खरगोन. निमाड़ की माटी में एक संत ऐसा भी हुआ, जिसने अपना पूरा जीवन एक लंगोट में रामायण का पाठ करते हुए बीता दिया. ठंड, बारिश या गर्मी, मौसम कैसा भी हो, उन्होंने तन को किसी अन्य वस्त्र से नहीं ढका. आज जहां अन्य साधु संत दान में लाखों, करोड़ों रुपए सहज ही स्वीकार्य कर लेते है, आलीशान बंगले और लग्जरी कारों में सफर करते है. वहीं, सियाराम बाबा ने कभी भी 10 रूपये से ज्यादा का दान नहीं लिया. ये राशि भी उन्होंने क्षेत्र के मंदिरों के निर्माण कार्यों में लगा दी.
ठीक एक साल पहले 2024 को मोक्ष एकादशी के दिन खरगोन में नर्मदा किनारे तेली भट्याण आश्रम में सियाराम बाबा ने करीब 93 वर्ष की उम्र में अपना देह त्याग दिया. पहली पुण्यतिथि पर उनके आश्रम तेली भट्याण में सियाराम ट्रस्ट द्वारा उनकी 5 फिट ऊंची मूर्ति की स्थापना की जा रही है. उनके जीवित रहते रोजाना देशभर से लोग सियाराम बाबा के दर्शन, आशीर्वाद के लिए पहुंचते थे. लेकिन, उनके जाने के बाद ये आश्रम और गांव सुना पड़ गया. अब उतनी चहल पहल यहां नहीं रही, जितनी बाबा के समय रहती थी.
70 फीसदी घट गई भक्तों की संख्या
जिस स्थान पर बैठकर बाबा रामायण का पाठ करते, अब उसे कांच की दीवारों से सुरक्षित कर दिया है. एक दिया 24 घंटे जलता है. बाबा की रामायण, चश्मा और चरण पादुका भी सुरक्षित रखी. भक्त यहां आकर इन्हीं चीजों में बाबा को तलाशते है. बाबा की जगह अब विजय अंजनिया सहित अन्य ग्रामीण बारी बारी रामायण पाठ करते है. परिक्रमा वासियों के लिए अन्नकूट आज भी जारी है. लेकिन, श्रद्धालुओं की संख्या 70 फीसदी तक गिर चुकी है. पहले जहां पाव रखने की जगह नहीं होती थी, अब हर तरफ सन्नाटा पसरा रहता है. दुकानदार ग्राहकों का इंतजार करते रहते है.
10 फीसदी रह गया व्यापार, कई दुकानें बंद
ग्राउंड जीरो पर पहुंची local18 की टीम से बातचीत में स्थानीय व्यापारी सद्दाम खान ने बताया कि, उनकी किराना और पूजन सामग्री की दुकान है, बाबा जब थे तो दिन का 15 हजार कमाते थे, अब महज 1500 से 2000 रुपए कमाई होती है. कोमल गौड, भोलू सेंगर, रमेश केवट ने कहा कि, व्यापार पूरी तरह ठप हो गया है. कई दुकानें बंद हो गई है. 75 फीसदी व्यापार घट गया है. कई दुकानें बंद हो गई. प्रदीप केवट और शंकर केवट ने कहा कि, बाबा के होने की अनुभूति आज भी होती है. बाबा के जाने के बाद नाविकों के जीवन पर भी संकट आ गया है.
5 फिट ऊंची मूर्ति का अनावरण
ट्रस्ट के डॉ. हरि बिरला ने बताया कि, 1 दिसम्बर को मोक्ष एकादशी के दिन हवन, पूजन के बाद साधु, संतों की उपस्थिति में रामायण पड़ते हुए 5 फिट ऊंची बाबा की मूर्ति का अनावरण होगा. शाम को भजन संध्या होगी, अगले दिन विशाल भंडारा होगा. उन्होंने कहा कि, 8.5 लाख रूपये की लागत से संगमरमर के एक पत्थर से मूर्ति जयपुर में बनी है. वहीं, 3.5 लाख रुपए की लागत से लाल पत्थर से पूरा स्ट्रक्चर बना है. जो हुबहू आश्रम के बाबा के बैठक स्थल जैसा है. दोनों ओर शेर की मूर्ति भी रहेगी. परिसर में करीब 30 लाख रुपए से अन्य निर्माण कार्य भी कराए है.
बाबा के बिना यह सब खाली-खाली
बाबा की जगह आश्रम में रामायण पाठ कर रहे विजय अंजनिया ने कहा कि, वे रोजाना 6 घंटे यहां रामायण पाठ करते है. उनके अलावा गांव के अन्य लोगों भी बारी बारी पाठ करते है. थोड़ा परिवर्तन भी हुआ है. पहले बाबा स्वयं भक्तों को प्रसाद देते थे, अब भक्तों को अपने हाथों से लेना पड़ता है. परिक्रमा वासियों को बाबा के हाथ की चाय, नर्मदा पूजन सामग्री नहीं मिलती. वहीं, दर्शन के लिए आए प्रदीप यादव, अखिलेश यादव, शुभम राठौड़ ने कहा कि, अब पहले जैसा सुकून नहीं मिलता. अब यहां खाली-खाली सा लगता है.