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Chhatarpur News: आज हम आपको एक ऐसे बच्चे की कहानी बताने जा रहे हैं जो पढ़ाई करना चाहता है, स्कूल जाना चाहता है, लेकिन परिवार की आर्थिक हालत इतनी खराब है कि उसे मजबूरन झाड़ू बनानी पड़ रही है. आइए जानते हैं इस बच्चे की भावुक कहानी.
Chhatarpur News: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के छत्रसाल कॉलोनी में रहने वाले रोहित की कहानी हर किसी को भावुक कर देती है. इस उम्र में जहां बच्चे स्कूल जाते हैं, दोस्त बनाते हैं और पढ़ाई करते हैं, वहीं रोहित को अपनी आर्थिक स्थिति के कारण बचपन से ही झाड़ू बनाने का काम करना पड़ रहा है. क्योंकि रोहित के परिजनों के पास न तो स्थाई घर है, न ही जमीन-जायदाद है. हालांकि, यहां रोहित जैसे ही तमाम ऐसे बच्चे हैं जिनके परिजन इतने भी सक्षम नहीं है कि उन्हें स्कूल भेज पाएं.
बचपन से झाड़ू बनाने लगे
रोहित बताते हैं कि हमारे पास सिर्फ एक झोपड़ी है, जिसे हम कभी यहां तो कभी वहां लेकर जाते हैं. घर में गरीबी थी तो बचपन से ही झाड़ू बनाना शुरू कर दिया. रोहित का परिवार पूरी तरह झाड़ू बनाने के काम पर निर्भर है. उनके माता-पिता और बड़े भाई भी यही काम करते हैं. घर के हालात ऐसे हैं कि रोहित को भी इसमें हाथ बटाना पड़ता है.
पढ़ाई करना चाहते हैं
रोहित का दिल अब भी स्कूल जाने और पढ़ाई करने की ख्वाहिश रखता है. वह कहते हैं कि मुझे पढ़ाई करनी है, स्कूल जाना है. लेकिन एक जगह स्थाई तौर पर रहने का कोई साधन नहीं है. ऐसे में स्कूल जाना मुश्किल हो गया है.
50 से ज्यादा झूग्गियों का परिवार बनाता है झाड़ू
छतरपुर के छत्रसाल नगर में सालों से झाड़ू बनाने का काम करने वाली कुसमा बताती हैं कि शहर में ही झुग्गियां बनाकर रहते हैं. यहां 50 से ज्यादा परिवार झुग्गी बनाकर रहते हैं. ये सभी परिवार सालों से झाड़ बनाने का काम कर रहे हैं. इन परिवारों का एकमात्र धंधा यही है. अगर धंधा ही बंद होने की कगार में हो जाएगा तो फिर परिवार का पेट खर्च कैसे चलेगा?
जिले से 80 किमी दूर से खजूर लाना पड़ता है
मनीषा बताती हैं कि खजूर लाने के लिए जिले से 80 किमी दूर भी जाना पड़ता है. लवकुश नगर जाते हैं जो शहर से 50 किमी दूर है, चंदला, सरबई और बारीगढ़ जाते हैं. ये शहर से 80 किमी दूर स्थित है. अभी यहीं से खजूर लाना पड़ता है. इतनी दूर से खजूर लाने में भाड़ा खर्च लगता है?
Deepti Sharma, currently working with News18MPCG (Digital), has been creating, curating and publishing impactful stories in Digital Journalism for more than 6 years. Before Joining News18 she has worked with Re…और पढ़ें
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