एडवोकेट राकेश किशोर ने एक दिन पहले खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति के दर्शन किए।
सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम में CJI (चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया) बीआर गवई पर जूता फेंकने की घटना को आज एक महीना हो रहा है।
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दिल्ली के आरोपी वकील राकेश किशोर कुमार दो दिन से मध्यप्रदेश के खजुराहो में हैं। वजह- वे उसी विष्णु भगवान के जवारी मंदिर में मेडिटेशन और प्रेयर के लिए आए हैं, जिसके बारे में CJI ने 16 सितंबर 2025 को टिप्पणी की थी।
दैनिक भास्कर ने उनसे बात की। उन्होंने कहा कि वे जस्टिस गवई के कहने पर ही यहां आए हैं। खजुराहो में वकील राकेश किशोर कुमार का बुधवार सुबह 10 बजे मंदिर में मेडिटेशन और प्रार्थना करने का इरादा है।
एडवोकेट राकेश किशोर दो दिन के लिए खजुराहो आए हुए हैं।
भास्कर: आप खजुराहो कब पहुंचे? आने का उद्देश्य क्या है? राकेश किशोर: कल ही खजुराहो आ गया था। यह पत्थर पर मेरी पहली चोट है। 5 और 6 नवंबर को खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने प्रार्थना और मेडिटेशन करूंगा। मैंने सभी सनातनियों से आह्वान किया है कि वे बड़ी संख्या में आएं, लेकिन बिना शोर-शराबे, बैनर या लाठी-डंडों के। मेरा किसी तरह की रैली, आत्मदाह या अनशन करने का इरादा नहीं है।
भास्कर: आपके साथ इस समय कौन-कौन आए हैं? राकेश किशोर: मेरे साथ मेरी पत्नी और गोरखपुर से एक मित्र आए हैं। छोटा भाई भी आ सकता है। मैं किसी संगठन से जुड़ा नहीं हूं, इसलिए मेरे साथ राजनीतिक या धार्मिक दल नहीं है।
भास्कर: प्रशासन का कहना है कि मंदिर में योग या मेडिटेशन करना नियमों के खिलाफ है। राकेश किशोर: यह कहना गलत है। मेरे पास The Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act, 1958 की किताब है। इसमें कहीं नहीं लिखा कि प्रार्थना या ध्यान करना निषिद्ध है।
देखिए, प्रतिमा खंडित है। हमारा धर्म भी खंडित मूर्ति की पूजा की अनुमति नहीं देता, इसलिए मैं पूजा नहीं करूंगा। सिर्फ प्रार्थना और ध्यान करूंगा। मैं कर्मकांड में विश्वास नहीं रखता. इसलिए न टीका लगाऊंगा, न जल चढ़ाऊंगा। भगवान से यही प्रार्थना करूंगा कि हमें शक्ति दें।
जहां तक CJI के कथन की बात है, तो उन्होंने कहा था-

भास्कर: वो पल जब आपने सुप्रीम कोर्ट में जूता फेंका। विचार कैसे आया? राकेश किशोर: यह सब सितंबर में शुरू हुआ, जब राकेश दलाल नाम के व्यक्ति ने याचिका लगाई थी। न मेरी उनसे कोई बात हुई, न मुलाकात। जब मैंने भगवान विष्णु के बारे में अपशब्द सुने, तो मन में भाव उठा।
शायद वह ईश्वरीय प्रेरणा थी। यह ख्याल मेरे अंदर कहां से आया, यह केवल परमात्मा जानते हैं। अगर, उन्होंने 100 करोड़ हिंदुओं में से मुझे चुना, तो शायद भगवान की यही इच्छा थी।
भास्कर: क्या आपको सचमुच ईश्वरीय सपना आया था? राकेश किशोर: कुछ लोग, जैसे मेरी पत्नी या बच्चे, इसे मेरे दिमाग का वहम कहते हैं। यह भगवान का आदेश था, और मैं वही कर रहा हूं, जो उन्होंने कहा।
भास्कर: घटनाक्रम के बाद क्या आपकी सीजेआई से मुलाकात हुई? राकेश किशोर: नहीं, मेरी उनसे कोई मुलाकात नहीं हुई। गवई साहब बड़े न्यायमूर्ति हैं। पहले भी कई सीजेआई आए हैं, लेकिन मेरा किसी से व्यक्तिगत संबंध नहीं है और न आगे किसी मुलाकात की आशा है।

इसी मंदिर में भगवान विष्णु की खंडित प्रतिमा स्थापित है।
भास्कर: मंदिर में क्या करने वाले हैं। योग, अनशन या प्रार्थना? राकेश किशोर: सिर्फ प्रार्थना करूंगा। मंदिर में जाकर मूर्ति के सामने बैठूंगा। विपश्यना ध्यान करूंगा। बस, और कुछ नहीं।
भास्कर: मंदिर और मूर्ति में क्या बदलाव चाहते हैं? राकेश किशोर: मैं चाहता हूं कि मंदिर में जिस मूर्ति का सिर टूटा है, उसकी पुनर्स्थापना हो। हजार साल पहले आक्रमणकारियों ने हमारी मूर्तियों को खंडित किया था। अगर मूर्ति का सिर फिर से जोड़ा जाए, तो गुलामी का प्रतीक समाप्त होगा। वहीं, बगल में एक छोटी गणेश प्रतिमा स्थापित हो जाए, ताकि नियमित पूजा शुरू हो सके।
भास्कर: क्या आर्कियोलोजिकल लॉ में ऐसा सुधार संभव है? राकेश किशोर: जी हां, एक्ट में कहीं नहीं लिखा कि मूर्ति में सुधार नहीं किया जा सकता। इतना लिखा है कि संरचना 100 साल से पुरानी होनी चाहिए। गुलामी के समय और बाद की सरकारों ने कभी इस दिशा में सोचा नहीं। अब जब बीजेपी की सरकार है, तो हम मांग करेंगे कि देशभर में खंडित मूर्तियों की पुनर्स्थापना की जाए।
भास्कर: बीजेपी के किसी नेता से आपकी बात या समर्थन मिला है? राकेश किशोर: नहीं, मेरी किसी भी बीजेपी नेता से मुलाकात नहीं हुई। जब मुझे अरेस्ट किया गया था। पुलिस ने मेरा मोबाइल चेक किया था। मेरे पास सिर्फ एक मोबाइल है। किसी भी राजनीतिक व्यक्ति से संपर्क नहीं है।
भास्कर: क्या आपको किसी ने धमकी दी या विरोध किया? राकेश किशोर: नहीं, मुझे किसी ने धमकी नहीं दी। हां, NCP के एक विधायक दिल्ली में मुझसे मिले थे। उन्होंने अंबेडकर की प्रतिमा और संविधान की कॉपी दी। पार्टी में शामिल होने का प्रस्ताव रखा। मैंने मना कर दिया।

जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति खंडित होने की वजह से पूजा नहीं की जाती।
6 अक्टूबर 2025 जब ये न्यूज फ्लैश हुई
CJI पर कोर्ट में जूता फेंकने की कोशिश सुप्रीम कोर्ट में 6 अक्टूबर को एक वकील ने CJI बीआर गवई पर हमला करने की कोशिश की। यह घटना उस समय हुई, जब सीजेआई की बेंच एक मामले की सुनवाई कर रही थी।
हालांकि जूता उनकी बेंच तक नहीं पहुंच सका। सुरक्षाकर्मियों ने फौरन उसे पकड़ लिया। बाहर जाते वक्त वकील ने नारा लगाया- सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान। घटना के बाद CJI ने अदालत में मौजूद वकीलों से अपनी दलीलें जारी रखने को कहा। उन्होंने कहा कि इस सबसे परेशान न हों। मैं भी परेशान नहीं हूं, इन चीजों से मुझे फर्क नहीं पड़ता।
पीएम नरेंद्र मोदी ने CJI गवई जी से बात कर उन पर हुए हमले की निंदा की। मोदी ने X पर लिखा- CJI पर हुए हमले से हर भारतीय गुस्से में है। हमारे समाज में ऐसे निंदनीय कृत्यों के लिए जगह नहीं है। यह अत्यंत निंदनीय है।
ऐसी स्थिति में चीफ जस्टिस गवई ने जो धैर्य दिखाया, मैं सराहना करता हूं। इससे पता चलता है कि वे न्याय और संविधान के मूल सिद्धांतों को मजबूत करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।


आरोपी वकील राकेश किशोर कुमार। (फाइल फोटो)
वकील का लाइसेंस रद्द, BCI ने निलंबित किया वहीं, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने आरोपी वकील राकेश किशोर कुमार का लाइसेंस रद्द कर दिया है। उसका रजिस्ट्रेशन 2011 का है। इसके साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने भी आरोपी को तुरंत निलंबित कर दिया। बीसीआई चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने ये आदेश जारी किया।
उन्होंने कहा कि यह वकीलों के आचरण नियमों का उल्लंघन है। निलंबन के दौरान किशोर कहीं भी प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे।
16 सितंबर को CJI ने कहा था- जाओ, भगवान से खुद करने को कहो
माना जा रहा है कि वकील CJI गवई की मध्य प्रदेश के खजुराहो में भगवान विष्णु की 7 फुट ऊंची सिर कटी मूर्ति की पुनर्स्थापना पर की गई टिप्पणियों से नाराज था।
CJI ने 16 सितंबर को खंडित मूर्ति की बहाली की मांग वाली याचिका खारिज करते हुए कहा था- जाओ और भगवान से खुद करने को कहो। तुम कहते हो भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो, जाओ उनसे प्रार्थना करो।

मध्य प्रदेश के खजुराहो के जवारी (वामन) मंदिर में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति।
जानिए, क्या है भगवान विष्णु की मूर्ति से जुड़ा मामला
16 सितंबर को मध्य प्रदेश के खजुराहो के जवारी (वामन) मंदिर में भगवान विष्णु की 7 फीट ऊंची खंडित मूर्ति की बहाली की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की थी। याचिकाकर्ता ने इस फैसले पर नाराजगी जताई थी।
उन्होंने कहा था कि ये हमारी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला फैसला है। कोर्ट ने कहा है कि प्रतिमा जिस स्थिति में है, उसी में रहेगी। भक्तों को पूजा करनी है तो वे दूसरे मंदिर जा सकते हैं।
दरअसल, याचिकाकर्ता का दावा है कि यह मूर्ति मुगलों के आक्रमणों के दौरान खंडित हो गई थी, तब से यह इसी हालत में है। इसलिए श्रद्धालुओं के पूजा करने के अधिकार की रक्षा करने और मंदिर की पवित्रता को पुनर्जीवित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करे।

18 सितंबर: टिप्पणी का विरोध होने पर CJI ने सफाई दी
भगवान विष्णु की मूर्ति बदलने को लेकर दी टिप्पणी पर चीफ जस्टिस बीआर गवई ने सफाई दी थी। उन्होंने कहा था कि मेरी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से दिखाया गया। मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।
बेंच में शामिल जस्टिस के विनोद चंद्रन ने सोशल मीडिया को एंटी-सोशल मीडिया कहा था। उन्होंने बताया कि उन्हें भी ऑनलाइन गलत तरह से दिखाया गया है।
वहीं, याचिकाकर्ता के वकील संजय नूली ने कहा कि CJI के बारे में सोशल मीडिया पर फैलाए गए बयान झूठे हैं।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा था- सीजेआई सभी धर्मस्थलों पर जाते हैं 18 सितंबर को ही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि मैं CJI को 10 साल से जानता हूं। वे सभी धर्मस्थलों पर जाते हैं। आजकल सोशल मीडिया पर बातें बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई जाती हैं।
मेहता ने कहा था कि न्यूटन का नियम है कि हर क्रिया की समान प्रतिक्रिया होती है, लेकिन अब सोशल मीडिया पर हर क्रिया की जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया हो जाती है।
वहीं, सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने भी सहमति जताई। कहा कि सोशल मीडिया की वजह से वकीलों को रोज दिक्कत उठानी पड़ती है।

VHP नेता बोले- सबका कर्तव्य है वाणी पर संयम रखना VHP के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने X पर लिखा- न्यायालय न्याय का मंदिर है। भारतीय समाज की न्यायालयों पर श्रद्धा और विश्वास है। हम सबका कर्तव्य है कि यह विश्वास न सिर्फ बना रहे वरन और मजबूत हो।
हम सब का यह भी कर्तव्य है कि अपनी वाणी में संयम रखें। विशेष तौर पर न्यायालय के अंदर। यह जिम्मेदारी मुकदमा लड़ने वालों की है, वकीलों की है और उतनी ही न्यायाधीशों की भी है।

देखिए जावरी मंदिर की 4 तस्वीरें…

जावरी मंदिर खजुराहो का पहला मंदिर है, जिसे साइड व्यू से पूरा देखा जा सकता है।

अपनी वास्तुकला के कारण खजुराहो के मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल लिस्ट में है।

जावरी मंदिर में भगवान विष्णु के सभी अवतारों को दिखाया गया है।
