पत्थर को भी गला दे ये सब्जी, सर्दी में सेहत का खजाना, खेती करने पर किसान की इनकम होगी डबल, जानें कौन

पत्थर को भी गला दे ये सब्जी, सर्दी में सेहत का खजाना, खेती करने पर किसान की इनकम होगी डबल, जानें कौन


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Agriculture News: बुंदेलखंड में एक ऐसी सब्जी उगाई और खाई जाती है, जिसके बारे में दावा किया जाता है कि ये पेट की पथरी को गला सकती है. सर्दी में उगने वाले ये सब्जी सेहत का खजाना बताई जाती है. यही नहीं, इस सब्जी की खेती करने वाले किसान कम समय में बढ़िया कमाई भी करते हैं. जानें क्या है ये सब्जी…

Chandan Bathua Kheti: आधुनिकता के दौर में लोग भले ही आगे बढ़ते जा रहे हों, लेकिन बुंदेलखंड के पुराने लोग आज भी अपनी उन चीजों को अपना रहे हैं जो उन्हें उनके पूर्वजों ने सिखाई थीं. अब इसमें चाहे खेती करने का तरीका हो या फिर परंपरागत फसले उगाने की बात, लोगों को उन पुरानी चीजों का लाभ भी मिल रहा है. ऐसे ही एक सब्जी के बारे में हम बताने जा रहे हैं, जिसका रहस्य पूर्वज ही जानते थे. इस भाजी के सेवन से पेट की पथरी गलने का दावा किया जाता है.

जी हां, चंदन बथुआ की भाजी किसानों के लिए मुनाफा तो बीमारों के लिए सेहत का खजाना है. अगर किसी को पथरी है और वह इस भाजी का सेवन करे तो आराम मिलने का दावा किया जाता है. आयुर्वेदाचार्य तो यहां तक कहते हैं कि हर व्यक्ति को साल में चार-पांच बार इस भाजी को जरूर खाना चाहिए. 16 सालों से जैविक खेती कर रहे सागर कपूरिया के युवा किसान आकाश चौरसिया बताते हैं कि यह भाजी बुंदेलखंड में आज भी प्रचलन में है. इसमें पत्थर को गलाने की शक्ति है.

दो तरह से करें खेती
युवा किसान ने आगे बताया, यह स्वाद में काफी लाजवाब है. इसको सब्जी की तरह बनाकर रोटी के साथ लोग बड़े चाव से खाते हैं. इस भाजी की खेती दो तरह से की जा सकती है. एक तो गेहूं के साथ में इसको लगाया जा सकता है. ऐसे में ये 40 से 60 दिन की फसल होती है. दूसरा खेत को अच्छे से तैयार करके बीज की बुवाई कर लगाया जा सकता है. एक से डेढ़ किलो प्रति एकड़ कि दर से बुवाई की जाती है, जिसमें तकरीबन दो-ढाई हजार का खर्च आता है. 60 दिनों में ही 70 से 80 हजार की फसल निकल सकती है. इससे किसान अच्छा मुनाफा कमा सकता है. जिन किसानों के पास कम खेती है, उनके लिए इस तरह की फसल का भी अच्छी होती है.

खेती सरल, आसान पहचान
चंदन बथुआ की खेती में न तो किसी तरह के खाद की जरूरत होती है, न ही कोई बीमारी लगती है, इसलिए किसी दवा का छिड़काव नहीं होता केवल दो से तीन पानी सिंचाई करने की आवश्यकता होती है. इस भाजी की पहचान करना बेहद आसान होता है. क्योंकि इसके पत्तों पर हल्के पीले भूरे रंग की राख जमी होती है, जो चंदन के जैसे दिखाई देती है. इसलिए इसको चंदन बथुआ कहा जाता है.

Rishi mishra

एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म…और पढ़ें

एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म… और पढ़ें

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पत्थर को भी गला दे ये सब्जी, सर्दी में सेहत का खजाना, खेती करने पर इनकम डबल

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.



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