Success Story: रेलवे स्टेशन से शुरू हुई कहानी, मां ने बेचे पायल…और बेटे ने 18 लोगों की खड़ी कर दी टीम

Success Story: रेलवे स्टेशन से शुरू हुई कहानी, मां ने बेचे पायल…और बेटे ने 18 लोगों की खड़ी कर दी टीम


कोई भी सपना छोटा या बड़ा नहीं होता, बस उसे पूरा करने का जज्बा बड़ा होना चाहिए. यह बात बिल्कुल सटीक बैठती है खंडवा में काम करने वाले मेहंदी आर्टिस्ट राज राजपूत की जिंदगी पर. साधारण परिवार में जन्मे राज को बचपन में ही तिरस्कार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार मानने की बजाय अपने हुनर को हथियार बना लिया. आज वे न सिर्फ मध्य प्रदेश के बेहतरीन मेहंदी आर्टिस्ट्स में शामिल हैं, बल्कि हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा भी बन चुके हैं.

बचपन में ही ठोकरें मिली, लेकिन जुनून नहीं टूटा
राज राजपूत मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मथुरा के रहने वाले हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी और पिता चाहते थे कि राज कोई और काम करें, लेकिन राज का मन हमेशा डिजाइन, कला और क्रिएटिविटी में लगता था. मात्र 10 साल की उम्र में जब उन्होंने मेहंदी लगाना शुरू किया, तब समाज के कुछ लोगों ने तानों की बौछार कर दी.
“लड़के मेहंदी क्या लगाएंगे?”, “ये तो महिलाओं का काम है” ऐसी बातें राज के कानों में रोज पड़ती थीं. लेकिन राज ने एक बात गांठ बांध ली “जिसे लोग कमजोर कहते हैं, वही मेरी ताकत बनेगी.”
इसी जिद ने उन्हें उनके सपनों की राह पर चलने की हिम्मत दी.

रेलवे स्टेशन से शुरू हुई जिंदगी की नई कहानी
मुंबई जाकर बड़ा बनने का सपना लेकर राज ट्रेन में बैठे, लेकिन रास्ता कुछ ऐसा बदला कि वे गलती से खंडवा स्टेशन पर उतर गए. रात गुजारने के लिए उनके पास न पैसा था न जगह. मजबूरी में उन्होंने पार्वती बाई धर्मशाला में रात बिताई. अगले दिन वे शहर के ब्यूटी पार्लरों में काम मांगने लगे, लेकिन हर जगह मना कर दिया गया.

लेकिन कहते हैं ना जहां चाह, वहां राह
खंडवा के मधुसूदन टॉवर की एक गली में एक दुकानदार ने उन्हें अपनी दुकान के बाहर बैठने की अनुमति दी. बस उसी फुटपाथ पर बैठकर राज ने मेहंदी का काम शुरू किया. जो कभी रोड पर बैठकर मेहंदी लगाते थे, आज वही राज मध्य प्रदेश के फेमस मेहंदी आर्टिस्ट बन चुके हैं.

11,000 से ज्यादा दुल्हनों की हथेलियों पर उतारा कला का जादू
राज की कला सिर्फ काम नहीं, बल्कि उनकी पहचान बन गई. अब तक 11 हजार से ज्यादा दुल्हनों के हाथों और पैरों पर मेहंदी लगाने का रिकॉर्ड बना चुके हैं. उनकी टीम में आज 18 सदस्य काम करते हैं, जिनमें लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं. राज ने कई बड़े शहरों नासिक, दिल्ली, भोपाल, मुंबई में अपनी कला का प्रदर्शन किया. आज वे एमपी के सबसे युवा और लोकप्रिय मेहंदी आर्टिस्ट में गिने जाते हैं.

राज की मां बनीं सबसे बड़ी ताकत
राज के पिताजी नहीं चाहते थे कि उनका बेटा इस फील्ड में जाए. उनका मानना था कि मेहंदी लगाना लड़कियों का काम है. लेकिन राज की मां हमेशा उनकी ढाल बनकर खड़ी रहीं. एक दिन जब पिता ने नाराज होकर राज को घर से निकाल दिया, तब मां ने अपनी पायल बेचकर 4,000 रुपए बेटे के हाथ में दिए और कहा तू आगे बढ़ेगा, मुझे यकीन है. उसी भरोसे और मां के आशीर्वाद ने राज को ताकत दी. राज कहते हैं मेरी कामयाबी में मेरी मां का त्याग सबसे बड़ा हिस्सा है. अगर उन्होंने साथ न दिया होता, तो शायद मैं कभी यहां तक नहीं पहुंच पाता.

खंडवा बना भाग्य बदलने का शहर
राज आज भी कहते हैं कि ईश्वर ने मुझे गलती से खंडवा नहीं भेजा, यह शहर मेरे भाग्य का मोड़ था.
यही शहर था जहां लोगों ने उनकी कला को पहचाना. कठिन समय में किसी ने भोजन करवाया, तो किसी ने जगह दी. इसी प्यार की वजह से राज आज भी खंडवा को अपना घर मानते हैं. आज उनका Mehndi Artist Outlet खंडवा के इंदिरा चौक पर है, जहां से वे बड़े-बड़े शहरों में बुकिंग लेकर जाते हैं.

अब दूसरों का भविष्य भी चमका रहे हैं
राज सिर्फ खुद तक सीमित नहीं रहे. उन्होंने कई युवाओं को ट्रेनिंग दी है, जिनमें लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं. उनके शिष्य अब देशभर के बड़े शहरों में काम कर रहे हैं. राज का कहना है कि कला किसी की जागीर नहीं होती. इसे सीखने की चाह हो तो कोई भी बड़ा कलाकार बन सकता है.  राज की कहानी यह सिखाती है कि सपनों की उड़ान के लिए बड़े शहर नहीं, बड़ा दिल और अटूट विश्वास चाहिए. अगर दिल में आग हो, तो गलती से मिले स्टेशन भी आपको मंज़िल तक पहुंचा देते हैं.



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