Agriculture News: खेती को अगर समझदारी और तकनीक के साथ किया जाए, तो यही खेत किसान को लखपति बना सकते हैं. मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के अहमदपुर खेगांव गांव के किसान ललित शंकर पाटिल इसकी सबसे बड़ी मिसाल हैं. जहाँ ज़्यादातर किसान रासायनिक खादों और दवाओं पर निर्भर रहते हैं, वहीं ललित ने जैविक खेती का रास्ता चुना — और आज उनकी हल्दी की खेती पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन चुकी है.
ललित बताते हैं कि कुछ साल पहले तक वे पारंपरिक खेती करते थे. गेहूं, सोयाबीन और कपास जैसी फसलों से उन्हें बहुत ज़्यादा मुनाफा नहीं होता था. बढ़ती लागत, घटती उपज और मिट्टी की बिगड़ती हालत ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया. तभी उन्होंने यूट्यूब पर किसानों के कुछ वीडियो देखे, जहाँ जैविक हल्दी की खेती से लाखों रुपये कमाने की कहानियाँ दिखाई गई थीं. बस, यहीं से उनकी सोच बदल गई और उन्होंने नई राह चुन ली.
उन्होंने तय किया कि अब वे रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करेंगे. शुरुआत में परिवार और गाँव वालों ने कहा कि बिना खाद और कीटनाशक के खेती कैसे होगी? लेकिन ललित ने ठान लिया था कि वे “प्रकृति के साथ खेती करेंगे, उसके खिलाफ नहीं.” उन्होंने यूट्यूब वीडियो देखकर वर्मी कंपोस्ट, जीवामृत, गोबर खाद और नीम खली से प्राकृतिक उर्वरक बनाना सीखा.
इसके बाद उन्होंने लगभग एक एकड़ जमीन पर जैविक हल्दी की फसल लगाई. शुरुआत में उन्हें थोड़ा डर था कि पता नहीं फसल कैसी आएगी, लेकिन जब हल्दी उगनी शुरू हुई तो खुद वे भी हैरान रह गए. पौधों की बढ़त बेहतरीन थी, पत्तियाँ चमकदार थीं और मिट्टी की नमी बनी हुई थी, जब फसल तैयार हुई तो उसकी खुशबू और रंग इतनी नेचुरल और गहरी थी कि लोग गाँव से दूर-दूर से देखने आने लगे. उन्होंने बताया, “जब पहली बार हल्दी निकाली तो उसका रंग सुनहरा और खुशबू ऐसी थी जैसी पहाड़ी हल्दी की होती है.”
सबसे बड़ी बात- इस हल्दी की मार्केट डिमांड जबरदस्त रही. व्यापारी खुद ललित के घर पर हल्दी लेने आने लगे. क्योंकि यह पूरी तरह जैविक थी, इसलिए इसकी कीमत बाज़ार में साधारण हल्दी से तीन गुना ज़्यादा मिली. इससे उनकी एक एकड़ की फसल ने ही उन्हें लाखों रुपये का मुनाफा दिलाया. ललित ने अपनी सफलता के पीछे यूट्यूब को गुरु बताया. वे कहते हैं, “अगर सीखने की चाह हो, तो यूट्यूब एक खुली किताब है. वहीं से मैंने जैविक खेती के हर चरण — बीज चयन से लेकर खाद और कीट नियंत्रण तक — सब कुछ सीखा.”
अब उनके गाँव के दूसरे किसान भी उनसे सीख रहे हैं. कई किसान उनके खेत पर आकर देखते हैं कि वे कैसे बिना किसी रासायनिक दवा के इतनी शानदार फसल ले रहे हैं. उन्होंने गाँव के युवाओं को भी प्रेरित किया है कि वे सोशल मीडिया का इस्तेमाल सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि सीखने और कमाने के लिए भी करें. आज ललित शंकर पाटिल का सपना है कि उनका गाँव पूरी तरह जैविक खेती वाला गाँव बने. वे अपने खेत में डेमो फार्म चलाते हैं, जहाँ दूसरे किसान जैविक तकनीक सीखने आते हैं. वे उन्हें बताते हैं कि कैसे गोबर, गोमूत्र, नीम और जीवामृत से न केवल फसल बेहतर होती है, बल्कि मिट्टी की सेहत भी सुधरती है.
ललित कहते हैं, “जब हम रासायनिक खेती करते हैं तो मिट्टी कमजोर हो जाती है, लेकिन जैविक खेती से मिट्टी ज़िंदा रहती है. यही ज़िंदा मिट्टी आगे हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी स्वस्थ रखेगी.” उनकी यह पहल अब कृषि विभाग और स्थानीय प्रशासन की नज़रों में भी आई है. विभाग ने उन्हें कई मंचों पर सम्मानित करने के प्रयास कर रहा है और अन्य किसानों को उनके खेत का मॉडल देखने भेजा है.
ललित की कहानी इस बात का प्रमाण है कि नई सोच, तकनीक और मेहनत से खेती में भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है. यूट्यूब पर सीखी एक साधारण तकनीक ने उन्हें लखपति बना दिया और जैविक खेती का ब्रांड एंबेसडर बना दिया.
संदेश:अगर आप किसान हैं और खेती में मुनाफा बढ़ाना चाहते हैं, तो ललित पाटिल की तरह जैविक खेती को अपनाइए. मिट्टी को ज़हर नहीं, पोषण दीजिए और देखिए कैसे आपकी फसल, आपकी कमाई और आपकी पहचान, तीनों सुनहरी हो जाती हैं.