Onion Farming: प्याज से करनी है कमाई तो पहले नर्सरी करें तैयार, एक्सपर्ट किसान ने बताया मुनाफा बढ़ाने का तरीका

Onion Farming: प्याज से करनी है कमाई तो पहले नर्सरी करें तैयार, एक्सपर्ट किसान ने बताया मुनाफा बढ़ाने का तरीका


Agri Tips: प्याज भारत की प्रमुख नगदी फसलों में से एक है. इसका उपयोग हर घर की रसोई में रोज होता है, इसलिए बाजार में इसकी मांग पूरे साल बनी रहती है. लेकिन, अच्छी फसल पाने के लिए सबसे अहम कदम है प्याज की नर्सरी (कली) को सही तरीके से तैयार करना. अगर नर्सरी मजबूत और स्वस्थ होगी तो प्याज का उत्पादन भी दोगुना बढ़ेगा. आइए जानते हैं एक्सपर्ट और अनुभवी किसान भागीरथ पटेल से कि प्याज की नर्सरी कैसे तैयार करें, कौन सी मिट्टी सबसे उपयुक्त है और किस तरह से आप अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं?

मिट्टी का चयन और तैयारी
प्याज की नर्सरी के लिए सबसे पहले मिट्टी का चुनाव बहुत जरूरी है. किसान कृषि क्लिनिक के सुनील पटेल बताते हैं कि दोमट या बलुई दोमट मिट्टी, जिसमें पानी की निकासी अच्छी हो, नर्सरी के लिए सबसे उपयुक्त रहती है. खेत की जुताई 2-3 बार करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए. इसके बाद मिट्टी में गली-सड़ी गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट (2 क्विंटल प्रति बीघा) मिलाएं. इससे मिट्टी में जैविक तत्व बढ़ेंगे और बीजों के अंकुरण में मदद मिलेगी. खेत को समतल करने के बाद 1 मीटर चौड़ी और 3-4 मीटर लंबी क्यारियां बनाएं. क्यारियों के बीच में पानी की निकासी के लिए छोटी नालियां छोड़ना न भूलें, क्योंकि पानी भर जाने से बीज गल सकते हैं.

बीज का चुनाव और उपचार
प्याज की नर्सरी के लिए अच्छे और प्रमाणित बीज का चयन करना बहुत जरूरी है. किसान भागीरथ पटेल बताते हैं कि “अगर बीज कमजोर या पुराने होंगे, तो अंकुरण दर कम होगी और नर्सरी कमजोर बनेगी.” बीज उपचार के लिए बीज को बोने से पहले थायरम या कैप्टान दवा (2-3 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचारित करें. इससे फफूंद और कीटों से बीज की सुरक्षा होती है. यदि चाहें तो आप जैविक विकल्प के रूप में ट्राइकोडर्मा का भी उपयोग कर सकते हैं.

बीज बुवाई की विधि
नर्सरी की क्यारियों में हल्का पानी डालने के बाद बीजों को 1 सेंटीमीटर की गहराई पर छिड़काव विधि से बोएं. बीज बोने के बाद हल्की मिट्टी और गोबर खाद की परत चढ़ा दें. फिर ऊपर से हल्का पानी छिड़कें। ध्यान रखें कि ज्यादा पानी न डालें, वरना बीज सड़ सकते हैं. प्याज के बीज बोने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से दिसंबर माना जाता है, जबकि कुछ क्षेत्रों में किसान फरवरी-मार्च में भी गर्मी की फसल के लिए नर्सरी तैयार करते हैं.

सिंचाई और देखभाल
नर्सरी में नियमित रूप से हल्की सिंचाई करें। पहले 15 दिनों तक रोज हल्का पानी दें ताकि अंकुरण अच्छा हो. उसके बाद हर 3-4 दिन में एक बार सिंचाई करें. साथ ही, नर्सरी में खरपतवार (घास) न पनपे, इसके लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें. किसान भागीरथ पटेल बताते हैं, “अगर नर्सरी में घास बढ़ जाए तो प्याज की कली कमजोर पड़ जाती है. उत्पादन घटता है.”

जैविक खाद और पोषण
नर्सरी में गोबर खाद, नीम खली और जैविक टॉनिक (जैसे जीवामृत या पंचगव्य) का प्रयोग करना लाभदायक रहता है. इससे पौधों की जड़ें मजबूत बनती हैं और वे रोगों से लड़ने में सक्षम होती हैं. यदि पौधों का विकास धीमा दिखे तो आप हल्की मात्रा में DAP या NPK (10:26:26) का छिड़काव कर सकते हैं, लेकिन जैविक किसान इसे केवल जैविक पोषक तत्वों से ही पूरा करते हैं.

पौध की तैयारी और रोपाई का समय
नर्सरी तैयार होने में आमतौर पर 45 से 50 दिन का समय लगता है. जब प्याज की कलियाँ 15–20 सेंटीमीटर लंबी हो जाएं, तो वे खेत में रोपाई के लिए तैयार मानी जाती हैं. रोपाई से पहले पौधों को हल्के पानी से सिंचित करें ताकि जड़ें आसानी से निकल जाएं.
पौध निकालने के बाद उन्हें कुछ घंटे छांव में रखें और फिर खेत में 10–12 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपें. इससे हर पौधे को बढ़ने की पर्याप्त जगह मिलेगी और प्याज का आकार बड़ा बनेगा.

इतना मुनाफा आराम से होगा
भागीरथ पटेल बताते हैं कि “अगर किसान प्याज की नर्सरी वैज्ञानिक तरीके से तैयार करें तो उत्पादन में 20–25 प्रतिशत तक की वृद्धि होती है.” एक बीघा में लगभग 30–35 क्विंटल प्याज का उत्पादन आसानी से लिया जा सकता है. बाजार भाव 15 से 25 रुपये प्रति किलो तक भी मिलने पर किसान 50 हजार से 80 हजार रुपये तक का शुद्ध मुनाफा कमा सकते हैं.



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