84% का भार, 0% का अधिकार! सहरिया समाज की त्रासदी भूरिया बाई की लाश पर खड़ी, खाद के लिए सिस्टम मौन

84% का भार, 0% का अधिकार! सहरिया समाज की त्रासदी भूरिया बाई की लाश पर खड़ी, खाद के लिए सिस्टम मौन


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ग्वालियर–चंबल संभाग के सहरिया आदिवासी समुदाय में गरीबी, शिक्षा की कमी और सरकारी उपेक्षा गहरी जड़ें जमाए हुए हैं. इसी कड़वी हकीकत का उदाहरण गुना की भूरिया बाई की मौत है, जो दो दिन तक यूरिया के लिए लाइन में लगी रही. समय पर एंबुलेंस और इलाज न मिलने से उनकी जान चली गई, जिससे प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल उठे हैं.

ग्वालियर–चंबल संभाग देश के उन इलाक़ों में गिना जाता है, जहां आदिवासी आबादी सबसे अधिक है. सहरिया क्रांति के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय बेचैन का कहना है कि यहां निवास करने वाले आदिवासियों में लगभग 84% सहरिया जनजाति से जुड़े हैं. सरिया क्रांति के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय बेचैन रहते हैं कि शिवपुरी, गुना, अशोकनगर और चंबल के अनेक गांव इस समुदाय का केंद्र हैं. परंपराओं, त्योहारों और प्रकृति से जुड़े रिवाजों के बावजूद सहरिया समाज आज भी गहरी आर्थिक बदहाली, शिक्षा की कमी और सरकारी योजनाओं की उपेक्षा से जूझ रहा है.

सहरिया जनजाति के अधिकांश परिवार छोटी जोत की खेती, दिहाड़ी मजदूरी और जंगल से मिलने वाली चीज़ों से अपना जीवन चलाते हैं. शिक्षा का स्तर बेहद कमजोर है. गांवों में स्कूल होने के बावजूद बच्चों की पहुंच बेहद कम है.  सरकार की कई योजनाएँ कागजों तक ही सीमित रह जाती हैं और जमीनी स्तर पर आदिवासियों तक पहुंच ही नहीं पातीं.

इसी उदास सच्चाई की दुखद मिसाल गुना जिले की 50 वर्षीय भूरिया बाई की मौत बन गई. कुसेपुर गांव की रहने वाली भूरिया बाई बागेरी खाद वितरण केंद्र पर दो दिन से यूरिया पाने के लिए लाइन में लगी हुई थी. क्षेत्र में यूरिया की भारी कमी के बीच किसान रातभर केंद्रों पर डटे रहते हैं. भूरिया बाई भी पहले दिन घंटों खड़ी रहने के बावजूद खाद नहीं पा सकी. दूसरे दिन भी यही हाल रहा. देर रात तक इंतज़ार के बाद वह ठंड में वहीं सो गई, तभी उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई.

परिवार ने कई बार एंबुलेंस को कॉल किया, लेकिन वाहन मौके पर नहीं पहुंचा. मजबूरी में एक किसान उसे निजी वाहन से बमोरी स्वास्थ्य केंद्र ले गया, जहां से उसे गुना रेफर किया गया. इलाज शुरू होने से पहले ही उसकी मौत हो गई. भूरिया बाई की मौत ने खाद वितरण, एंबुलेंस व्यवस्था और प्रशासनिक दावों की हकीकत पर सवाल खड़े कर दिए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अगर सुविधाएँ समय पर मिलतीं, तो एक और सहरिया महिला की जिंदगी बचाई जा सकती थी.

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Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two and Half Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has…और पढ़ें

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