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Agriculture News: जहां जड़ सड़न की शुरुआत दिखे, वहां फौरन ड्रिंचिंग करनी चाहिए. इसके लिए किसान भाई 30 ग्राम कार्बेन्डाजिम या मेन्कोजेब को पानी में घोलकर पौधों की जड़ों में डालें. यह प्रक्रिया हफ्ते में एक बार करें और दो से तीन बार दोहराएं.
खरगोन. मध्य प्रदेश में मिर्च की सबसे ज्यादा खेती खरगोन जिले में होती है. हर साल यहां करीब 50 हजार से ज्यादा हेक्टेयर में किसान लाल तीखी मिर्ची की खेती करते है. यहां की लाल और तीखी मिर्च देश-विदेश तक जाती है लेकिन इस फसल में बीमारियां और कीट की समस्याएं भी खूब देखी जाती हैं. सर्दी के मौसम में इनका हमला और ज्यादा बढ़ जाता है. कृषि विशेषज्ञों की मानें, तो समय पर इन रोगों की पहचान और नियंत्रण न होने पर पूरी फसल प्रभावित हो सकती है और किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. वैज्ञानिक डॉ एसके त्यागी लोकल 18 को बताते हैं कि मिर्च में आमतौर पर पत्तियां खाने और रस चूसने वाले कीटों का प्रकोप ज्यादा पड़ता है. ये धीरे-धीरे पौधे को कमजोर कर देते हैं लेकिन किसान बिना रासायनिक दवाई के जैविक तरीके से इसे नियंत्रित कर सकते हैं. किसान इसके लिए नीम की निंबोली का घोल बनाएं और खेतों में छिड़कें. घोल बनाने के लिए पांच किलो निंबोली को कूटकर 10 लीटर पानी में दो दिन गलने दें. इसके बाद इसे छानकर 15 लीटर के पंप में 13.5 लीटर पानी के साथ मिलाकर हर 15 दिन में फसल पर छिड़कें.
उन्होंने कहा कि इसी के साथ ठंड के मौसम में मिर्च में सफेद मक्खी और माइट्स जैसे छोटे कीट भी तेजी से पनपते हैं लेकिन किसान अक्सर इन्हें समय पर पहचान नहीं पाते. इसके लिए खेत में स्टिकी ट्रैप कार्ड लगाना बहुत उपयोगी होता है. एक एकड़ खेत में 20 पीले और 20 नीले कार्ड लगाएं. पीले कार्ड सफेद मक्खी और माहू जैसे कीटों को पकड़ते हैं जबकि नीले कार्ड थ्रिप्स और माइट्स के लिए खासतौर पर प्रभावी हैं. इन्हें जमीन से एक से डेढ़ फीट की ऊंचाई पर खेत के बीच और चारों ओर लगाएं और हर सप्ताह जांच कर भरे हुए कार्ड बदल दें.
जड़ सड़न के लक्षण क्या है?
वैज्ञानिक बताते हैं कि मिर्च में जड़ सड़न की समस्या भी आम है. यह फफूंद के कारण फैलती है और पौधे की जड़ को पूरी तरह खराब कर देती है. रोकथाम के लिए खेत में पानी भराव, नमी और जल निकासी की उचित व्यवस्था करना चाहिए. इस बीमारी में पौधा पहले पीला पड़ता है और फिर सूखने लगता है. डॉ त्यागी बताते हैं कि इस रोग से बचाव के लिए खेत में एक किलो ट्राइकोडर्मा को 50 किलो सड़ी गोबर खाद में मिलाकर प्रति एकड़ मिट्टी में डालें. इससे मिट्टी में मौजूद फफूंद नियंत्रण में रहती है.
नियंत्रण के लिए क्या करें?
उन्होंने आगे कहा कि जहां जड़ सड़न की शुरुआत दिखे, वहां तुरंत ड्रिंचिंग करनी चाहिए. इसके लिए 30 ग्राम कार्बेन्डाजिम या मेन्कोजेब को पानी में घोलकर पौधों की जड़ों में डालें. यह प्रक्रिया सप्ताह में एक बार करें और दो से तीन बार दोहराएं. यदि किसी पौधे में बीमारी बढ़ गई हो, तो उसे जड़ सहित उखाड़कर खेत से दूर फेंक दें ताकि रोग अन्य पौधों में न फैले.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.