खरगोन जिले के मनावर तहसील के अंतर्गत आने वाले एक गांव में पहाड़ी नदी पर रपट (पुलिया) न होने के कारण ग्रामीणों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में, 65 वर्षीय गेंदालाल नाबिया हागरिया के निधन के बाद उनकी शवयात्रा को भी नदी के दुर्गम र
.
यह समस्या पिछले कई वर्षों से बनी हुई है, लेकिन स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। नदी पर रपट न होने के कारण स्कूली बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को विशेष रूप से परेशानी होती है। बारिश के मौसम में नदी का जलस्तर बढ़ने पर गांव का संपर्क पूरी तरह से कट जाता है, जिससे लोगों को दैनिक जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने में भी कठिनाई होती है।
हाल ही में हुई घटना ने ग्रामीणों के गुस्से को और भड़का दिया। गेंदालाल नाबिया हागरिया, जो रपट निर्माण की मांग को लेकर सक्रिय थे, अचानक बीमार पड़ गए। गांव तक एंबुलेंस पहुंचने का कोई सीधा रास्ता न होने के कारण उन्हें समय पर चिकित्सा सहायता नहीं मिल पाई और उनकी मृत्यु हो गई। उनके निधन के बाद, ग्रामीणों को उनकी अंतिम यात्रा भी जोखिम उठाकर नदी के रास्ते से निकालनी पड़ी।
नदी के बीच से शवयात्रा को लेकर जाते हुए ग्रामीण।
दो साल से रपटे की कर रहे मांग
समाजसेवी रामू कटारे ने बताया कि ग्रामीणों ने पिछले दो सालों में कई बार स्थानीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से रपट निर्माण की मांग की है, लेकिन उनकी मांगों को अनसुना कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद उन्हें निर्माण का आश्वासन देकर शिकायत बंद करवा दी गई, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
ग्रामीणों ने गांव, जनपद, जिला पंचायत और कलेक्टर तक जनसुनवाई में अपनी समस्या उठाई है, लेकिन उन्हें केवल आश्वासन ही मिला है। रपट निर्माण के सर्वे में इसकी लागत 24.99 लाख रुपए बताई गई है, जिसे पंचायत, जनपद और जिला पंचायत की निधि से संभव बताया गया है। जनपद के अधिकारी निधि मिलने पर काम शुरू करने का आश्वासन दे रहे हैं, लेकिन ग्रामीणों को अब इन आश्वासनों पर विश्वास नहीं रहा।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उनकी समस्या का समाधान नहीं किया गया तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे को हर स्तर पर उठाएंगे और तब तक शांत नहीं बैठेंगे जब तक कि नदी पर रपट का निर्माण नहीं हो जाता। ग्रामीणों का कहना है कि यह उनकी मूलभूत आवश्यकता है और प्रशासन को इसे जल्द से जल्द पूरा करना चाहिए। इस समस्या के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि ग्रामीणों को और अधिक कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।