगातार कैबिनेट मंत्री बने हुए हैं और वर्तमान में जनजातीय कार्य मंत्री हैं। इसी तरह, इस क्षेत्र के सांसद दुर्गादास उईके दूसरी बार सांसद बने हैं और वे केंद्र सरकार में जनजातीय कार्य मंत्री हैं।

कटाई में संयुक्त रोजगार मिलता है

बाहरी राज्यों में गन्ना कटाई के दौरान पूरे परिवार को संयुक्त रोजगार मिल जाता हैं। यहां तक वे लोग एडवांस राशि तक देते हैं। प्रशासन कोशिश कर रहा हैं कि इस बार एक बगिया, मां के नाम स्कीम के तहत किसानों को अधिक से अधिक जोड़ा जाए। करीब 300 किसानों को लाभ देने की कवायद कर रहे हैं, ताकि खेती के साथ उन्हें एक फिक्स मजदूरी मिला करें। इस तरह धीरे-धीरे पलायन की समस्या खत्म हो पाएगी।

800-1000 रुपए की मजदूरी मिल रही है

जिला पंचायत सीईओ डॉ. नागार्जुन बी गौड़ा ने बताया कि मनरेगा में जहां अन्य ब्लॉक में 100 दिन के रोजगार का प्रावधान है। वहीं खालवा क्षेत्र में 150 दिवस का रोजगार मुहैया कराया जाता हैं। मनरेगा मजदूरी दर महज 261 रुपए होने की वजह से लोग ज्यादातर दूसरे राज्यों में जाकर काम कर रहे हैं। वहां उन्हें रोजाना 800-1000 रुपए की मजदूरी मिल रही हैं।

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1. हरदा में खेत मालिक ने कर दी मजदूर की हत्या

20 अक्टूबर 2025 को खालवा ब्लॉक के इमलीढाना निवासी सुखलाल कलमें (45) की हरदा जिले में एक किसान ने अपने खेत पर हत्या कर दी। हत्या के पीछे की वजह यह थी कि किसान ने उसे मजदूरी के रुपए नहीं दिए तो सुखलाल ने काम छोड़कर जाने की धमकी दे दी। लालमाटी गांव के रहने वाले किसान मलिक रामदीन ने मजदूर सुखलाल को पहले शराब पिलाई और फिर लाठी से पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया।

मामले में सिराली थाना पुलिस ने मलिक रामदीन (58) को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जांच में सामने आया कि मृतक सुखलाल (मजदूर) करीब डेढ़ साल से आरोपी रामदीन (किसान) के यहां खेत पर बंधुआ मजदूरी कर रहा था। उसे किसान से 50 हजार रुपए लेने थे। मजदूरी नहीं मिलने पर सुखलाल ने काम छोड़ने की धमकी दें दी थी। यहां तक सामने आया कि किसान रामदीन के सुखलाल के पत्नी के साथ अवैध संबंध भी थे। पूरी खबर पढ़ें

2.पुणे में नाबालिग मजदूर से रेप, 6 माह का गर्भ

खालवा ब्लॉक की रहने वाली एक 17 वर्षीय नाबालिग महाराष्ट्र के पुणे जिले में एक गुड़ फैक्ट्री में मजदूरी करती थी। इसी दौरान एक फैक्ट्री कर्मचारी ने उसके साथ रेप किया। आरोपी यूपी के सहारनपुर जिले का रहने वाला था। वह 3 साल तक नाबालिग का यौन शोषण करता रहा। नाबालिग प्रेग्नेंट हो गई, उसे 6 महीने का गर्भ हो गया, तब तक आरोपी उसके साथ दुष्कर्म करता रहा।

17 अक्टूबर को दिवाली त्योहार पर नाबालिग अपने गांव की अन्य लड़कियों के साथ ट्रेन में सवार होकर घर आने लगी तो आरोपी भी ट्रेन में चढ़ गया। वह उसे शादी का झांसा देकर अपने साथ यूपी ले गया। परिजन ने 23 अक्टूबर को गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई, तब रेलवे पुलिस ने मोबाइल लोकेशन के जरिये नाबालिग को सहारनपुर जिले से बरामद किया। आरोपी को रेप और पॉक्सो के आरोप में गिरफ्तार कर उसे जेल भेज दिया। पूरी खबर पढ़ें

3. मासूम से रेप के बाद हत्या, फांसी की सजा, फिर बरी

30 जनवरी 2013 को खंडवा जिला मुख्यालय से सटे ग्राम सुरगांव जोशी में खालवा ब्लॉक से मजदूरी करने आए एक व्यक्ति की 9 साल की बेटी लापता हो गई थी। अगले दिन किसान के खेत पर उस बेटी का शव मिला। मेडिकल जांच में बच्ची के साथ रेप की पुष्टि हुई।

मासूम से रेप का मामला गर्माया और चुनावी साल था तो तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे। पुलिस ने जांच शुरू की तो मासूम से रेप और हत्या के मामले में अनोखीलाल नाम के शख्स को आरोपी बनाया गया। अनोखीलाल ने ही बच्ची को 20 रुपए देकर दुकान पर बीड़ी लाने के लिए भेजा था। पुलिस ने जांच कर 15 दिन के भीतर चालान पेश कर दिया।

इधर, कोर्ट ने भी आरोपी को 3 महीने के भीतर यानी 4 मार्च को फांसी की सजा सुना दी। फांसी की सजा को हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, बाद में आरोपी को जिस डीएनए रिपोर्ट के आधार पर सजा सुनाई गई थी, कोर्ट ने उसी के आधार पर आरोपी अनोखीलाल को बरी कर दिया। आखिर में बच्ची के साथ वारदात किसने की, यह सवाल अब तक बना हुआ है। पूरी खबर पढ़ें



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