अलाइनमेंट विवाद, प्रशासनिक देरी और तकनीकी बदलावों की वजह से इंदौर और भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट की स्पीड धीमी है, लेकिन खर्च तेजी से बढ़ रहा है। इंदौर मेट्रो तय समय सीमा से पांच साल पीछे चल रहा है। शुरुआत में इसकी लागत 7500 करोड़ तय की गई थी, जो अब बढ़क
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कुछ इसी तरह से भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट की लागत भी 6941 करोड़ से बढ़कर 10 हजार करोड़ हो गई है। इंदौर में 61% और भोपाल में 44% लागत बढ़ी है। कुल मिलाकर दोनों शहरों की मेट्रो की कीमतें अब 18 हजार करोड़ के पार पहुंच चुकी हैं।
इंदौर की बात करें तो साल 2015 में बनी डीपीआर के बाद से रेट बढ़ते रहे, जबकि प्रोजेक्ट की गति लगातार सुस्त रही। अब तक 4409 करोड़ रुपए की फंडिंग मिली है, जिसमें से 4228 करोड़ खर्च हो चुके हैं। प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार, राज्य सरकार, न्यू डेवलपमेंट बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक मिलकर फंड कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर फैसला जल्द नहीं हुआ तो मेट्रो की लागत दोगुनी हो सकती है।
इंदौर में 17.5 किमी एलिवेटेड कॉरिडोर ही अब तक अधूरा…
इंदौर में मेट्रो का काम 2018-19 में शुरू हुआ था। 2021 में रफ्तार मिली, लेकिन कोविड से पहले एजेंसी-कंसल्टेंट विवाद और सरकार बदलने से प्रोजेक्ट अटक गया। 31.32 किमी में से अब तक 17.5 किमी एलिवेटेड कॉरिडोर अधूरा है। तय लक्ष्य 2025-26 था, अब 2027 तक पूरा होने की उम्मीद है। भोपाल मेट्रो की डेडलाइन भी बढ़कर 2027 कर दी गई है।
अलाइनमेंट विवाद… डेढ़ साल काम ही नहीं हो पाया रोबोट चौराहा से पलासिया चौराहा तक कुल 5.50 किमी पर एलिवेटेड कॉरिडोर का टेंडर 550 करोड़ में हुआ था। अलाइमेंट विवाद के कारण डेढ़ साल से काम ठप पड़ा था। खजराना के बाद से ही इसे अंडरग्राउंड करने की तैयारी है। ठेका निरस्त करने पर भी मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को मुआवजा देना होगा। अब तक इंदौर मेट्रो पर 4409 करोड़ और भोपाल मेट्रो पर करीब 3950 करोड़ खर्च हो चुके हैं।
दूसरे व तीसरे चरण के रूट भी तय दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने उज्जैन-इंदौर (लगभग 40 किमी) और इंदौर-पीथमपुर (44 किमी) के लिए रिपोर्ट तैयार की है। 25 जुलाई 2024 को डीएमआरसी को डीपीआर तैयार करने का आदेश मिल चुका है। रिपोर्ट जुलाई 2025 तक आने की उम्मीद है। मेट्रो के दूसरे व तीसरे चरण की रूट लाइन भी तय हो गई है।