धार जिले में वन विभाग ने बाघ और तेंदुओं की डिजिटल गणना का काम एक नए फॉर्मेट में शुरू कर दिया है। प्रदेशभर में यह सर्वे आज से शुरू हुआ है। आबादी वाले इलाकों में तेंदुओं की बढ़ती मौजूदगी और मनुष्यों से संघर्ष की घटनाओं को देखते हुए यह सर्वे अहम माना जा
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कैमरा ट्रैप से तस्वीरें मिलाई जाएंगी
यह गणना टाइगर मॉनिटरिंग के फेज-4 पैटर्न के अनुसार की जा रही है। इसमें बाघों की पहचान उनकी धारियों (स्ट्राइप्स) और तेंदुओं की पहचान धब्बों (स्पॉट्स) से की जाएगी। ट्रैप कैमरों से मिलने वाली तस्वीरों का मिलान कर दोनों वन्यजीवों की संख्या का वैज्ञानिक आकलन किया जाएगा। धार, मांडू और धामनोद रेंज में सर्वे का पहला चरण शुरू हो चुका है। कई वर्षों बाद इस बार जंगलों की वनस्पति का रिकॉर्ड भी तैयार किया जा रहा है।
मोबाइल ऐप पर अपलोड किए जाएंगे साक्ष्य
सर्वे चार चरणों में किया जा रहा है, जिसमें धार जिला सभी चरणों का हिस्सा है। पहले चरण में टीमें जंगलों में पैदल जाकर पगमार्क, मल और अन्य साक्ष्य जुटाकर मोबाइल ऐप पर अपलोड कर रही हैं। दूसरे चरण में ट्रांजेक्ट लाइन सर्वे के जरिए शाकाहारी जीवों की प्रत्यक्ष गणना की जाएगी। इसके बाद कैमरा ट्रैप और अन्य वैज्ञानिक तरीकों से डेटा एकत्र किया जाएगा।
एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जुटे 200 कर्मचारी
यह बड़ा सर्वे जिले में चार साल बाद किया जा रहा है। इस काम के लिए 200 से ज्यादा कर्मचारी एक लाख हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र में फील्ड पर उतरकर प्रमाण जुटा रहे हैं। पूरा डेटा सीधे देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को भेजा जाएगा। मांडू में 60 से अधिक कर्मचारियों को सर्वे के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। डीएफओ के अनुसार, तेंदुए द्वारा पशु हानि वाले इलाकों पर विशेष ध्यान रखा जाएगा।