Palm Farming: अगर आप ऐसी फसल की तलाश में हैं, जो कम मेहनत में लंबे समय तक मुनाफा देती रहे, तो पाम की खेती आपके लिए वरदान साबित हो सकती है. आज हम बात करेंगे उस खेती की, जिसे लोग ‘गोल्डन रेन’ यानी ‘सोने की बरसात’ भी कहते हैं. क्योंकि, एक बार पाम का पौधा लगाने के बाद लगभग 25 से 30 साल तक किसान को लगातार आमदनी होती रहती है. यही वजह है कि देश के कई राज्य इस खेती की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं.
क्या है पाम की खेती?
पाम का पेड़ एक उष्णकटिबंधीय पौधा है, जिससे पाम ऑयल यानी ताड़ का तेल निकाला जाता है. यह तेल भारत में खाद्य तेल के रूप में तो इस्तेमाल होता ही है, साथ ही कॉस्मेटिक, साबुन, बायोडीजल और औद्योगिक उत्पादों में भी इसका उपयोग किया जाता है. यही वजह है कि देश और विदेश में पाम ऑयल की मांग लगातार बढ़ रही है. भारत सरकार भी किसानों को इस दिशा में प्रोत्साहित कर रही है. राष्ट्रीय पाम ऑयल मिशन (NMEO-OP) योजना के तहत किसानों को पाम के पौधे, सिंचाई सुविधा और प्रशिक्षण पर सब्सिडी दी जा रही है, ताकि देश में खाद्य तेल का आयात कम हो और किसानों की आय में बढ़ोतरी हो.
कैसा होना चाहिए मौसम और मिट्टी?
पाम की खेती के लिए गर्म और नमी वाला मौसम सबसे उपयुक्त माना जाता है. 20°C से 35°C तापमान और सालाना 2000-2500 मिमी बारिश वाले क्षेत्र इसके लिए आदर्श हैं. हालांकि, सिंचाई की सुविधा वाले इलाकों में यह खेती कम बारिश वाले क्षेत्रों में भी सफल हो सकती है. मिट्टी की बात करें तो दोमट या बलुई दोमट मिट्टी, जिसमें जल निकासी अच्छी हो, पाम के पौधों के लिए उत्तम मानी जाती है. खेत में पानी रुकना नहीं चाहिए, क्योंकि जड़ों में सड़न हो सकती है.
पौधारोपण और देखभाल
पाम की खेती की शुरुआत उत्तम किस्म के पौधों से करनी चाहिए. पौधे आमतौर पर नर्सरी से खरीदे जाते हैं और खेत में लगाने से पहले गड्ढों में गोबर की खाद और रेत डालना जरूरी होता है. एक एकड़ में करीब 55 से 60 पौधे लगाए जा सकते हैं. पौधारोपण के बाद शुरुआती दो साल तक हल्की सिंचाई और निराई-गुड़ाई करनी होती है. इसके बाद पौधा धीरे-धीरे फल देने लगता है. तीसरे साल से ही किसान को इसकी पहली आमदनी मिलने लगती है और फिर यह लगातार 25 साल तक उत्पादन देता है.
आमदनी और मुनाफा
पाम की खेती का सबसे बड़ा फायदा इसकी लॉन्ग टर्म इनकम है. एक बार लगाने के बाद लगभग 25-30 साल तक लगातार फल मिलते हैं. एक पाम का पेड़ सालाना करीब 100-120 किलो फल देता है. एक हेक्टेयर में लगभग 15-20 टन फल तक उत्पादन होता है. अगर बाजार भाव ₹9-10 प्रति किलो भी मानें तो किसान को प्रति हेक्टेयर करीब ₹1.5 से ₹2 लाख रुपये तक वार्षिक आमदनी हो सकती है. वहीं लागत केवल शुरुआती सालों में लगती है.
निमाड़ क्षेत्र में खेती की पूरी संभावना
खंडवा जिले के जय कृषि किसान क्लिनिक के नवनीत रेवापाटी का कहना है कि “निमाड़ क्षेत्र में पाम की खेती की पूरी संभावना है. यहां की मिट्टी और तापमान इसके लिए उपयुक्त है. अगर सरकार की योजनाओं का सही उपयोग किया जाए तो किसानों को बड़ा फायदा मिल सकता है. बड़ी कंपनियां भी पाम के तेल की खरीद के लिए किसानों से सीधा अनुबंध कर सकती हैं.”