खंडवा में रजूर हॉस्टल की अधीक्षिका सस्पेंड: बिल्डिंग की तीसरी मंजिल से कूदी थी नौंवी की छात्रा, पिता बोले- बेटी को परेशान किया – Khandwa News

खंडवा में रजूर हॉस्टल की अधीक्षिका सस्पेंड:  बिल्डिंग की तीसरी मंजिल से कूदी थी नौंवी की छात्रा, पिता बोले- बेटी को परेशान किया – Khandwa News



छात्रावास अधीक्षिका कोकिला बौरासी।

खंडवा जिले के रजूर गांव स्थित आदिवासी छात्रावास में नौवीं कक्षा की छात्रा द्वारा तीसरी मंजिल से कूदकर जान देने की घटना ने प्रशासन और विभाग दोनों पर सवाल खड़े हुए हैं। इस मामले में जनजातीय कार्य विभाग भोपाल ने सोमवार को हॉस्टल अधीक्षिका कोकिला बौरासी क

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छात्रा की पहचान पूजा पिता सुंदरलाल किराड़े के रूप में हुई। यह घटना 1 नवंबर की है, जिस दिन हॉस्टल दिवस और विभाग के मंत्री एवं क्षेत्रीय विधायक विजय शाह का जन्मदिन मनाया जा रहा था। कुछ घंटे बाद ही पूजा ने यह कदम उठाया। बताया गया कि वह हॉस्टल की तीसरी मंजिल से गिरी, जिससे उसके हाथ-पैर टूट गए और सिर में गंभीर चोट आई। पहले खंडवा और फिर इंदौर के निजी अस्पताल में इलाज के दौरान पूजा ने दम तोड़ दिया।

अधीक्षिका ने बताया था- प्रेत का साया घटना के बाद हॉस्टल अधीक्षिका ने दावा किया कि छात्रा कुछ समय से परेशान थी और उस पर “भूत-प्रेत का साया” था। अधीक्षिका के अनुसार, शायद इसी वजह से उसने यह कदम उठाया। हालांकि, छात्रा के परिजन इस दावे को पूरी तरह खारिज कर रहे हैं।

छात्रा के पिता सुंदरलाल किराड़े ने कहा कि उनकी बेटी पूरी तरह स्वस्थ थी और दिवाली की छुट्टियों में घर आने के बाद दो दिन पहले ही वह उसे हॉस्टल छोड़कर लौटे थे। पिता ने आरोप लगाया कि बेटी की मौत के बाद हॉस्टल प्रशासन ने उसकी सहेली और अन्य छात्राओं पर चुप रहने का दबाव बनाया। उन्होंने कहा कि “बेटी की मौत के पीछे पूरा सिस्टम जिम्मेदार है” और इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

परिसर में पुरुष भी प्रवेश करते हैं कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने इस प्रकरण में जांच दल गठित किया है, जिसमें संयुक्त कलेक्टर निकिता मंडलोई, मिट्टी परीक्षण अधिकारी कविता गवली और पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की निरीक्षक सुनीता मुवेल शामिल हैं। जांच समिति को तीन दिन में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। सोमवार को जांच टीम ने हॉस्टल पहुंचकर घटनास्थल का निरीक्षण किया और संबंधित लोगों के बयान दर्ज किए।

सूत्रों के अनुसार, यह हॉस्टल केवल कन्या छात्राओं के लिए है, जहां पुरुषों का प्रवेश प्रतिबंधित है। इसके बावजूद हॉस्टल में पुरुष कर्मचारियों और स्थानीय नेताओं की आवाजाही बनी रहती थी। बताया गया कि अधीक्षिका की जगह अक्सर स्थानीय नेता हॉस्टल का प्रशासनिक कामकाज संभालते थे। यह तथ्य भी जांच के दायरे में शामिल किया गया है।



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