कृष्णा साहू
मंडला. जिले के कान्हा टाइगर रिजर्व में एक रोमांचक पहल शुरू हो रही है. यहां अब असम से 50 जंगली भैंसे लाए जाएंगे, जिससे दशकों बाद कान्हा के जंगलों में फिर इनका झुंड नजर आएगा. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है. अगले पांच सालों में हर साल 10 भैंसे असम से कान्हा लाए जाएंगे. फिलहाल जंगली भैंसों के लिए हालोन वैली में 150 हेक्टेयर का विशेष बाड़ा तैयार किया जा रहा है.
यह प्रजाति पहले कान्हा के जंगलों में पाई जाती थी, लेकिन विलुप्त हो चुकी थी. अब यह पहल न सिर्फ जैव विविधता बढ़ाएगी बल्कि पर्यटकों के लिए भी नया आकर्षण बनेगी. वन विभाग का मानना है कि यह पहल कान्हा को फिर से “वाइल्ड बफेलो कैपिटल ऑफ सेंट्रल इंडिया” बना सकती है.
कान्हा प्रबंधन ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं. पहले चरण में असम से 10 जंगली भैंसे लाए जाएंगे. इन्हें कान्हा की हालोन वैली में बनाए जा रहे 150 हेक्टेयर के बाड़े में रखा जाएगा. यही से इनके प्रजनन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. योजना के तहत पांच सालों में 50 जंगली भैंसे कान्हा में बसाए जाएंगे.
पहले भी थी मौजूदगी, फिर गायब हो गए थे
एक समय था जब कान्हा टाइगर रिजर्व के विशाल घास के मैदानों में जंगली भैंसे बड़ी संख्या में दिखते थे. मगर शिकार और पर्यावरणीय असंतुलन के कारण यह प्रजाति धीरे-धीरे विलुप्त हो गई. अब असम से लाई जा रही भैंसों की नस्ल कान्हा की जलवायु और वन संरचना के अनुकूल मानी जा रही है.
कान्हा के लिए नया आकर्षण
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, कान्हा के घास के मैदान और प्राकृतिक जल स्रोत जंगली भैंसों के लिए आदर्श आवास हैं. इनकी मौजूदगी से पारिस्थितिक संतुलन सुधरेगा और पर्यटकों के लिए नया रोमांचक अनुभव मिलेगा.
पुनीत गोयल, उपसंचालक, कान्हा टाइगर रिजर्व:
“अगर सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो आने वाले वर्षों में कान्हा के जंगल फिर जंगली भैंसों की गूंज से भर जाएंगे.”
प्रबंधन की तैयारी और उम्मीदें
कान्हा टाइगर रिजर्व के उपसंचालक पुनीत गोयल ने बताया कि “असम से लाए जाने वाले जंगली भैंसे पहले बाड़े में रहेंगे, जहां उनकी ब्रीडिंग होगी. आगे इन्हें जंगल में छोड़ा जाएगा ताकि वंशवृद्धि हो सके.”
वन्यजीव विशेषज्ञ का मत:
“कान्हा का वातावरण और घास के मैदान इस प्रजाति के लिए प्राकृतिक रूप से उपयुक्त हैं. यह संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम है.”3 सबसे खास प्वाइंट्स
कान्हा में असम से 50 जंगली भैंसों को लाने की मंजूरी मिली.
पांच साल में चरणबद्ध तरीके से भैंसे कान्हा में बसाई जाएंगी.
इससे पर्यटन और पारिस्थितिक संतुलन दोनों को मिलेगा बढ़ावा.