ऋषभ को ड्रेसिंग रूम से पर्ची मत भेजना, गंभीर के पिंजड़े को तोड़ेंगे पंत

ऋषभ को ड्रेसिंग रूम से पर्ची मत भेजना, गंभीर के पिंजड़े को तोड़ेंगे पंत


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शुभमन गिल के दूसरे टेस्ट से चमत्कार को छोड़ दें तो लगभग बाहर हो जाने के बाद, कप्तान के रूप में साहसिक फैसले लेने और बल्लेबाज़ी में भी मोर्चा संभालने की ज़िम्मेदारी ऋषभ पंत पर आ जाएगी ऐसे में ये देखना खासा दिलचस्प होगा कि वो बतौर कप्तान खुद कैसे टीम को चलाते है.

गुवाहाटी में बतौर कप्तान ऋषभ पंत को हैंडल करना गंभीर के लिए आसान नहीं होगा

नई दिल्ली. ये कहने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि विराट कोहली के बाद हमेशा से ऋषभ पंत को बेहद शानदार रेड-बॉल खिलाड़ी खिलाड़ी बनकर उभरे है और उनके पास इसका प्रमाण देने के लिए पर्याप्त प्रदर्शन मौजूद है. इंग्लैंड में भी चोटिल होने से पहले वे शानदार फॉर्म में थे, और पिछले पाँच वर्षों में भारत के लिए रेड-बॉल क्रिकेट में सबसे अधिक प्रभाव डालने वाले खिलाड़ी रहे हैं.  इसी वजह से मुझे लगा कि ईडन गार्डन्स में भारत को जीत दिलाने वाला पंत ही होना चाहिए था.

पंत स्पिन को अच्छी तरह खेलते हैं और काउंटरपंच करने की क्षमता रखते हैं. फिर भी, दूसरी पारी में चीज़ें उनके लिए अच्छी नहीं दिखीं.  जिस पहली गेंद का उन्होंने सामना किया, उसी पर उन्होंने रिवर्स स्वीप लगाने की कोशिश की और बाल-बाल बच गए, क्योंकि गेंद उनके फोरआर्म से लगकर ऊपर उछली. इसके बाद वे खोल में चले गए और असहज लगने लगे. यह वह पंत नहीं थे जिन्हें हम जानते हैं, और बस समय की बात थी कि वे साइमन हरमर को अपना विकेट दे बैठे.

कप्तान ऋषभ से चाहिए पुराना पंत 

गुवाहाटी में भारत को पंत नेता और बल्लेबाज़ दोनों रूपों में आगे आकर खड़ा होना होगा.  शुभमन गिल की अनुपस्थिति में जो चमत्कार को छोड़ दें तो लगभग बाहर हैं टीम की बागडोर पंत के हाथों में होगी और दूसरी बार 12 महीनों के भीतर घरेलू मैदान पर श्रृंखला में क्लीन स्वीप से बचाने की जिम्मेदारी उन्हीं पर होगी.  इसके लिए उन्हें आगे से नेतृत्व करना होगा और टीम को विश्वास दिलाना होगा कि जीत नामुमकिन नहीं है.  बहादुरी और मूर्खता के बीच की रेखा बहुत पतली होती है, और पंत को अपने मन में इसे स्पष्ट करना होगा.

गंभीर पंत पर हावी ना हो 

ऋषभ का बिंदास रवैया उनको बेहतर खिलाड़ी बनाता है औक कोच गंभीर को ये समझना पड़ेगा और समझाना भी कि कप्तानी का बोझ अपने पर ना ले.  पंत की ‘दिखने वाली लापरवाही’ के पीछे ठोस सोच होती है.  वे आवेग में आकर कुछ भी नहीं करते; हर काम में बहुत सोच-विचार शामिल होता है और यही हमें गुवाहाटी में देखने की ज़रूरत है. कोलकाता के तीसरे दिन वह पंत नहीं दिखे. पहली दो गेंदों के बाद कोई काउंटरपंच नहीं आया, और ऐसा लगा कि गिल की गैरहाज़िरी का दबाव उन पर हावी हो गया. उन्होंने मौक़े के दबाव को खुद पर हावी होने दिया, और इसका असर उनके खेल पर दिखा साथ ही, उन्हें दिन की शुरुआत जसप्रीत बुमराह से करानी चाहिए थी, न कि अक्षर पटेल से. हालांकि ऐसी बातें कहना आसान है और मैदान पर निर्णय लेना कठिन, लेकिन मूल बात यही है कि गुवाहाटी में पंत को नेता और बल्लेबाज़ दोनों तौर पर बेहतरीन प्रदर्शन करना होगा.

चोट से वापसी के बाद यही उनकी असली परीक्षा है. भले ही उन्होंने इसकी योजना नहीं बनाई थी, लेकिन यह उनके लिए अपने नेतृत्व कौशल को दिखाने और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू मैदान पर दूसरी बार क्लीन स्वीप से भारत को बचाने का अवसर भी है.

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