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Bhopal Nagar Nigam: नगर निगम भोपाल के माहोली दामखेड़ा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से 44 हजार पेड़ लगे हैं. किसानों को सिंचाई व मछली पालन में लाभ भी मिल रहा है.
Bhopal News: नगर निगम भोपाल अपने अनोखे प्रयास से लगातार कुछ अलग करता रहता है. ऐसा ही कुछ शहर के माहोली दामखेड़ा स्थित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में देखने को मिला है. अब यह पर्यावरण और हरियाली का उदाहरण बन गया है. दरअसल, नगर निगम ने करीब पांच साल में इस एसटीपी से रोज निकलने वाले 1.70 करोड़ लीटर पानी का उपयोग कर 137 एकड़ (55.5 हेक्टेयर) में 44 हजार पेड़ लगाए जा चुके हैं.
लोकल 18 से बात करते हुए महोली दामखेड़ा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के केमिस्ट नवीन मांझी ने बताया कि दिसंबर 2019 से इस प्लांट की शुरुआत हुई थी. इसके बाद से यहां रोजाना लाखों मैट्रिक सीवेज का ट्रीटमेंट किया जाता है. नवीन बताते हैं कि जब इस प्लांट की शुरुआत हुई थी, तो आसपास सिर्फ बंजर जमीन थी यहां एक भी पौधा नहीं लगा हुआ था. लेकिन, वर्तमान में यहां हजारों पेड़ पौधों का जंगल बन चुका है. साथ ही पानी का ट्रीटमेंट कर हम इसे प्लांट के सामने बनाए गए तालाब में छोड़ते हैं.
किसानों को खूब लाभ
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट एसबीआर टेक्नोलॉजी के जरिए काम करता है, जिसके जरिए उच्च स्तरीय बीओडी का ट्रीटमेंट किया जाता है. ट्रीटमेंट किए गए पानी से आसपास के किसानों को भी लाभ पहुंच रहा है. वह तालाब में अपनी मोटर डालकर खेतों में सिंचाई के लिए पानी का इस्तेमाल करते हैं. साथ ही यहां मछली पालन का कार्य भी बीते कुछ सालों से शुरू हुआ है. इसके अतिरिक्त वन विभाग भी ट्रीटमेंट किए गए पानी का इस्तेमाल कर रहा है.
पानी की गुणवत्ता अच्छी
नवीन ने बताया कि ट्रीटमेंट किए गए पानी की गुणवत्ता कैसी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पेड़ पौधों में इस्तेमाल करने के बाद इनका विकास तेजी से होता है वर्तमान समय में यहां प्रतिदिन 30 मिलियन लीटर पानी का ट्रीटमेंट किया जाता है, नवीन बताते हैं कि एसटीपी से निकलने वाला पानी शुद्ध और पीएच संतुलित होता है, जिससे इसे सुरक्षित रूप से सिंचाई में इस्तेमाल किया जा सकता है. एसटीपी में लगी सिक्वेंसिंग बैच रिएक्टर तकनीक से पानी में दुर्गंध नहीं होती.
अतिक्रमण रोकने को पौधारोपण का सुझाव
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनकर तैयार होने के बाद से ही आसपास के क्षेत्र में कब्जे होने लगे थे. ऐसे में इसे रोकने के लिए पर्यावरण वानिकी शाखा ने पौधरोपण का सुझाव दिया. इससे पर्यावरण भी बच गया, सीवेज के पानी का सही उपयोग भी हो गया और अतिक्रमण भी रुक गया.
एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म…और पढ़ें
एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म… और पढ़ें