Last Updated:
ओशो ने जबलपुर में रहकर न सिर्फ पढ़ाई की, बल्कि कॉलेज में स्टूडेंट्स को दर्शनशास्त्र भी पढ़ाया. जहां असिस्टेंट प्रोफेसर भी रहे, इतना ही नहीं जबलपुर के नेपियर टाउन स्थित योगेश भवन में ओशो रहते भी थे. उन्होंने इस दौरान जबलपुर में रहते हुए कई प्रयोग भी किए. जिसको लेकर उन्होंने भंवरताल गार्डन स्थित मौली श्री वृक्ष को चुना था. जिसके नीचे बैठकर ओशो घंटों
जबलपुर. जब भी आप मोबाइल में रील देखे, तब मोटिवेशनल रील में ओशो न आए, ऐसा हो ही नहीं सकता. दरअसल विश्व प्रख्यात ओशो का जबलपुर से गहरा नाता रहा है. ओशो ने जबलपुर में रहकर न सिर्फ पढ़ाई की, बल्कि कॉलेज में स्टूडेंट्स को दर्शनशास्त्र भी पढ़ाया. जहां असिस्टेंट प्रोफेसर भी रहे, इतना ही नहीं जबलपुर के नेपियर टाउन स्थित योगेश भवन में ओशो रहते भी थे. उन्होंने इस दौरान जबलपुर में रहते हुए कई प्रयोग भी किए. जिसको लेकर उन्होंने भंवरताल गार्डन स्थित मौली श्री वृक्ष को चुना था. जिसके नीचे बैठकर ओशो घंटों ध्यान किया करते.
ओशो जबलपुर के भंवरताल गार्डन में लगे मौलश्री वृक्ष के नीचे बैठकर साधना करते थे, साथ ही पेड़ के नीचे बैठकर सुबह और शाम संबोधन भी देते थे. संबोधन सुनने चुंबक की तरह लोग इकट्ठा होने लगते थे. जिसके बाद से ही ओशो को ज्ञान मिला. जहां ओशो हर सवाल का जवाब देते थे. लिहाजा ओशो का यह अंदाज लोगों को काफी पसंद आता था. ओशो से पूछे गए हर सवाल का जवाब तर्क के साथ सुनकर लोग हैरान रह जाते थे.
गार्डन में आज भी मौजूद है मौल श्री वृक्ष
जबलपुर शहर में बने भंवरताल गार्डन में आज भी मौलश्री वृक्ष मौजूद है. जहां पेड़ के नीचे ओशो की फोटो लगी हुई है. ओशो का पूरा नाम आचार्य रजनीश चंद्र मोहन जैन था. ओशो ने करीब 20 साल जबलपुर शहर में बिताए. जहां से उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा की डिग्री पूरी की थी. ओशो के चाचा जबलपुर में स्थानीय पत्रकार भी रहे हैं. जहां ओशो के चाचा ने रजनीश की जबलपुर के डी एन जैन कॉलेज में दर्शन शास्त्र की पढ़ाई करने के बाद 70 रूपए मासिक तन्खाह में पत्रकार के रूप के समाचार पत्र में लगा दिया था.
योगेश भवन में पढ़ा करते थे हजारों पुस्तके
ओशो योगेश भवन में रहकर हजारों पुस्तके पढ़ा करते थे और नोट्स लिखा करते थे. जिससे उनकी शब्द शैली के साथ उनका ज्ञान बढ़ता चला गया. हालांकि आचार्य ओशो जबलपुर के रॉबर्टसन कॉलेज तत्कालीन महाकौशल कॉलेज में रहकर असिस्टेंट प्रोफेसर रहकर फिलोसफी का सब्जेक्ट्स भी पढ़ाया करते थे। ओशो जिस कुर्सी में बैठा करते थे, आज भी वह कुर्सी महाकौशल कॉलेज में मौजूद है. जिसे देखने के लिए दूर-दूर से ओशो के अनुयायी पहुंचते हैं.
7 वर्षों से पत्रकारिता में अग्रसर. इलाहबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स इन जर्नालिस्म की पढ़ाई. अमर उजाला, दैनिक जागरण और सहारा समय संस्थान में बतौर रिपोर्टर, उपसंपादक औऱ ब्यूरो चीफ दायित्व का अनुभव. खेल, कला-साह…और पढ़ें
7 वर्षों से पत्रकारिता में अग्रसर. इलाहबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स इन जर्नालिस्म की पढ़ाई. अमर उजाला, दैनिक जागरण और सहारा समय संस्थान में बतौर रिपोर्टर, उपसंपादक औऱ ब्यूरो चीफ दायित्व का अनुभव. खेल, कला-साह… और पढ़ें