देश में तेजी से कैंसर की मरीज बढ़ रहे हैं। अगर कैंसर जैसी घातक बीमारी में लापरवाही बरती जाए, तो यह जान भी ले सकती है। ताजा उदाहरण मध्यप्रदेश के मंडला जिले का सामने आया है। यहां 17 वर्षीय किशोरी को ब्रेस्ट कैंसर हो गया। परिवार वालों ने जब इस पर ध्यान
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परिवार वाले इलाज के लिए उसे मंडला जिला अस्पताल पहुंचे। जहां बिना जांच के उसका ऑपरेशन कर दिया, जिसके चलते हालत और बिगड़ गई फिर कुछ ही दिनों में ब्रेस्ट कैंसर इतना ज्यादा फैल गया कि इलाज के लिए किशोरी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल काॅलेज में भर्ती करवाया गया। करीब एक माह तक भर्ती रहने के बाद डाॅक्टरों की टीम ने न सिर्फ सफल आपरेशन किया बल्कि उसे नई जिंदगी भी दी। कैंसर से पीड़ित किशोरी अब पूरी तरह से स्वस्थ है और उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।
डॉक्टरों की टीम ने सर्जरी कर किशोरी की जान बचाई।
छोटी सी गांठ ने लिया कैंसर का रूप मंडला के एक गांव में रहने वाली 17 वर्षीय किशोरी को कुछ माह पहले ब्रेस्ट में गांठ होने का अनुभव हुआ, जिसे उसने परिजनों से छिपाकर रखा। धीरे-धीरे जब गांठ का आकार बढ़ने लगा तो उसने मां को इसकी जानकारी दी। सामान्य बात समझकर किशोरी ने एक सप्ताह तक दवा ली लेकिन जब आकार बढ़ने के साथ-साथ उसे दर्द होने लगा तो माता-पिता इलाज के लिए मंडला जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां सामान्य ट्यूमर समझकर डाॅक्टर ने ऑपरेशन कर दिया, जबकि उसकी बायोप्सी करवानी थी। घर जाने के एक सप्ताह बाद किशोरी को ब्रेस्ट से खून आने लगा, तो उसे मेडिकल काॅलेज के महिला वार्ड में भर्ती किया गया। यहां जांच के दौरान कैंसर की पुष्टि हुई। सिर्फ 17 साल की उम्र में ब्रेस्ट कैंसर होना यह डाॅक्टरों के लिए चौंकाने जैसा था।
हीमोग्लोबिन पहुंच गया था 4 जब परिवार वाले किशोरी को इलाज के लिए मेडिकल काॅलेज लाए थे। उस समय उसका हीमोग्लोबिन 4 था, ऐसे में ऑपरेशन के लिए उसे बेहोश करना और फिर सर्जरी करना ना सिर्फ डाॅक्टरों के लिए चुनौती थी, बल्कि मरीज की जान को भी खतरा था। सर्जरी विभाग में भर्ती कर उपचार शुरू हुआ। बायोप्सी में कैंसर की पुष्टि हुई। हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन भी किया गया। चिकित्सक मरीज को सर्जरी के लिए तैयारी कर रहे हैं। सर्जरी के बाद कीमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी भी उसे दिया जाना था।
पिता बोले-आपरेशन हुआ था मंडला से जबलपुर लाकर किशोरी का इलाज जब मेडिकल काॅलेज के कैंसर विभाग में शुरू हुआ तो, उसके पिता ने बताया कि डाॅक्टरों के द्वारा सर्जरी की गई थी, लेकिन ट्यूमर पूरी तरह खत्म नहीं हुआ, बल्कि कुछ समय बाद रक्तस्त्राव शुरू हो गया, जिससे कि किशोरी की हालत गंभीर हो गई और फिर उसे मेडिकल कॉलेज मे लाकर भर्ती करवाया गया।
बच्ची के पिता ने बताया कि घर का काम करते समय अचानक ही वह गिर गई, इसके बाद उसे दर्द हुआ तो खून आने लगा, सरकारी अस्पताल लेकर आए जहां उसका आपरेशन करवा दिया गया। हालत जब बिगड़ने लगी तो जबलपुर रेफर कर दिया गया।

17 साल में ब्रेस्ट कैंसर चौंकाने वाला डाॅ. संजय यादव ने बताया कि अमुमन ब्रेस्ट कैंसर 35 से 65 वर्ष के बीच होता है, लेकिन अब यह बीमारी कम उम्र के युवतियों को भी गिरफ्त में ले रही है। यह चौंकाने वाला है। मंडला से इलाज के लिए 17 साल की किशोरी आई है, जिसके ब्रेस्ट में कैंसर की पुष्टि हुई है। आमतौर पर इतनी कम उम्र में ब्रेस्ट कैंसर के मामले न के बराबर ही देखने मिलते हैं। जागरूकता के अभाव में किशोरी और उसके परिजन ने सामान्य ट्यूमर समझ कर उपचार कराया। इस दौरान बायोप्सी भी नहीं की गई थी।

डॉ. संजय यादव।
डाॅ. संजय यादव ने बताया कि जिस दौरान किशोरी को इलाज के लिए लाया गया था, उस समय ब्रेस्ट की गांठ 20 सेंटीमीटर तक फैल गई थी, जिसने कि बड़ा आकार ले लिया था। इतना ही नहीं ब्रेस्ट में घाव हो गया है। जिसके कारण कीमोथैरपी नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने बताया कि इस तरह के केस में जागरूकता अभाव और सही मार्गदर्शन न मिलने के साथ-साथ सही विशेषज्ञ से इलाज ना करवाना होता है।
फुटबाल के आकार हो गया था ब्रेस्ट कैंसर विशेषज्ञ डाॅ. संजय यादव ने बताया कि किशोरी के आपरेशन में एक बहुत बड़ी परेशानी उसके हीमोग्लोबिन को लेकर आ रही थी, जो कि बहुत कम हो गया था। ऐसे में पहले किशोरी की हालत को सामान्य किया गया था, फिर आपरेशन की तैयारी की गई। तीन दिन पहले किशोरी का सफल आपरेशन किया गया था, और अब उसे कीमोथैरपी देने योग्य बनाया गया है, इसके बाद अब मरीज को रेडियोथैरपी दी जा रही है।

डाॅ. संजय यादव का कहना है कि जिस दौरान परिजन किशोरी को लेकर उस समय ब्रेस्ट कैंसर ने 20 सेमी एक फुटबाल का आकार ले चुका था, यही अगर प्रारंभिक स्थिति में लाया जाता तो, मरीज को इतनी परेशानी नहीं होती। उन्होंने बताया कि युवतियों को समय-समय पर स्वंय स्तन परीक्षण करना चाहिए, कुछ भी अशंका अगर लगती है, तो विशेषज्ञ डाॅक्टरों की सलाह लेते हुए जांच करवाना चाहिए, जिससे कि अगर समय रहते पता चल जाए तो इलाज किया जा सके। डाॅ संजय यादव का कहना है कि ब्रेस्ट कैंसर का इलाज मुमकिन है, और समय पर अगर डाॅक्टर तक पहुंच जाए तो इसे ठीक भी किया जाता है।

देश में नंबर वन बन गया है ब्रेस्ट कैंसर मेडिकल काॅलेज में पदस्थ जनरल सर्जन डाॅ. आशुतोष सिलोधिया का कहना है कि अभी भी हमारे यहां पर ब्रेस्ट कैंसर को लेकर जागरूकता का अभाव है, जिसके चलते यह नंबर वन कैंसर बनते जा रहा है। उन्होंने बताया कि अगर समय पर मरीज अस्पताल आ जाए तो यह जान का खतरा कभी नहीं बनेगा और यह पूरी तरह से ठीक भी हो जाएगा।
- यह समझना होगा कि ब्रेस्ट कैंसर उम्र नहीं देखता।
- कम उम्र से ही ब्रेस्ट सेल्फ एग्ज़ामिनेशन (स्वयं जांच) सिखानी होगी।
- हर डॉक्टर, हर जनरल प्रैक्टिशनर को भी इसके प्रति जागरूक होना होगा।
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MP में 35-37 की महिलाओं को भी ब्रेस्ट कैंसर

मध्यप्रदेश में 35 से 37 साल की उम्र की महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में आ रही हैं, जबकि देश में औसत उम्र 40 से 45 साल है। ये दावा जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की रिसर्च में किया गया है। रिसर्च में ये भी बताया गया है कि इसके कोई एक नहीं बल्कि कई कारण हैं। पूरी खबर पढ़ें