दिग्विजय बोले-उमर खालिद केस में जांच कर फैसला होना चाहिए: बिना आरोप सिद्ध हुए साढ़े पांच साल से जेल में बंद, दंगों का मामला कोर्ट में चल रहा – Narsinghpur News

दिग्विजय बोले-उमर खालिद केस में जांच कर फैसला होना चाहिए:  बिना आरोप सिद्ध हुए साढ़े पांच साल से जेल में बंद, दंगों का मामला कोर्ट में चल रहा – Narsinghpur News


पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मंगलवार को नरसिंहपुर जिले के रोहिणी गांव में उमर खालिद के मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि उमर खालिद एक सुशिक्षित और संवेदनशील व्यक्ति हैं, जिन्हें बिना आरोप सिद्ध हुए साढ़े पांच साल से जेल में रखा गया

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दिग्विजय सिंह ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान बताया कि उमर खालिद ने इतिहास विषय में डॉक्टरेट की है। उनके अनुसार, यह तथ्य दर्शाता है कि खालिद एक सुशिक्षित और संवेदनशील व्यक्ति हैं। उन्होंने मांग की कि खालिद के खिलाफ दर्ज मामलों की निष्पक्ष जांच कर उचित निर्णय लिया जाना चाहिए।

सिंह ने न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि खालिद पर कोई आरोप सिद्ध नहीं हुआ है, फिर भी उन्हें साढ़े पांच साल से जेल में बंद रखा गया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सिद्धांत ‘बेल इज़ ए राइट, जेल इज़ एन एक्सेप्शन’ का हवाला देते हुए पूछा कि खालिद को यह अधिकार क्यों नहीं मिल रहा।

उन्होंने आरोप लगाया कि उमर खालिद की जमानत की तारीखें बार-बार आगे बढ़ाई जा रही हैं। दिग्विजय सिंह के अनुसार, सरकार में बैठे लोग इस प्रक्रिया को प्रभावित कर रहे हैं, जिससे खालिद को उनका संवैधानिक हक नहीं मिल पा रहा है।

दिग्विजय सिंह के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। उन्होंने एक बार फिर न्यायिक प्रक्रिया में निष्पक्षता और संवैधानिक अधिकारों के पालन की आवश्यकता पर जोर दिया है।

उमर खालिद का मामला क्या है?

उमर खालिद का मामला फरवरी 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों की साजिश से जुड़ा हुआ है। दिल्ली पुलिस ने उन्हें गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत आरोपी बनाया है, यह आरोप लगाते हुए कि उन्होंने शरजील इमाम और अन्य लोगों के साथ मिलकर नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध की आड़ में दंगों की साजिश रची, जिसका उद्देश्य अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश को बदनाम करना था।

पुलिस खालिद को इस साजिश का मास्टरमाइंड बताती है। हालांकि, खालिद और उनके वकील लगातार इन आरोपों को खारिज करते रहे हैं, यह तर्क देते हुए कि उनके भाषणों में हिंसा नहीं थी, और दंगों को सीधे तौर पर उनसे जोड़ने वाला कोई ठोस भौतिक सबूत मौजूद नहीं है। वह सितंबर 2020 से हिरासत में हैं और उनकी जमानत याचिकाएं निचली अदालतों से खारिज होने के बाद, यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।



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