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MP GI Tag Products: मध्य प्रदेश की खजुराहो स्टोन क्राफ्ट, ग्वालियर सेंड स्टोन टाइल्स, छतरपुर वुडन फर्नीचर और बैतूल भरेवा मेटल क्राफ्ट को GI टैग मिला, जिससे अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी. जानें ये आइटम क्यों हैं खास और क्यों रहती है इनकी डिमांड…
मध्य प्रदेश में GI टैग मतलब जियोग्राफिकल इंडेक्स टैग उत्पादों की संख्या लगातार बढ़ रही है. ऐसे में अब एमपी की पांच बहुत ही प्राचीन शिल्प कला को GI टैग मिला है, जिसमें खजुराहो स्टोन क्राफ्ट, ग्वालियर सेंड स्टोन टाइल्स, छतरपुर के वुडन फर्नीचर और बैतूल भरेवा मेटल क्राफ्ट शामिल हैं.

GI टैग मिलने के साथ ही भौगोलिक क्षेत्र के साथ ही इन उत्पादों को एक नई पहचान मिलेगी. इसके साथ इन उत्पादों से जुड़े हुए उद्योगों को भी पंख लग जाएंगे. इतना ही नहीं अब इन उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय पहचान भी मिलेगी.

सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम विभाग के अंतर्गत राज्य नोडल एजेंसी, मध्य प्रदेश लघु उद्योग निगम ने GI टैगिंग प्रक्रिया के लिए ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन वाराणसी के साथ एमओयू किया है.
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बैतूल भरेवा मेटल, भरेवा जाति से जुड़ा हुआ मेटल है. जहां बैतूल के पास गांव तिगरिया को क्राफ्ट विलेज की संज्ञा मिली हुई है. इस गांव में भरेवा जाति से जुड़े हुए समाज के कई परिवार बेल मेटल से बने सजावटी सामान बनाते हैं, जिसकी देश-विदेश में बड़ी मांग है.

खजुराहो स्टोन, जटिल और अलंकृत पत्थर की मूर्तियां और नक्काशी को तैयार करने में मदद करता है, जिसमें देवी देवताओं के आभूषण और चेहरे की आकृति शामिल होती है. जिन्हें छेनी और हथौड़े से तराशा जाता है, जो खजुराहो के मंदिरों से संबंधित है. यह शिल्प मुख्य रूप से बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट जैसी सामग्रियों से बनाया जाता है.

छतरपुर वुडन फर्नीचर भी बेहद खास है, जो स्थानीय स्तर पर छतरपुर के पेड़ों में मौजूद है, जो पेड़ों के कास्ट से तैयार किया जाता है. इससे फर्नीचर की विशेष प्रकार की डिजाइन तैयार होती है और इसकी मांग देशभर में की जाती है.

ग्वालियर सेंड स्टोन की खासियत है कि यह एक सुंदर नेचुरल पत्थर होता है, जो क्रीम कलर का होता है. लेकिन, मिंट कलर टेक्सचर इसे काफी खास बनाता है, जो सभी मौसम में एक जैसा ही रहता है. यह पत्थर मूलतः सिलिका से बना होता है.