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कृषि अभियांत्रिकी अधिकारी शरद कुमार नारवरे ने लोकल 18 से कहा कि अनचाही घास गेहूं की फसल से सीधे प्रतिस्पर्धा करती है. वही खाद-पानी सोख लेती है जो फसल के लिए डाली जाती है. इससे पौधे कमजोर हो जाते हैं. उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ता है. यदि शुरुआती 30 दिनों में खरपतवार नियंत्रण नहीं किया गया
रवि की बोनी के इस व्यस्त सीजन में खेतों की तैयारी से लेकर पौधों की शुरुआती देखभाल तक किसानों की जिम्मेदारियां कई गुना बढ़ जाती हैं. जब गेहूं की फसल के साथ साथ अनचाही घास भी तेजी से उभरने लगती है जो खाद और पानी को खुद में समेटकर फसल की बढ़वार में बाधा डालती है. विंध्य क्षेत्र के कई किसानों की यही प्रमुख चिंता है कि मेहनत और निवेश के बावजूद पैदावार उतनी नहीं मिलती जितनी मिलनी चाहिए. ऐसे में कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि बोनी के शुरुआती चरण में ही खरपतवार को काबू कर लिया जाए तो पैदावार में सीधा 20 से 30 प्रतिशत का इजाफा संभव है.
खरपतवार से लड़ाई में किसानों की सबसे बड़ी चुनौती
वर्तमान में पूरे संभाग में बोनी अपने चरम पर है.इसी के साथ खरपतवार की समस्या भी तेजी से सामने आती है. संभागीय कृषि अभियांत्रिकी अधिकारी शरद कुमार नारवरे ने लोकल 18 से कहा कि अनचाही घास गेहूं की फसल से सीधे प्रतिस्पर्धा करती है. वही खाद-पानी सोख लेती है जो फसल के लिए डाली जाती है. इससे पौधे कमजोर हो जाते हैं. उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ता है. यदि शुरुआती 30 दिनों में खरपतवार नियंत्रण नहीं किया गया तो पूरी फसल पर इसका सीधा असर पड़ सकता है.
रासायनिक और यांत्रिक तरीके
खरपतवार हटाने के दो प्रमुख तरीके हैं. पहला रासायनिक विधि जिसमें खरपतवारनाशक दवाओं का उपयोग किया जाता है. हालांकि कई बार यह दवाएं फसल को भी प्रभावित कर देती हैं. दूसरा तरीका है यांत्रिक नियंत्रण जिसमें पुराने समय में हंसिया, खुरपी और अन्य औज़ारों से घास हटाई जाती थी. यह तरीका श्रम-साध्य है, समय अधिक लेता है.ऐसे हालातों में किसानों के लिए एक ऐसी मशीन की तलाश जारी थी जो कम समय में अधिक लाभ दे सके.
पॉवर वीडर कैसे बदल रहा है खेती का तरीका
पॉवर वीडर गेहूं की फसल में खरपतवार हटाने और मिट्टी को भुरभुरी करने में बेहद उपयोगी साबित हो रहा है. इससे मिट्टी में हवा का संचार बढ़ता है. पौधों की जड़ों को पोषक तत्व बेहतर तरीके से उपलब्ध होते हैं. यह मशीन समय और श्रम की बचत करती है. वहीं इसके कुछ विशेष अटैचमेंट से हल्की जुताई और कटाई जैसे काम भी किए जा सकते हैं.
दोनों मॉडल की मांग अधिक
पॉवर वीडर दो प्रमुख मॉडलों राइड ऑन और वॉक बिहाइंड में उपलब्ध है. राइड ऑन में किसान मशीन पर बैठकर काम करता है जबकि वॉक बिहाइंड में मशीन को पीछे से नियंत्रित किया जाता है. छोटे किसानों के लिए वॉक बिहाइंड मॉडल सबसे लोकप्रिय है जबकि बड़े खेत वाले किसान राइड ऑन मॉडल को प्राथमिकता दे रहे हैं.
क्षमता, कीमत और सरकारी सब्सिडी की पूरी जानकारी
मशीन 5 एचपी से 12 एचपी तक आती है. विशेषज्ञों के अनुसार 5 एचपी का पावर वीडर प्रति घंटे आधा से दो एकड़ तक खरपतवार निकाल सकता है. बाजार में इसकी कीमत ₹25,000 से ₹1,00,000 तक है. किसानों की मदद के लिए सरकार कुल 50% तक की सब्सिडी दे रही है 40% केंद्र और 10% राज्य सरकार की ओर से. इसके लिए किसान mpdeg.org पर जाकर ई-कृषि अनुदान पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं. आधार कार्ड, पैन कार्ड, बी-1 और लिंक मोबाइल नंबर आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज हैं. यह अनुदान एसएमएएम योजना के तहत दिया जाता है
बागवानी में भी पॉवर वीडर की बड़ी उपयोगिता
यह मशीन सिर्फ फसली खेतों में ही नहीं बल्कि बागवानी के लिए भी बेहद कारगर है. बड़े पेड़ों के बीच की खाली जमीन में खरपतवार तेजी से फैल जाती है जिसे हटाना कठिन होता है. पॉवर वीडर इस समस्या को भी आसानी से हल कर देता है और साथ ही हल्की जुताई में भी मदद करता है जिससे बागवानी की उत्पादकता बढ़ती है.