विश्वरंग–2025, भोपाल पहुंचे दिव्या, स्वानंद और फैजल: संगीत, साहित्य, सिनेमा और क्रिएटिविटी का संगम; मुख्यमंत्री भी हुए शामिल – Bhopal News

विश्वरंग–2025, भोपाल पहुंचे दिव्या, स्वानंद और फैजल:  संगीत, साहित्य, सिनेमा और क्रिएटिविटी का संगम; मुख्यमंत्री भी हुए शामिल – Bhopal News


रवीन्द्र भवन में चल रहे विश्वरंग–2025 टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव के दूसरे दिन कला, संस्कृति, सिनेमा, कौशल, साहित्य और क्रिकेट की अनोखी छटा देखने को मिली। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने देश-विदेश से आए साहित्यकारों, कलाकारों और युवाओं

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मुख्यमंत्री भी हुए शामिल।

हिन्दी ने घर-घर पहुंचाया:आकाश चोपड़ा

दिन का सबसे लोकप्रिय सत्र भारतीय क्रिकेटर और कमेंटेटर आकाश चोपड़ा के नाम रहा। उन्होंने कहा- “हिन्दी में जज्बात हैं, इसलिए हिन्दी कॉमेंट्री ने मुझे घर-घर पहचान दिलाई।”उन्होंने क्रिकेट लेखन पर चर्चा करते हुए बताया कि इतिहास को समझना, आज को महत्व देना सिखाता है। इस सत्र में उनकी पुस्तक पर भी बातचीत हुई।

सिंगर स्वानंद किरकिरे।

सिंगर स्वानंद किरकिरे।

संगीत हमें चिंताओं से दूर ले जाता है- स्वानंद किरकिरे

गीतकार, लेखक और अभिनेता स्वानंद किरकिरे ने “शब्दों की दुनिया, जिंदगी का संगीत” विषय पर कहा- “जब शब्द और सुर मिलते हैं, तो मन को ऊर्जा देने वाली अलग दुनिया बनती है। ”उन्होंने अपने चर्चित गीत “बावरा मन” और “बहती हवा सा था वो” के पीछे की भावनाओं को साझा किया और कहा कि संगीत जीवन की बेचैनी को अर्थ देता है।

संस्कृति संध्या में ‘द कलेक्टिव क्वॉयर’ ने बांधा समां

शाम के कार्यक्रम में गुजरात के प्रतिष्ठित क्वॉयर बैंड ‘द कलेक्टिव क्वॉयर बाय RK’ ने अपने दमदार सुरों और विश्वस्तरीय हार्मोनी से मंच को जीवंत कर दिया। 14 कलाकारों की टीम ने प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। दर्शकों ने स्टैंडिंग ओवेशन देकर उनका उत्साह बढ़ाया।

क्वॉयर बैंड ‘द कलेक्टिव क्वॉयर बाय RK’ ने अ सुरों और हार्मोनी से मंच को जीवंत कर दिया।

क्वॉयर बैंड ‘द कलेक्टिव क्वॉयर बाय RK’ ने अ सुरों और हार्मोनी से मंच को जीवंत कर दिया।

महिलाओं की कहानियां अब मुख्यधारा में: दिव्या दत्ता

अंजनी सभागार में आयोजित सत्र “सिनेमा- कल, आज और कल” में अभिनेत्री दिव्या दत्ता ने कहा कि अब दर्शक महिलाओं की उन परतों को भी देखना चाहते हैं, जहां अकेलापन और संघर्ष है। ”उन्होंने जेंडर बायस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कलाकार की पहचान उसके काम से होनी चाहिए, न कि उसके जेंडर से।अपनी भाई की लिखी कविताएं पढ़कर उन्होंने हर महिला के दिल को छू लिया।

मुंबई ने संघर्ष सिखाया, पंचायत ने पहचान- फैजल मलिक

लोकप्रिय अभिनेता फैजल मलिक ने ‘पंचायत’ सीरीज़ की सफलता और अपने संघर्षों पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा “मुंबई आसान नहीं, पर यदि टिक गए तो यहीं बस जाते हैं।”उन्होंने बताया कि ‘डबलू–बबलू’ उनके सबसे पसंदीदा किरदार हैं और उन पर अलग सीरीज़ बन सकती है। अभिनय की प्रक्रिया पर उन्होंने कहा कि किरदार को समझना और सवाल पूछना उन्हें मजबूती देता है।



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