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Agriculture News: सतना के पेस्टीसाइड एक्सपर्ट अमित सिंह ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि कंडुआ रोग की रोकथाम में कीटनाशक नहीं बल्कि फफूंदनाशक और एंटीबायोटिक की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण होती है. इस रोग के नियंत्रण के लिए एजोक्सीस्ट्रोबिन और डाइफेनोकोनाजोल या टेबुकोनाजोल आधारित दवाओं का छिड़काव सबसे प्रभावी माना गया है.
सतना. मध्य प्रदेश में पिछले दिनों हुई बारिश ने एक ओर जहां ठंड बढ़ा दी है, वहीं दूसरी ओर किसानों की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं. सतना सहित आसपास के कई ग्रामीण इलाकों में धान की फसल में कंडुआ रोग फैलने लगा है. खेतों में पानी भरने और लगातार नमी रहने के कारण फसलों में यह फफूंदी जनित रोग तेजी से फैल रहा है. इससे न केवल पौधों की जड़ें और तने सड़ने लगते हैं बल्कि उत्पादन में भारी गिरावट का खतरा भी बढ़ गया है. किसानों के लिए यह स्थिति चिंता का कारण बन चुकी है क्योंकि फसल के नुकसान से सीधी मार उनकी आमदनी पर पड़ेगी.
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, कंडुआ रोग धान की जड़ों, तनों और कभी-कभी पत्तियों को भी नुकसान पहुंचाता है. शुरुआत में पौधे पीले पड़ने लगते हैं और धीरे-धीरे सूखने लगते हैं. रोग के फैलने से पूरे खेत में फसल झुलसने जैसी स्थिति बन जाती है. यदि समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया, तो उत्पादन में 40 से 60 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है.
फफूंदनाशक से होगा नियंत्रण
लोकल 18 से बातचीत में पेस्टीसाइड एक्सपर्ट अमित सिंह ने बताया कि कंडुआ रोग की रोकथाम में कीटनाशक नहीं बल्कि फफूंदनाशक और एंटीबायोटिक की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण होती है. इस रोग के नियंत्रण के लिए एजोक्सीस्ट्रोबिन + डाइफेनोकोनाजोल या टेबुकोनाजोल आधारित दवाओं का छिड़काव सबसे प्रभावी माना गया है. वहीं रोग फैलने से रोकने के लिए किसान क्लोरपायरीफॉस से बीज उपचार कर सकते हैं और संक्रमित पौधों को खेत से हटा देना चाहिए.
समय पर छिड़काव से बचेगी फसल
विशेषज्ञों का कहना है कि यह रोग एक बार फसल में लग जाने के बाद पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता लेकिन समय पर नियंत्रण उपाय अपनाकर इसके फैलाव को रोका जा सकता है. किसानों को सलाह दी गई है कि फसल में नमी अधिक न बनने दें और बारिश रुकने के बाद खेतों में ड्रेनेज की व्यवस्था करें. इससे रोग नियंत्रण के साथ क्रॉप को हेल्थी बनाने में मदद मिलेगी.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.